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कोरोना महामारी ने चिकन व्यापारियों की तोड़ी कमर, एक महीने में 250 करोड़ की चपत

कोरोना के कहर से करोबार जगत भी कराह रहा है. झारखंड में पोल्ट्री फॉर्म का कारोबार ठप हो चुका है. राज्य में आम तौर पर हर महीने करीब 250 करोड़ रुपए का पोल्ट्री कारोबार होता है. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2 हजार व्यवसायी और करीब 6 हजार परिवार जुड़े हुए हैं. कोरोना की वजह से 120 रुपए किलो बिकने वाला चिकन 20 रुपए किलो बेचना पड़ रहा है.

Poultry Business stopped due to corona virus in jharkhand
पोल्ट्री फॉर्म का कारोबार
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Published : Apr 14, 2020, 8:09 PM IST

रांची: कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है. इसके कारण आर्थिक क्षेत्र में भी काफी क्षति हुई है. कोरोना वायरस के कारण मुर्गी पालन व्यवसाय में काफी गिरावट आई है. इसके कारण पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायी में मायूसी है. लोग कोरोना वायरस के डर से मुर्गा-मटन खाने से कतराने लगे हैं, जिसका असर व्यवसायियों पर खास तौर पर देखने को मिल रहा है.

देखिए पूरी खबर

हालांकि, डॉक्टर्स और सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि मटन, चिकन खाने से किसी भी प्रकार का कोई भी संक्रमण का खतरा नहीं है, लेकिन बावजूद इसके मुर्गी पालन व्यवसाय पर खराब असर पड़ा. झारखंड में मुर्गी पालन व्यवसाय की बात करें तो महीने में लगभग 250 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. इस कारोबार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2 हजार से अधिक बड़े व्यापारी और 6 हजार से अधिक छोटे व्यापारी जुड़े हुए हैं. 120 से 130 रुपए केजी बिकने वाला चिकन कोरोना वायरस की वजह से 20 से 35 रुपए केजी बिक रहा है. इसके कारण कई व्यापारियों ने अपनी दुकान बंद कर दी.

थोक विक्रेता रमेश साहू की मानें तो शादी सीजन को देखते हुए उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाया था. शादी पार्टी और कई रेस्टॉरेंट से तमाम ऑर्डर भी मिल चुके थे, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ये व्यवसाय पूरी तरह बर्बाद हो चुका है.

ये भी पढ़ें: रांची के हिंदपीढ़ी में कोरोना संदिग्ध को लाने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम, लौटी बैरंग

पोल्ट्री फॉर्म संचालक अश्विनी कुमार ने बताया कि शादी सीजन को देखते हुए इस बार मुर्गा फार्मिंग के तहत लोन लेकर दोगुना पूंजी फंसाया था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सब बर्बाद हो चुका है. उन्होंने बताया कि एक मुर्गा को पालने में लगभग 100 से 110 रुपए तक का लागत पड़ता है. क्योंकि मुर्गों को खिलाने वाला दाना काफी महंगा हो चुका है.

रांची: कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है. इसके कारण आर्थिक क्षेत्र में भी काफी क्षति हुई है. कोरोना वायरस के कारण मुर्गी पालन व्यवसाय में काफी गिरावट आई है. इसके कारण पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायी में मायूसी है. लोग कोरोना वायरस के डर से मुर्गा-मटन खाने से कतराने लगे हैं, जिसका असर व्यवसायियों पर खास तौर पर देखने को मिल रहा है.

देखिए पूरी खबर

हालांकि, डॉक्टर्स और सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि मटन, चिकन खाने से किसी भी प्रकार का कोई भी संक्रमण का खतरा नहीं है, लेकिन बावजूद इसके मुर्गी पालन व्यवसाय पर खराब असर पड़ा. झारखंड में मुर्गी पालन व्यवसाय की बात करें तो महीने में लगभग 250 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. इस कारोबार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2 हजार से अधिक बड़े व्यापारी और 6 हजार से अधिक छोटे व्यापारी जुड़े हुए हैं. 120 से 130 रुपए केजी बिकने वाला चिकन कोरोना वायरस की वजह से 20 से 35 रुपए केजी बिक रहा है. इसके कारण कई व्यापारियों ने अपनी दुकान बंद कर दी.

थोक विक्रेता रमेश साहू की मानें तो शादी सीजन को देखते हुए उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाया था. शादी पार्टी और कई रेस्टॉरेंट से तमाम ऑर्डर भी मिल चुके थे, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ये व्यवसाय पूरी तरह बर्बाद हो चुका है.

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पोल्ट्री फॉर्म संचालक अश्विनी कुमार ने बताया कि शादी सीजन को देखते हुए इस बार मुर्गा फार्मिंग के तहत लोन लेकर दोगुना पूंजी फंसाया था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सब बर्बाद हो चुका है. उन्होंने बताया कि एक मुर्गा को पालने में लगभग 100 से 110 रुपए तक का लागत पड़ता है. क्योंकि मुर्गों को खिलाने वाला दाना काफी महंगा हो चुका है.

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