रांची: सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत देश के सभी सांसदों को एक गांव गोद लेकर वहां विकास कार्य करना होता है. सरकार ने 11 अक्टूबर 2014 को इस योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत झारखंड के राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी ने भी दूसरे चरण में रांची से 15 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड के बड़ाम-जराटोली गांव को गोद लिया. गोद लेने के बाद से ही इस क्षेत्र को बेहतरीन तरीके से कायाकल्प किया गया है. वाकई में यह आदर्श गांव की श्रेणी में है.
सभी सुविधा उपलब्ध
सांसद परिमल नाथवानी द्वारा लिए गए गांव बड़ाम-जराटोली अगर किसी ने नहीं देखा है तो जरूर एक बार देखना चाहिए. वाकई में इस गांव का कायाकल्प कर बेहतरीन तरीके से व्यवस्थित किया गया है. इसे कहते हैं वाकई में सांसद का आदर्श गांव. दरअसल, ईटीवी भारत की टीम जब इस गांव में पहुंची तो पहले तो लगा कि यह गांव भी अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की तरह अव्यवस्थित तरीके से ही दिखेगी, लेकिन जब धीरे-धीरे अंदर गया तब पता चला कि ये एक ऐसा विकसित गांव है, जिसे सांसद के अथक प्रयास के बाद इसे बेहतरीन तरीके से व्यवस्थित किया गया है.
गांव में ग्रामीणों के लिए हर वह सुविधा उपलब्ध है, जिसे एक आदर्श गांव में होना चाहिए. पानी की समस्या दूर कर दी गई है. स्वास्थ्य उप केंद्रों में चिकित्सक और नर्स रहते हैं. पक्की सड़कें, जगह-जगह जल मीनार पेयजल की कोई समस्या नहीं. बिजली व्यवस्था दुरुस्त हो, इसे लेकर गांव के चौक-चौराहों गली-मोहल्ले टोले में सोलर लाइट के जरिए बिजली मुहैया कराई जा रही है.
यहां के विद्यार्थियों को किसी तरह की परेशानी न हो इसे देखते हुए गांव में ही एक सामुदायिक भवन बना दिया गया है. उस सामुदायिक भवन में निशुल्क कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है. तमाम स्कूलों को मॉडल कर दिया गया है. चाहे वह स्कूल प्राथमिक हो माध्यमिक हो या फिर हाई स्कूल, जहां गुणवत्ता पूर्वक शिक्षक भी उपलब्ध हैं. शिक्षक सही तरीके से बच्चों को पढ़ाते भी है. कुल मिलाकर कहें तो वाकई में परिमल नथवाणी द्वारा गोद लिया गया यह दोनों गांव आदर्श ग्राम है.
आदर्श गांव को देखने आते हैं लोग
इन गांवों को देखने के लिए आस-पड़ोस के लोग भी आते हैं. ग्रामीण कहते हैं जब से परिमल नाथवानी द्वारा इस गांव को गोद लिया गया है, तब से लोग यहां जरूर देखने इसके मॉडल को आते हैं. गांव में बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनाया गया है. सरना स्थल को विकसित किया गया है. हर घर तक पक्की सड़कें पहुंचाई गई है. स्वास्थ्य संबंधी विपरीत परिस्थिति आने पर गांव वालों के लिए एक एंबुलेंस की भी व्यवस्था है. यहां के ग्रामीण काफी खुशहाल है. हालांकि, राज्य भर में जिस तरीके से बिजली की आंख मिचौली होती है. यहां के ग्रामीण भी झेल रहे हैं. इनकी मानें तो अगर बिजली व्यवस्था दुरुस्त कर दिया जाए तो इस गांव में किसी भी तरीके की कोई कमी नहीं है.
निशुल्क कंप्यूटर की शिक्षा
निशुल्क कंप्यूटर की शिक्षा ले रहे बच्चों से जब ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की तो उन्होंने भी गांव की दिशा और दशा को लेकर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि में गांव में ही कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है. इसलिए हमें बाहर शहर की ओर रुख नहीं करना पड़ता है. गांव में हर वह सुविधा है जिसकी उन्हें जरूरत है.
स्वास्थ्य शिविर का भी होता है आयोजन
ग्रामीणों के लिए समय-समय पर इन दोनों गांव में निशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का आयोजन भी होता है. जहां कई तरीके के खून जांच के साथ-साथ शारीरिक जांच की जाती है. ग्रामीण इसका लाभ लेते हैं और उप स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों से परामर्श लेकर कुछ इमरजेंसी आने पर गांव में ही निशुल्क एंबुलेंस व्यवस्था के जरिए शहर से चिकित्सकों का परामर्श लेते हैं. इसके लिए भी सांसद का सहयोग जरूर गांव वालों को मिलता है. समय-समय पर सांसद प्रतिनिधि गांव के ग्रामीणों से मुलाकात करते हैं और उनकी परेशानियों को वह जानते हैं.
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अन्य सांसदों को भी इस गांव को देखकर इसी मॉडल पर अन्य गांव को विकसित करने की जरूरत है. इस गांव के ग्रामीण भी गांव को बेहतर बनाने में जुटे रहते हैं. ग्रामीणों को भी इसे लेकर जागरूक होना पड़ेगा. तब जाकर एक आदर्श गांव का निर्माण होगा. वाकई में परिमल नाथवानी का यह गांव अन्य सांसदों द्वारा लिए गए गांव के लिए प्रेरणा स्रोत है.