रांची: मोबाइल-इंटरनेट के क्षेत्र में क्रांति के दौर में हमारी पुरानी सेवाएं ठप होने की कगार पर हैं. लेटर बॉक्स, पोस्ट कार्ड अब धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों पर दर्ज होने की दहलीज पर आ गई है. मोबाइल इंटरनेट के दौर में लोगों ने अब दोस्तों रिश्तेदारों को पत्र भेजना कम कर दिया है और इसका असर पड़ा है डाक विभाग के लेटर बॉक्स पर. हालांकि डाक विभाग की सेवा अभी भी संचालित है, लेकिन लोगों का रुझान जरूर कम हो गया है.
रिस्पॉन्स न के बराबर
लोग अब पत्र के माध्यम से अपने दोस्त परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश नहीं भेजते हैं. बल्कि व्हाट्सएप, मेल, टि्वटर जैसे सोशल साइट्स के माध्यम से कुछ सेकेंड के अंदर उन तक अपना संदेश पहुंचा देते हैं. हालांकि अभी भी यह सेवा डाक विभाग की ओर से संचालित जरूर है, लेकिन लोगों का रिस्पॉन्स ना के बराबर है.
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लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र
डाक विभाग के लेटर बॉक्स का प्रयोग अब नाम मात्र का रह गया है. नतीजा विभाग ने भी इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है. राजधानी रांची की अगर बात करें तो शहर में जगह-जगह लेटर बॉक्स लगे तो हैं, लेकिन तमाम जगहों पर ताले जड़े हैं. इन वॉक्स में अब कोई पत्र डालता भी नहीं. स्थानीय लोग कहते हैं कि ये लेटर बॉक्स का ताला अब खुलता भी नहीं है. पहले डाक विभाग के डाकिया लेटर बॉक्स के तालों को समय-समय पर आकर खोलते थे, लेकिन अब इन तालों में भी जंग लग गया है.
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सिर्फ रक्षाबंधन के दौरान ही सुचारू रहती है व्यवस्था
रक्षाबंधन जैसे त्योहार के मौके पर ही या सेवा सुचारू दिखती है. बहनें अपने भाइयों को डाक विभाग के ही स्पीड पोस्ट के माध्यम से राखियां भेजती हैं. उसी दौरान यह विभाग काफी तेजी से काम भी करता दिखता है.