रांची: झारखंड में धर्म परिवर्तन हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है. खास तौर से किसी भी आदिवासी का ईसाई बनना या कोई और धर्म अपनाना सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता ना होकर राजनीतिक मुद्दा भी रहा है. इसी मुद्दे पर गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में आवाज उठाई. झारखंड में आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर विवाद और बढ़ सकता है.
निशिकांत दुबे में लोकसभा में कहा कि धर्मांतरण इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोगों को लालच दिया जा रहा है. उन्होंने आर्टिकल 341 और आर्टिकल 342 का जिक्र करते हुए कहा कि अनसूचित जाति (schedule caste) और अनसूचित जनजाति (schedule tribe) के लोगों को आरक्षण मिला है. आर्टिकल 341 में कहा गया है कि जैसे ही अनसूचित जाति (schedule caste) के लोग धर्म परिवर्तन करेंगे उनका अनसूचित जाति (schedule caste) वाला स्टेटस खत्म हो जाएगा.
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निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा कि अनसूचित जनजाति (schedule tribe) का अलग नेचर है, वो अलग तरह से विचार करते हैं, इसलिए भारत सरकार को आर्टिकल 341 की तरह आर्टिकल 342 को लागू करना चाहिए, जिससे जो भी अनसूचित जनजाति (schedule tribe) धर्मांतरित होते हैं उनका आरक्षण वापस हो और धर्मांतरण को रोका जा सके.
बीजेपी, झारखंड में धर्म परिवर्तन और आदिवासियों के ईसाई बनने का मुद्दा हमेशा से उठाती रही है. रघुबर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए झारखंड रिलीजियस फ्रीडम कानून 2017 पास किया था. इस बिल में खास तौर पर बलपूर्वक धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया है. इसके अलावा जो स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की सूचना सरकार को नहीं देते हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.
अब झारखंड के बीजेपी नेता निशिकांत दुबे के संसद में उठाए गए सवाल को सही बताते हुए कह रहे हैं कि धर्म परिवर्तन के बाद भी आरक्षण का लाभ लेना उचित नहीं है. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक का मानना है कि उनकी सरकार में धर्मांतरण पर काफी हद तक रोक लगी थी. लेकिन वर्तमान सरकार में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है.
वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को जबतक लगा कि दलित और आदिवासी उसके साथ हैं तो वह चुप रही अब जबकि ये दोनों उनसे दूर हो रहा हैं तो ऐसे अटपटे सवाल बीजेपी सांसद उठा रहे हैं. कांग्रेस नेता शमशेर आलम का कहना है कि बीजेपी आदिवासियों का अधिकार छीनना चाहती है, जिसमें वह कामयाब नहीं होगी. वहीं, आदिवासी जन परिषद ने संसद में उठाए गए इस मुद्दे का समर्थन किया है और दूसरा धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को फिर से अपने धर्म में वापस आ जाने की अपील की है.