रांचीः राजधानी के बीचोंबीच खड़ा तीन मंजिला आरटीआई बिल्डिंग, जहां कभी-भी हादसा का शिकार हो सकता है. संयुक्त बिहार के समय 1960 में बना यह बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुका है. इस बिल्डिंग में कई सरकारी दफ्तर के अलावा कई दुकानें हैं.
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आरआरडीए (RRDA) की लापरवाही से जर्जर हो चुकी, इस बिल्डिंग के दुकानदार और सरकारी कर्मी दहशत में हैं. आरआरडीए ने बिल्डिंग की चिंता करने के बजाय अपना डेढ करोड़ का बकाया किराया वसूलने के लिए दुकानदारों और ऑफिस को नोटिस भेजा है.
डर के साए में काम करने को मजबूर
राजधानी रांची के बीच चौराहे पर खड़ी इस बिल्डिंग का निर्माण संयुक्त बिहार के समय 1960 में हुआ था. आज आलम ये है कि यह भवन कभी-भी गिर सकता है और कइयों की जान जोखिम में आ सकती है. जानमाल की बड़ी क्षति से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. कचहरी चौक स्थित यह तीन मंजिली इमारत में दुकान के अलावे कई सरकारी दफ्तर हैं. इस बिल्डिंग के तीसरा और दूसरा तल्ला पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. बड़ा हादसा को दावत दे रही इस बिल्डिंग में कार्यरत सरकारी कर्मी से लेकर दुकानदार दहशत में है कि किसी दिन बिल्डिंग की छत ना गिर जाए.
कई सरकारी दफ्तर संचालित
आरटीआई बिल्डिंग के पहला तल्ला में राष्ट्रीय बचत पदाधिकारी का कार्यालय, दूसरे फ्लोर में सीआइडी मुख्यालय की विशेष शाखा, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल सांख्यिकी के उप निदेशक का कार्यालय सहित अन्य कार्यालय संचालित हैं. इसके अलावा तीन मंजिली इस इमारत में कई सामाजिक संगठन से लेकर करीब 45 दुकानें हैं. जर्जर होने के कारण बिल्डिंग का तीसरे तल्ले का छत पूरी तरह से बंद है.
बकाया किराया वसूलने की तैयारी में आरआरडीए
संयुक्त बिहार के समय 1960 में रांची के कचहरी चौक के नजदीक यह बिल्डिंग बनी थी. जिससे आरआरडीए को हर महीने लाखों रुपया का राजस्व मिलता था. मगर हाल के वर्षों में किराएदार और आरआरडीए के बीच जारी कानूनी विवाद के कारण आरआरडीए को इससे भी हाथ धोना पड़ा. हालांकि एसडीओ कोर्ट के फैसला आने के बाद आरआरडीए ने किराया वसूली की कारवाई तेज करते हुए, सभी बकायेदारों को नोटिस भेजा है.
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बिल्डिंग नहीं बकाए की चिंता
आरआरडीए के प्रभारी सचिव आफताब अहमद के अनुसार कोरोना के कारण किराया वसूलने की कार्रवाई तेज नहीं की जा रही है. आरटीआई बिल्डिंग की जर्जर होने के संबंध में आरआरडीए भवन निर्माण विभाग के रिपोर्ट की प्रतिक्षा लंबे समय से कर रहा है. ऐसे में बिल्डिंग से ज्यादा आरआरडीए को अपना डेढ करोड़ बकाया किराया वसूलने की चिंता ज्यादा है.
आरटीआई बिल्डिंग को बचाने के लिए इस भवन में चल रहे सरकारी कार्यालय के कर्मी आरआरडीए से लेकर डीसी तक गुहार लगा चुके हैं. मगर अब तक कोई फलाफल नहीं निकला है. ऐसे में जान हथेली पर काम करने को मजबूर इन कर्मियों को आखिर कौन सुनेगा. क्या बड़ा हादसा होने के बाद सरकारी सिस्टम जागेगी या उससे पहले एहतियाती कदम उठाया जाएगा.