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ऊर्जा संकट! घंटों लोड-शेडिंग के बीच क्या पूजा के दौरान मिल सकेगी निर्बाध बिजली? - रांची में दुर्गा पूजा को लेकर बिजली व्यवस्था

भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया इस वक्त ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रहा है. कई देशों में घंटों बिजली काटी जा रही है. कहीं ना कहीं भारत भी इससे अछूता नहीं है. झारखंड में भी बिजली की समस्या है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.

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ऊर्जा संकट!
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Published : Oct 5, 2021, 9:59 PM IST

रांचीः मौजूदा वक्त में कोयला, गैस, तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. कोयले के दाम इन दिनों 13 साल के उच्चतम स्तर पर है. भारत में कोयले से चलने वाले करीब 135 बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास कोयला कुछ दिनों का ही बचा है. झारखंड का पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ भी कोयले की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में ऊर्जा का संकट होना लाजिमी है. झारखंड की राजधानी रांची समेत लगभग हर जिले का कमोबेश ऐसा ही हाल है, जहां पावर कट की समस्या ना हो.

इसे भी पढ़ें- राजधानी के कई इलाकों में रातभर ठप रही बिजली, पूछताछ में विभाग ने दिया ये तर्क

ऐसा माना जा सकता है कि इस विश्वव्यापी ऊर्जा संकट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर झारखंड में भी होता दिख रहा है. बात अगर राजधानी रांची की करें तो यहां बिजली की समस्या आए दिन देखने को मिलती है. रांची के कई मोहल्लों में घंटों तक लोड शेडिंग हो रही है. कई-कई इलाकों में घंटों तक बिजली काट दी जाती है. जिससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

लोड शेडिंग की आ रही समस्या और दुर्गा पूजा में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली विभाग के अधिकारियों ने जिला के सभी बिजली विभाग के कर्मचारियों को महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं ताकि रांची में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा सके. लेकिन क्या ऊर्जा संकट के बीच ऐसा संभव हो पाएगा, ये एक बड़ा सवाल है.

राजधानी रांची में प्रतिदिन 260 से 270 मेगावाट बिजली की खपत होती है. बिजली का अभाव होने की वजह से शहर के कई मोहल्लों में घंटों तक बिजली काटी जाती है. इधर पर्व-त्योहार को देखते हुए राजधानी में बिजली की खपत 300 मेगावाट तक बढ़ सकती है. क्योंकि पूजा-पंडालों की साज-सज्जा में बिजली की अतिरिक्त खपत होती है. बिजली विभाग की तरफ से अपने सब-स्टेशन के कर्मचारियों-अधिकारियों को निर्देश तो है कि दुर्गा पूजा के वक्त शहर में लोगों को निर्बाध बिजली प्रदान की जाए.

इसे भी पढ़ें- बिजली की मांग बढ़ने से भारत में कोयला संकट, कुछ दिनों का स्टॉक शेष

बिजली विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी सब-स्टेशन पर मरम्मती के कार्य किए जा रहे हैं. साथ ही जिस इलाके में खराब तारों को बदला जा रहा है. जिससे बिजली निर्बाध मिल सके. साथ ही बिजली के पोल से लगे पेड़ों की छंटनी का काम भी जारी है ताकि किसी अनहोनी को रोका जा सके. शहरी इलाकों के 44 सब-स्टेशनों पर मरम्मती का काम पूरा हो चुका है. ग्रामीण इलाके के अन्य सब-स्टेशन पर दुर्गा पूजा को लेकर विशेष कार्य किया जा रहे हैं. इन तैयारियों के बीच बिजली विभाग के कर्मचारियों ने पिछले दिनों ये ऐलान किया था कि वो 6 अक्टूबर से वह अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाएंगे. लेकिन ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर विचार करते हुए फिलहाल उन्हें हड़ताल पर जाने से रोक दिया है. लेकिन आगे कुछ कहा नहीं जा सकता है.

दुनिया इन दिनों भारी ऊर्जा संकट (Industrial Production) का सामना कर रही है. चीन और यूरोप (China and Europe) बिजली (Electricity less) की कमी से बुरी तरह प्रभावित हैं. औद्योगिक उत्पादन घट गया है, घंटों तक बिजली सप्लाई काटी जा रही है. इस संकट की वजह कई हैं. जल और पवन टरबाइन से बिजली उत्पादन में गिरावट, कोयले और प्राकृतिक गैस की सप्लाई में कमी और इनकी आसमान छूती कीमतें ऊर्जा संकट को ऊंचे स्तर पर पहुंचा चुकी हैं. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भी इस संकट में योगदान है. विश्वव्यापी ऊर्जा संकट से भारत भी जूझ रहा है. भारत में कोयले से चलने वाले करीब 135 बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास कोयला कुछ दिनों का ही बचा है. ऐसे में कोयले का प्रदेश झारखंड आखिर कितने दिनों तक इस संकट से खुद को बचा सकता है, ये कहना मुश्किल है. लेकिन मौजूदा हालात तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि ऊर्जा संकट है और इससे कोई भी अछूता नहीं है.

रांचीः मौजूदा वक्त में कोयला, गैस, तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. कोयले के दाम इन दिनों 13 साल के उच्चतम स्तर पर है. भारत में कोयले से चलने वाले करीब 135 बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास कोयला कुछ दिनों का ही बचा है. झारखंड का पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ भी कोयले की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में ऊर्जा का संकट होना लाजिमी है. झारखंड की राजधानी रांची समेत लगभग हर जिले का कमोबेश ऐसा ही हाल है, जहां पावर कट की समस्या ना हो.

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ऐसा माना जा सकता है कि इस विश्वव्यापी ऊर्जा संकट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर झारखंड में भी होता दिख रहा है. बात अगर राजधानी रांची की करें तो यहां बिजली की समस्या आए दिन देखने को मिलती है. रांची के कई मोहल्लों में घंटों तक लोड शेडिंग हो रही है. कई-कई इलाकों में घंटों तक बिजली काट दी जाती है. जिससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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लोड शेडिंग की आ रही समस्या और दुर्गा पूजा में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली विभाग के अधिकारियों ने जिला के सभी बिजली विभाग के कर्मचारियों को महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं ताकि रांची में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा सके. लेकिन क्या ऊर्जा संकट के बीच ऐसा संभव हो पाएगा, ये एक बड़ा सवाल है.

राजधानी रांची में प्रतिदिन 260 से 270 मेगावाट बिजली की खपत होती है. बिजली का अभाव होने की वजह से शहर के कई मोहल्लों में घंटों तक बिजली काटी जाती है. इधर पर्व-त्योहार को देखते हुए राजधानी में बिजली की खपत 300 मेगावाट तक बढ़ सकती है. क्योंकि पूजा-पंडालों की साज-सज्जा में बिजली की अतिरिक्त खपत होती है. बिजली विभाग की तरफ से अपने सब-स्टेशन के कर्मचारियों-अधिकारियों को निर्देश तो है कि दुर्गा पूजा के वक्त शहर में लोगों को निर्बाध बिजली प्रदान की जाए.

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बिजली विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी सब-स्टेशन पर मरम्मती के कार्य किए जा रहे हैं. साथ ही जिस इलाके में खराब तारों को बदला जा रहा है. जिससे बिजली निर्बाध मिल सके. साथ ही बिजली के पोल से लगे पेड़ों की छंटनी का काम भी जारी है ताकि किसी अनहोनी को रोका जा सके. शहरी इलाकों के 44 सब-स्टेशनों पर मरम्मती का काम पूरा हो चुका है. ग्रामीण इलाके के अन्य सब-स्टेशन पर दुर्गा पूजा को लेकर विशेष कार्य किया जा रहे हैं. इन तैयारियों के बीच बिजली विभाग के कर्मचारियों ने पिछले दिनों ये ऐलान किया था कि वो 6 अक्टूबर से वह अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाएंगे. लेकिन ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर विचार करते हुए फिलहाल उन्हें हड़ताल पर जाने से रोक दिया है. लेकिन आगे कुछ कहा नहीं जा सकता है.

दुनिया इन दिनों भारी ऊर्जा संकट (Industrial Production) का सामना कर रही है. चीन और यूरोप (China and Europe) बिजली (Electricity less) की कमी से बुरी तरह प्रभावित हैं. औद्योगिक उत्पादन घट गया है, घंटों तक बिजली सप्लाई काटी जा रही है. इस संकट की वजह कई हैं. जल और पवन टरबाइन से बिजली उत्पादन में गिरावट, कोयले और प्राकृतिक गैस की सप्लाई में कमी और इनकी आसमान छूती कीमतें ऊर्जा संकट को ऊंचे स्तर पर पहुंचा चुकी हैं. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भी इस संकट में योगदान है. विश्वव्यापी ऊर्जा संकट से भारत भी जूझ रहा है. भारत में कोयले से चलने वाले करीब 135 बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास कोयला कुछ दिनों का ही बचा है. ऐसे में कोयले का प्रदेश झारखंड आखिर कितने दिनों तक इस संकट से खुद को बचा सकता है, ये कहना मुश्किल है. लेकिन मौजूदा हालात तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि ऊर्जा संकट है और इससे कोई भी अछूता नहीं है.

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