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'न चिट्ठी न कोई संदेश', ठप होने की कगार पर डाक विभाग की ये सेवा

डाक विभाग की लेटर बॉक्स सेवा बंद होने की कगार पर है. मोबाइल-इंटरनेट के दौर में लोग अब संदेश लेटर भेजना पोस्ट बॉक्स के जरिए धीरे-धीरे कम हो गए हैं. हालांकि डाक विभाग की सेवा अभी भी संचालित है, लेकिन लोगों का रुझान जरूर कम हो गया है.

लेटर बॉक्स
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Published : Oct 9, 2019, 1:06 PM IST

रांची: मोबाइल-इंटरनेट के क्षेत्र में क्रांति के दौर में हमारी पुरानी सेवाएं ठप होने की कगार पर हैं. लेटर बॉक्स, पोस्ट कार्ड अब धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों पर दर्ज होने की दहलीज पर आ गई है. मोबाइल इंटरनेट के दौर में लोगों ने अब दोस्तों रिश्तेदारों को पत्र भेजना कम कर दिया है और इसका असर पड़ा है डाक विभाग के लेटर बॉक्स पर. हालांकि डाक विभाग की सेवा अभी भी संचालित है, लेकिन लोगों का रुझान जरूर कम हो गया है.

देखें पूरी खबर

रिस्पॉन्स न के बराबर
लोग अब पत्र के माध्यम से अपने दोस्त परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश नहीं भेजते हैं. बल्कि व्हाट्सएप, मेल, टि्वटर जैसे सोशल साइट्स के माध्यम से कुछ सेकेंड के अंदर उन तक अपना संदेश पहुंचा देते हैं. हालांकि अभी भी यह सेवा डाक विभाग की ओर से संचालित जरूर है, लेकिन लोगों का रिस्पॉन्स ना के बराबर है.

ये भी पढ़ें- राजधानी एक्सप्रेस में अव्यवस्था, यात्री ने ट्वीट के जरिए पीएमओ और रेल मंत्री से की शिकायत

लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र
डाक विभाग के लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र का रह गया है. नतीजा विभाग ने भी इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है. राजधानी रांची की अगर बात करें तो शहर में जगह-जगह लेटर बॉक्स लगे तो हैं, लेकिन तमाम जगहों पर ताले जड़े हैं. इन वॉक्स में अब कोई पत्र डालता भी नहीं. स्थानीय लोग कहते हैं कि ये लेटर बॉक्स का ताला अब खुलता भी नहीं है. पहले डाक विभाग के डाकिया लेटर बॉक्स के तालों को समय-समय पर आकर खोलते थे, लेकिन अब इन तालों में भी जंग लग गया है.

ये भी पढ़ें- रांची में हथियारबंद अपराधियों ने पेट्रोल पंप पर की 9 लाख की लूट, विरोध करने पर मैनेजर को पीटा

सिर्फ रक्षाबंधन के दौरान ही सुचारू रहती है व्यवस्था
रक्षाबंधन जैसे त्योहार के मौके पर ही या सेवा सुचारू दिखती है. बहनें अपने भाइयों को डाक विभाग के ही स्पीड पोस्ट के माध्यम से राखियां भेजती हैं. उसी दौरान यह विभाग काफी तेजी से काम भी करता दिखता है.

रांची: मोबाइल-इंटरनेट के क्षेत्र में क्रांति के दौर में हमारी पुरानी सेवाएं ठप होने की कगार पर हैं. लेटर बॉक्स, पोस्ट कार्ड अब धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों पर दर्ज होने की दहलीज पर आ गई है. मोबाइल इंटरनेट के दौर में लोगों ने अब दोस्तों रिश्तेदारों को पत्र भेजना कम कर दिया है और इसका असर पड़ा है डाक विभाग के लेटर बॉक्स पर. हालांकि डाक विभाग की सेवा अभी भी संचालित है, लेकिन लोगों का रुझान जरूर कम हो गया है.

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रिस्पॉन्स न के बराबर
लोग अब पत्र के माध्यम से अपने दोस्त परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश नहीं भेजते हैं. बल्कि व्हाट्सएप, मेल, टि्वटर जैसे सोशल साइट्स के माध्यम से कुछ सेकेंड के अंदर उन तक अपना संदेश पहुंचा देते हैं. हालांकि अभी भी यह सेवा डाक विभाग की ओर से संचालित जरूर है, लेकिन लोगों का रिस्पॉन्स ना के बराबर है.

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लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र
डाक विभाग के लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र का रह गया है. नतीजा विभाग ने भी इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है. राजधानी रांची की अगर बात करें तो शहर में जगह-जगह लेटर बॉक्स लगे तो हैं, लेकिन तमाम जगहों पर ताले जड़े हैं. इन वॉक्स में अब कोई पत्र डालता भी नहीं. स्थानीय लोग कहते हैं कि ये लेटर बॉक्स का ताला अब खुलता भी नहीं है. पहले डाक विभाग के डाकिया लेटर बॉक्स के तालों को समय-समय पर आकर खोलते थे, लेकिन अब इन तालों में भी जंग लग गया है.

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सिर्फ रक्षाबंधन के दौरान ही सुचारू रहती है व्यवस्था
रक्षाबंधन जैसे त्योहार के मौके पर ही या सेवा सुचारू दिखती है. बहनें अपने भाइयों को डाक विभाग के ही स्पीड पोस्ट के माध्यम से राखियां भेजती हैं. उसी दौरान यह विभाग काफी तेजी से काम भी करता दिखता है.

Intro:रांची


मोबाइल -इंटरनेट के क्षेत्र में क्रांति के दौर में हमारी पुरानी सेवाएं ठप होने की कगार पर है. लेटर बॉक्स- पोस्ट कार्ड अब धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों पर दर्ज होने की दहलीज पर है . मोबाइल इंटरनेट के दौर में लोगों ने अब दोस्तों रिश्तेदारों को पत्र भेजना कम कर दिया है और इसका असर पड़ा है डाक विभाग के लेटर बॉक्स पर .हालांकि डाक विभाग की सेवा अभी भी संचालित है लेकिन लोगों का रुझान जरूर कम हो गया है.....


Body:लोग अब पत्र के माध्यम से अपने दोस्त परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश नहीं भेजते हैं. बल्कि व्हाट्सएप मेल टि्वटर जैसे सोशल साइट्स के माध्यम से कुछ सेकेंड के अंदर उन तक अपना संदेश पहुंचा देते हैं और इसी तेजी के कारण आज पत्र भेजने की तरीके परंपरा बनकर रह गया है .हालांकि अभी भी यह सेवा डाक विभाग का संचालित जरूर है.लेकिन लोगों का रेस्पॉन्स न के बराबर है .मोबाइल इंटरनेट के दौर में लोगों ने अब पत्र भेजना कम कर दिया है .तो इधर डाक विभाग के लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र रह गया है .नतीजा विभाग ने भी इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है .राजधानी रांची कि अगर हम बात करें तो शहर में जगह-जगह लेटर बॉक्स लगे हुए हैं. लेकिन तमाम जगहों पर ताले जड़े हैं .इन वॉक्स पर अब कोई पत्र डालता भी नही.स्थानीय लोग कहते हैं कि ये लेटर बॉक्स का ताला अब खुलता भी नहीं है.पहले डाक विभाग के डाकिया द्वारा लेटर बॉक्स के तालों को समय-समय पर आकर खोला जाता था .लेकिन अब इन तालों में भी जंग लग गया है.


सिर्फ रक्षाबंधन के दौरान ही सुचारु रहता है व्यवस्था:

रक्षाबंधन जैसे त्यौहार के मौके पर ही या सेवा सुचारू दिखती है. बहनें अपने भाइयों को डाक विभाग के द्वारा ही स्पीड पोस्ट के माध्यम से राखियां भेजती हैं और उसी दौरान यह विभाग काफी तेजी से काम करता भी दिखता है. लेकिन फिर भी लेटर बॉक्स की जो हालत है वह वाकई यह इतिहास के पन्नों में जल्द ही दर्ज होने की कगार पर है .




Conclusion:इससे कहीं ना कहीं यह कहावत चरितार्थ होता दिख रहा है कि विकास विनाश के बाद ही होता है .एक तरफ जहां हम इंटरनेट की सुविधाओं को ले रहे हैं तो वहीं अपनी पुरानी प्रचलित सेवाओं को बंद कर दे रहे हैं जो किसी विनाश से कम नहीं है.


byte-रामू विजयवर्गीय, स्थानीय.

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