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आखिर हेमंत सोरेन के दिल में क्या है, सीएम के दिल्ली दौरे पर गर्म हुई झारखंड की राजनीति

15 सितंबर को सीएम हेमंत सोरेन ने अचानक राज्यपाल से मुलाकात की और फिर दिल्ली के लिए रवाना हो गए (CM Hemant Soren Delhi visit). उनके इस मुलाकात और फिर दिल्ली जाने को लेकर रांची में राजनीति गर्म हो गई है. कई तरह की चर्चाएं हो रहीं है कि आखिर सीएम दिल्ली क्यों गए हैं.

CM Hemant Soren Delhi visit
CM Hemant Soren Delhi visit
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Published : Sep 16, 2022, 1:26 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली दौरे पर हैं (CM Hemant Soren Delhi visit) और झारखंड की राजधानी रांची में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दरअसल 15 सितंबर को जिस तरीके से सीएम हेमंत सोरेन ने काम किया उसके बाद इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ ली है कि हेमंत सोरेन सियासत को किस रंग में रंगना चाहते हैं. 15 सितंबर को घटनाएं झारखंड की राजनीति में चर्चा का विषय बनीं हुईं हैं पहले राज्यपाल से मुलाकात के और फिर उसके बाद दिल्ली की रवानगी.

ये भी पढ़ें: झारखंड सरकार के मंत्री दे सकते हैं इस्तीफा, सीएम हेमंत सोरेन गए दिल्ली, बढ़ी राजनीतिक हलचल

15 सितंबर को हेमंत कुमार अचानक राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंच गए. उन्होंने राज्यपाल से यह मांग कर दी निर्वाचन आयोग ने जो भी फैसला दिया है उसे सार्वजनिक कर दें. क्योंकि रिपोर्ट के सामने नहीं आने पर राज्य में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. इस मुलाकात के घंटे भर भी नहीं बीते थे कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उसके बाद से रांची की राजनीति में घमासान मचा हुआ है.

1932 के खतियान आधारित आधारित स्थानीय नीति के मामले को लेकर कांग्रेस सहित दूसरे नेता सकते में हैं. जो निर्णय हेमंत सोरेन ने लिया है उसे राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनकी पत्नी जो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं 1932 आधारित खतियान को स्थानीय नीति बनाने का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा इस बात को लेकर के भी चर्चा जोरों पर है कि हेमंत सोरेन ने आखिर यह निर्णय इतनी जल्दबाजी में क्यों लिया.

हेमंत के दिल्ली दौरे को लेकर के रांची में कयासों का बाजार गर्म है. अलग-अलग तरीके की बयानबाजी भी चल रही है. कहा यह भी जा रहा है मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है या फिर इस नीति के विरोध में कांग्रेस कोटे के कई नेता जो नाराज चल रहे हैं उनमें से कुछ इस्तीफा भी दे सकते हैं. इस डैमेज को कैसे कंट्रोल किया जाए संभवतः इस मामले को लेकर भी हेमंत सोरेन दिल्ली में हैं, लेकिन कुल मिलाकर के रांची से जो राजनीति दिल्ली गई है और दिल्ली से जो कुछ निकलकर रांची आना है उससे राज्य की राजनीति में बड़े उहापोह की स्थिति हो गई है. अब देखना है कि सियासत वाला यह दांव पर राजनीति के किस रंग को लेकर आगे बढ़ता है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली दौरे पर हैं (CM Hemant Soren Delhi visit) और झारखंड की राजधानी रांची में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दरअसल 15 सितंबर को जिस तरीके से सीएम हेमंत सोरेन ने काम किया उसके बाद इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ ली है कि हेमंत सोरेन सियासत को किस रंग में रंगना चाहते हैं. 15 सितंबर को घटनाएं झारखंड की राजनीति में चर्चा का विषय बनीं हुईं हैं पहले राज्यपाल से मुलाकात के और फिर उसके बाद दिल्ली की रवानगी.

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15 सितंबर को हेमंत कुमार अचानक राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंच गए. उन्होंने राज्यपाल से यह मांग कर दी निर्वाचन आयोग ने जो भी फैसला दिया है उसे सार्वजनिक कर दें. क्योंकि रिपोर्ट के सामने नहीं आने पर राज्य में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. इस मुलाकात के घंटे भर भी नहीं बीते थे कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उसके बाद से रांची की राजनीति में घमासान मचा हुआ है.

1932 के खतियान आधारित आधारित स्थानीय नीति के मामले को लेकर कांग्रेस सहित दूसरे नेता सकते में हैं. जो निर्णय हेमंत सोरेन ने लिया है उसे राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनकी पत्नी जो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं 1932 आधारित खतियान को स्थानीय नीति बनाने का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा इस बात को लेकर के भी चर्चा जोरों पर है कि हेमंत सोरेन ने आखिर यह निर्णय इतनी जल्दबाजी में क्यों लिया.

हेमंत के दिल्ली दौरे को लेकर के रांची में कयासों का बाजार गर्म है. अलग-अलग तरीके की बयानबाजी भी चल रही है. कहा यह भी जा रहा है मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है या फिर इस नीति के विरोध में कांग्रेस कोटे के कई नेता जो नाराज चल रहे हैं उनमें से कुछ इस्तीफा भी दे सकते हैं. इस डैमेज को कैसे कंट्रोल किया जाए संभवतः इस मामले को लेकर भी हेमंत सोरेन दिल्ली में हैं, लेकिन कुल मिलाकर के रांची से जो राजनीति दिल्ली गई है और दिल्ली से जो कुछ निकलकर रांची आना है उससे राज्य की राजनीति में बड़े उहापोह की स्थिति हो गई है. अब देखना है कि सियासत वाला यह दांव पर राजनीति के किस रंग को लेकर आगे बढ़ता है.

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