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रामेश्वर उरांव ने कृषि सुधार विधेयक को असंवैधानिक और किसानों के खिलाफ बताया, कहा- पार्टी इस मुद्दे पर करेगी देशव्यापी विरोध

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कृषि सुधार विधेयक के पारित होने पर विरोध जताया है. उन्होंने इसे असंवैधानिक और किसानों के खिलाफ बताया है. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वे इन विधेयकों के माध्यम से अपने करीबी पूंजीपति मित्रों के लिए खेती को कॉरपोरेट क्षेत्र के रूप में तब्दील कर देना चाहते हैं.

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Published : Sep 20, 2020, 8:39 PM IST

Rameshwar Oraon reaction to the Agricultural reform bill
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने रविवार को कहा कि राज्यसभा में किसान संबंधी विधेयक को जिस तरह से पारित कराया गया है, वह असंवैधानिक और किसानों के खिलाफ है. इससे आज के दिन को देश के इतिहास में ‘काला दिन’ के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से भाजपा नेता अपने करीबी पूंजीपति मित्रों के लिए खेती को कॉरपोरेट क्षेत्र के रूप में तब्दील कर देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि संबंधी महत्वपूर्ण विधेयक को राज्यसभा में जिस तरह से पारित कराया गया है, वह लोकतंत्र की हत्या है. यह कानून पूरी तरह से किसानों के खिलाफ है और इससे उन्हें भारी नुकसान होगा.

ये भी पढ़ें-विपक्षी दल राज्यसभा उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में इस विधेयक को जल्दबाजी में लाना एक बड़ी साजिश को दर्शाता है. कृषि का मसला राज्य से भी जुड़ा विषय है और इस मसले पर कोई भी फैसला लेने के पहले केंद्र सरकार को राज्यों से भी सहमति लेनी चाहिए थी. लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार की ओर से बार-बार देश के संघीय ढांचे पर प्रहार किया जा रहा है, वह दुःखद है.

उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर ठीक उसी तरह से देशव्यापी विरोध करेगी, जिस तरह से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में छेड़छाड़ का विरोध किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव करने से असफल हो जाने के कारण ही भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के लिए दूसरे रास्ते से किसानों की जमीन लेने की रणनीति बनायी है, लेकिन यह कोशिश भी नाकाम साबित होगी.

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने रविवार को कहा कि राज्यसभा में किसान संबंधी विधेयक को जिस तरह से पारित कराया गया है, वह असंवैधानिक और किसानों के खिलाफ है. इससे आज के दिन को देश के इतिहास में ‘काला दिन’ के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से भाजपा नेता अपने करीबी पूंजीपति मित्रों के लिए खेती को कॉरपोरेट क्षेत्र के रूप में तब्दील कर देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि संबंधी महत्वपूर्ण विधेयक को राज्यसभा में जिस तरह से पारित कराया गया है, वह लोकतंत्र की हत्या है. यह कानून पूरी तरह से किसानों के खिलाफ है और इससे उन्हें भारी नुकसान होगा.

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उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में इस विधेयक को जल्दबाजी में लाना एक बड़ी साजिश को दर्शाता है. कृषि का मसला राज्य से भी जुड़ा विषय है और इस मसले पर कोई भी फैसला लेने के पहले केंद्र सरकार को राज्यों से भी सहमति लेनी चाहिए थी. लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार की ओर से बार-बार देश के संघीय ढांचे पर प्रहार किया जा रहा है, वह दुःखद है.

उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर ठीक उसी तरह से देशव्यापी विरोध करेगी, जिस तरह से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में छेड़छाड़ का विरोध किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव करने से असफल हो जाने के कारण ही भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के लिए दूसरे रास्ते से किसानों की जमीन लेने की रणनीति बनायी है, लेकिन यह कोशिश भी नाकाम साबित होगी.

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