रांची: पूर्व सीएम रघुवर दास ने रांची मेनरोड में हुई हिंसक घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा कि यह एक तरह से टेरर फंडिंग का भी मामला है और इसकी जांच SIT गठित कर कराना सिर्फ आंख में धूल झोंकने जैसा है. मामले में जब सहारनपुर कनेक्शन भी सामने आ रहा है, तो राज्य के बाहर SIT जांच नहीं कर सकती है. ऐसे में केंद्रीय एजेंसी से ही जांच कराने से ही मामले के तह तक पहुंचा जा सकेगा.
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नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद रांची में हुई हिंसक घटना अब राजनीतिक रंग लेने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बुधवार को मेनरोड स्थित हनुमान मंदिर पहुंचकर ना केवल पूजा अर्चना की बल्कि इस मंदिर में हुए तोड़फोड़ की जानकारी ली. इस दौरान रघुवर दास ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से सुनियोजित थी. इसमें देश विरोधी शक्तियों का हाथ है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी के बावजूद राज्य सरकार ने किसी प्रकार के ठोस तैयारी नहीं की, जिसके कारण इतनी बड़ी घटना हो गई.
पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि राज्य की सवा तीन करोड़ जनता इस मामले की जांच NIA से कराने की मांग कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी की भी पूजा स्थल मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या गिरजाघर पर पत्थरबाजी की घटना निंदनीय है, अक्षम्य है. रांची में विभिन्न मंदिरों पर हमले हुए, पुजारियों को मारा गया. इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. सरकार की लापरवाही के कारण रांची का आपसी भाईचारा और सौहार्द बिगड़ा है. सांप्रदायिक शक्तियों को बल मिला है. घटना में मंदिर में हमले के अलावा आम लोगों के वाहनों के साथ तोड़फोड़, पुलिस के जवानों पर पत्थरबाजी और दो बच्चों की मौत के लिए हेमंत सरकार जिम्मेदार है.
रघुवर दास ने कहा कि पुलिस की जांच में भी यह बात सामने आ रही है कि यह उपद्रव योजनाबद्ध तरीके से किया गया. नमाज के बाद भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने लोगों को भड़काया और यह घटना घटी. उन्होंने मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों से ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनका बहिष्कार करने की भी अपील की. इस मौके पर रघुवर दास ने कहा कि यह एक तरह से टेरर फंडिंग का भी मामला है. इसकी जांच SIT गठित कर कराना सिर्फ आंख में धूल झोंकने जैसा है.
रांची हिंसा मामले पर बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में सहारनपुर कनेक्शन भी सामने आ रहा है और राज्य के बाहर SIT जांच नहीं कर सकती है. ऐसे में केंद्रीय एजेंसी से ही जांच कराने से मामले के तह तक पहुंचा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन सरकार के दबाव में काम कर रही है. रांची में उपद्रवियों का पोस्टर लगा और तुरंत हटा लिया गया. किसके दबाव में पोस्टर हटाया गया, यह जांच का विषय है. राज्य सरकार ने तुष्टिकरण के कारण कट्टरपंथी ताकतों के आगे घुटने टेक दिया है. दुर्भाग्य यह है कि पूरे मामले में राज्य के मुख्यमंत्री हल्की बातों का प्रयोग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने सत्ता संभालते ही सबसे पहला निर्णय पत्थलगड़ी मामले में देशद्रोह का मुकदमा हटाने का लिया, इससे सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल बढ़ा. एक सप्ताह के अंदर चाईबासा में 7 आदिवासियों का नरसंहार कर दिया गया. इसके डेढ़ माह बाद लोहरदगा में दंगा हुआ, जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हुई. हाल में लोहरदगा में फिर दंगा हुआ, जिसमें पीएफआई के हाथ होने की बात सामने आई. अब रांची में उपद्रव हुआ. ढाई साल में हेमंत सोरेन सरकार ने पूरे राज्य को अस्थिर कर दिया. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार आने के बाद से राज्य में अमन चैन खराब हो गया है. सांप्रदायिक शक्तियों को बल मिला है. इन्हें लोगों के स्वास्थ्य शिक्षा के चिंता नहीं. इन्हें केवल डरा कर लोगों को वोट बैंक बनाने आता है. उन्होंने मुस्लिम समाज से आग्रह है किया कि ऐसे दलों से सावधान रहें और चुनाव में उन्हें इसका जवाब दें.