रांचीः महाराष्ट्र, गुजरात, उज्जैन और देश के कई राज्यों के अस्पतालों में आग लगने की घटना हो चुकी है. इससे हर किसी को सबक लेना चाहिए. झारखंड का स्वास्थ्य महकमा फायर फाइटिंग की व्यवस्था को लेकर सतर्क होने की बात तो कहता है, पर हकीकत यह है कि राज्य में रिम्स जैसे बड़े अस्पताल तक को अग्निशमन विभाग से NOC नहीं मिला है. क्योंकि अस्पताल में आग लगने पर उसे बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं है. यही हाल राजधानी के सदर अस्पताल का है, जहां बहुमंजिला भवन में 300 बेड का कोरोना अस्पताल तो खुल गया, पर यहां आग पर काबू पाने की कोई व्यवस्था नहीं है.
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क्या कहते हैं अग्नि शमन अधिकारी
रांची के बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और सदर अस्पताल के साथ-साथ कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आग बुझाने की व्यवस्था नाकाफी है. इसको लेकर डोरंडा अग्निशमन कार्यालय के अधिकारी गोपाल यादव कहते हैं कि अस्पतालों में अग्निशमन को लेकर NOC के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू है, जिसमें अप्लाई करने पर ही अग्निशमन विभाग के अधिकारी अस्पताल का निरीक्षण कर अस्पतालों को NOC देते हैं. झारखंड के ज्यादातर सरकारी ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन आवेदन देकर खाना पूर्ति करते हैं. निजी अस्पतालों में चंद बड़े कॉरपोरेट अस्पताल को छोड़ दें तो बाकी के पास आपात स्थिति में आग पर काबू पाने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसी लिए 80 से 90 प्रतिशत छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम को फायर फाइटिंग का NOC नहीं दिया गया है.
रिम्स और सदर अस्पताल के फायर फाइटिंग सिस्टम में कमियां
रिम्स, जहां सामान्य दिनों में हर वक्त 1500 से ज्यादा मरीज इंडोर में भर्ती रहते हैं और करीब 3000 मरीज ओपीडी में आते है. वहां के पुराने भवन में सेंट्रलाइज्ड सिस्टम नहीं है तो नए सुपर स्पेशलिटी भवनों में लगे फायर फाइटिंग सिस्टम का पाइप से लेकर नोजल तक गायब हो गया है. यही हाल सदर अस्पताल के बहुमंजिली भवन का है. जहां पूरी व्यवस्था चंद फायर इक्सटिंग्यूशर के भरोसे है.
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क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री
राज्य के अस्पतालों में फायर फाइटिंग की मुक्कमल व्यवस्था नहीं होने की बात स्वीकारते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि एक ओर जहां COVID अस्पतालों में आग बुझाने की व्यवस्था करने के लिए 15 करोड़ रुपये तत्काल जारी किए गए हैं. वहीं सभी नॉर्म्स का पालन किया जाएगा, पर कोरोना काल के चलते थोड़ी परेशानी हो रही है. क्योंकि सरकार की पहली प्राथमिकता ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने की है.
अस्पतालों में ज्यादातर ऐसे मरीज भर्ती होते हैं जो चलने फिरने तक से लाचार होते हैं. इसके साथ ही हर अस्पताल में COVID-19 सेंटर बनाने के बाद वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की वजह से आग का खतरा और बढ़ गया है. ऐसे में जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग बिना लापरवाही बरते, क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट और फायर फाइटिंग की गाइडलाइन का पालन कर अग्निशमन की व्यवस्था चुस्तदुरुस्त करें ताकि किसी तरह की कोई अनहोनी भविष्य में ना हो.
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महाराष्ट्र के पालघर में कोविड अस्पताल में आग लगी
महाराष्ट्र में पालघर जिला के विरार में एक कोविड अस्पताल में अचानक आग लग गई थी. इसमें 14 मरीजों की मौत हो गई. आग शॉट सर्किट से लगी थी. कोरोना महामारी के बीच हुए इस हादसे में अपनों को खोने से लोगों में मातम है. घटना की वजह से राज्य के अस्पतालों की प्रबंधन-व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया.
गुजरात के अहमदाबाद में अस्पताल में लगी आग
गुजरात के अहमदाबाद स्थित श्रेय अस्पताल में आग लगी. आग से आठ मरीजों की मौत हो गई है. अन्य मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया. आग तड़के तीन बजे लगी थी. इस अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था. आग किस वजह से लगी इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई. जिस वक्त यह आग लगी उस समय अस्पताल में 49 कोविड -19 के मरीज थे.