रांची: राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. समाज में फैली नशे की बुराई ना केवल युवाओं के शरीर को खोखला कर उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है, बल्कि अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रही है. राजधानी रांची में हाल के दिनों में कई ऐसे अपराधिक घटना हुई है. जिसे नशे की हालत में आंजम दिया गया है. इसे लेकर पुलिस ने अब सख्ती शुरू कर दी है. पूरे मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय ने कई आवश्यक निर्देश जारी किए हैं वही रांची एसएसपी भी नशे के कारोबार को नेस्तनाबूद करने के लिए कमर कस चुके हैं.
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बनाई जा रही है लिस्ट: राजधानी को अपराध मुक्त करना है तो सबसे पहले नशे के कारोबार पर ब्रेक लगाना होगा. रांची पुलिस यह भली-भांति जान चुकी है क्योंकि मार्च महीने में चाहे लोअर बाजार में हुआ गोली कांड हो या फिर सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में हुई हत्या. कहीं ना कहीं इन सब के पीछे की वजह नशा ही था. रांची में अपराध के बढ़ते ग्राफ की वजह से पुलिस की बड़ी बदनामी हुई है. यही वजह है कि अब सबसे पहले पुलिस नशे के कारोबारियों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई कर रही है.
रांची के सिटी एसपी सौरभ ने बताया कि पुलिस यह आंकड़ा भी तैयार कर रही है कि वैसे कौन-कौन अपराधी हैं जिन्होंने नशे में अपराध को अंजाम दिया है. सिटी एसपी के अनुसार नशे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इसमें शामिल अपराधियों पर हर दिन नजर रखी जाए इसका बंदोबस्त किया जा रहा है.
दुकानदारों पर भी करवाई की तैयारी: रांची पुलिस पहली बार उन अपराधियों से पूछताछ कर एक डाटा तैयार कर रही है जिन्होंने कहीं ना कहीं से ड्रग्स या फिर नशीली दवाइयां खरीदकर उसका सेवन किया और फिर अपराध को अंजाम दिया. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि पुलिस तक या जानकारी पहुंच पाए कि आखिर कौन-कौन दुकानदार इस तरह के कामों में लिप्त है. आंकड़ा इकट्ठा होने के बाद उन दुकानदारों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
स्थान भी होगा चिन्हित: राजधानी में रांची पुलिस ऐसे व्यक्तियों को तो चिह्नित करेगी ही, जो नशे के कारोबार में संलिप्त हैं. साथ ही उन इलाकों को भी चिह्नित किया जाएगा, जहां नशेड़ियों का जमावड़ा रहता है. उन इलाकों में लगातार कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. शहर में बढ़ते अपराध की रोकथाम के लिए तंग गलियों में भी पेट्रोलिंग करने को कहा है. नशेड़ियों के जमावड़ा वाले इलाकों में विशेष पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है.
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पुलिस मुख्यालय से भी जारी हुआ निर्देश: रांची में चल रहे नशे के कारोबार को लेकर पुलिस मुख्यालय भी बेहद गंभीर है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अमोल होमकर के अनुसार अपराध के आंकड़े जो सामने आए हैं उनके पीछे कहीं न कहीं नशा प्रमुख वजह रहा है. यही वजह है कि पुलिस मुख्यालय ने रांची एसएसपी को कई निर्देश जारी किए हैं. नशे के कारोबारियों पर नकेल के साथ-साथ वैसे स्थानों को चिन्हित कर वहां पर कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया है जहां लोग नशा करते हैं.
नशीली दवाइयों का जम कर हो रहा इस्तेमाल: राजधानी रांची में नशे के लिए ब्राउन शुगर, अफीम और गांजा से ज्यादा नशीली दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है. सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के कारण नशे के लिए दवाइयों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजधानी रांची में ही नशे के लिए दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि झारखंड के लगभग सभी जिलों में नशे के लिए गांजा, अफीम से ज्यादा दवाईंयों का इस्तेमाल हो रहा है.
सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक एक दर्जन से अधिक दवाइयों का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है. नशे के लिए युवाओं के द्वारा टैबलेट से लेकर कफ सिरप का और विभिन्न तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है. अमूमन इन दवाओं को डॉक्टर के प्रिशक्रिप्शन के बगैर बेचा नहीं जा सकता, लेकिन थोक में प़ुलिस ने इन दवाइयों की बरामदगी अलग अलग जगहों से की है.
कौन कौन से दवा नशे के लिए हो रही इस्तेमाल: पुलिस के द्वारा साल 2021 में नशे के लिए इस्तेमाल किए जा रही दवाओं को जब्त किया था, उनके आंकड़ो पर अगर गौर करे तो 3750 बोतल ऑनरेक्श कफ सिरफ, 75 बोलत विनकोरेक्श, 120 बोतल कोको कफ सिरफ, 948 आरसी कफ सिरफ, 1690 नाइट्रोसन टैब, 50 बॉक्स रीडॉफ, 6500 पीस नाइट्रोहैंप टैबलेट, 19808 डायलेक्स डीसी टैबलेट, 701 पीस नाइट्राजेप्म टैब, 28 बोतल कोफिन कफ सिरफ, 41 बोतल रेक्सस कफ सिरफ, 102 फियरमिन मालेट इंजेक्शन, 109 पेंटाजोसिन इंजेक्शन और 302 अल्प्राजोलम टैबलेट शामिल है. यह सभी दवाइयां बिना डॉक्टर के पास के पर्चे के नहीं मिलती हैं, लेकिन राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में दवा माफिया का एक बड़ा रैकेट है जो धड़ल्ले से इन दवाओं की तस्करी कर रहा है.
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बाहरी राज्यों से होती है तस्करी: नशे के इस्तेमाल के लिए तस्कर बाहरी राज्यों से दवाइयों को मंगवाते हैं खासकर हिमाचल प्रदेश के सोलन से मंगायी गयी दवाओं (कोडीन फास्फेट, ऐन्टेन, ट्रामाडोल पेंटाजोसिन) का झारखंड में कोई सप्लायर नहीं है, यहां तक कि कोई स्टॉकिस्ट भी नहीं है. यह भी पता चला है कि इन ड्रग्स का अगर कोई लगातार 10 दिन तक सेवन कर ले, तो इसका एडिक्ट यानी आदी हो जाता है. इस ड्रग्स को लेने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. पिछले एक साल के भीतर रांची के सुखदेव नगर, पंडरा और रातू इलाके से ऐसी दवाइयां की बड़ी खेप पकड़ी गई हैं.
क्या है राज्य का आंकड़ा: राज्यभर में थानों में दर्ज केस के आधार पर जो आंकड़े जुटाए हैं, उसके मुताबिक, राज्य पुलिस ने साल 2021 में पुलिस ने 1052 किलोग्राम गांजा बरामद किया है. वहीं 60 पीस गांजा के पौधे भी नष्ट किए गए हैं. पुलिस ने विभिन्न जिलों में चले अभियान के दौरान 21687.320 किलोग्राम डोडा, 456 किलोग्राम अफीम, 20 ग्राम ब्राउन सुगर, 40 ग्राम हीरोइन जब्त किया है. पुलिस ने इस दौरान नारकोटिक्स एक्ट में 310 मुकदमें दर्ज किए हैं, वहीं 485 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
वहीं, साल 2020 में पुलिस ने अभियान के दौरान 21 अलग अलग ब्रांड की दवाइयां जब्त की थी, जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा था. वहीं पुलिस ने नारकोटिक्स एक्ट में 382 मुकदमे दर्ज कर 524 लोगों को जेल भेजा था. साल 2019 में पुलिस ने नारकोटिक्स से जुड़े 256 केस में 328, जबकि 2018 में पुलिस ने 237 मुकदमें दर्ज कर 301 लोगों को जेल भेजा था.
राजधानी रांची की गलियों और मोहल्लों में गांजा, स्मैक, ब्राउन शुगर और नशीली दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है. शहर में सुखदेवनगर, लोअर बाजार, लालपुर, सदर, चुटिया और अरगोड़ा ऐसे थाना क्षेत्र हैं, जहां सबसे ज्यादा मादक पदार्थों की खपत हो रही है. ऐसा नहीं है कि पुलिस नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, नशे के कारोबारियों की धरपकड़ भी समय समय पर की जाती है, लेकिन जेल से बाहर आते ही नशे के कारोबारी फिर उसी धंधे में लिप्त हो जाते है.