रांची: वर्तमान में कोरोना संक्रमण की मार हर किसी को झेलनी पड़ रही है. इसमें वैसे पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो दिन रात कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी निभाने में लगे हुए हैं. यही वजह है कि ड्यूटी के दौरान अपराधियों की धर-पकड़ के फेर में झारखंड पुलिस के 700 से अधिक जवान और पदाधिकारी कोरोना की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके हैं.
अनलॉक में बढ़ा ग्राफ, धर-पकड़ में संक्रमित हुए पुलिसवाले
दरअसल, अनलॉक के शुरुआत होते ही अपराधिक वारदातें भी बढ़ गई. नतीजा अब पुलिस के लिए पकड़े गए अपराधी कोरोना बम से कम नहीं हैं. गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजने तक पुलिस की सांस अटकी रहती है. राजधानी रांची सहित झारखंड के अन्य जिलों में भी अपराधियों ने अपनी हलचल शुरू कर दी है. नतीजा आए दिन हत्या, लूट, चोरी और डकैती की वारदातें सामने आ रही हैं. वारदात हो रहे हैं तो उनमें शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी भी की जा रही है. कोरोना संक्रमण से पहले पुलिस बेहिचक अपराधियों की गिरफ्तारी करती थी, लेकिन अब यह ट्रेंड बदल चुका है. पुलिस अब किसी भी अपराधी पर हाथ डालने से पहले एक बार नहीं बल्कि एक हजार बार सोच रही है, क्योंकि उन्हें यह डर है कि कहीं पकड़ा गया अपराधी कोरोना से संक्रमित तो नहीं है. अनलॉक के बाद सड़क पर भीड़ भी काफी बढ़ गई है. ऐसे में 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिस के जवान भी काफी सहमे हुए ड्यूटी कर रहे हैं. पहले ड्यूटी के दौरान सड़क पर भी अपराधियों को पकड़ने में भी कोई तनाव नहीं रहता था. उस दौरान खतरा सिर्फ अपराधियों से होता था, लेकिन अब वर्तमान समय में कोरोना पुलिसवालों के लिए एक बड़ा खतरा बनकर सामने आया है.
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एसोसिएशन की मांग जिनसे समाज को खतरा, उन्हीं पर डाली जाए दबिश
झारखंड में पुलिसवालों के लगातार कोरोना संक्रमित पाए जाने को लेकर पुलिस एसोसिएशन भी काफी चिंतित है. पुलिस एसोसिएशन ने तो डीजीपी से यह मांग की है कि वर्तमान दौर में सिर्फ वैसे ही अपराधियों की धर-पकड़ के लिए जान जोखिम में डाली जाए जो समाज के लिए खतरा बने हुए हैं. वैसे फरार वारंटी जिनके 1 महीने या 2 महीने बाद भी गिरफ्तार होने से कोई फर्क नहीं पड़ता हो उन पर फिलहाल हाथ नहीं डाला जाए.
खतरा है, लेकिन काम तो करना पड़ेगा: रूरल एसपी
रांची के रूरल एसपी नौशाद आलम के अनुसार, कोरोना संक्रमण का खतरा सबको है, अब वो चाहे वह आम इंसान हो या फिर पुलिसकर्मी. लेकिन आम इंसान चाहे तो भीड़ भाड़ वाले जगहों पर न भी जाएं तो उनका काम हो सकता है, लेकिन पुलिसवालों के लिए समय एकदम विपरीत है. पुलिस के सामने कई चुनौतियां हैं. उन्हें अपराधियों को गिरफ्तार भी करना है. जिसके लिए उन्हें पीजिकल रूप से एक्टिव होना पड़ता है. ऐसे में गिरफ्तारी के लिए निकलने वाली टीम को अलग से निर्देश जारी किए गए हैं. हाल के दिनों में रांची के खलारी, सदर, गोंदा, अगोड़ा, धुर्वा और हिंदपीढ़ी से गिरफ्तार कई अपराधी कोरोना संक्रमित निकलें और इनकी गिरफ्तारी के चक्कर में पुलिसवाले भी कोरोना के शिकार हो गए.
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केस स्टडी- 1
एक सफ्ताह पहले राजधानी रांची के चुटिया इलाके से चार कोयला कारोबारियों की हत्या की प्लानिंग कर रहे पांच कुख्यात अपराधियों को पुलिस ने बड़ी मुश्किल से धर दबोचा था. इन अपराधियों की धर-पकड़ और पूछताछ के दौरान रांची के सदर लालपुर और गोंदा प्रभारी, एसएसपी के बॉडीगार्ड कोरोना पॉजिटिव हो गए, क्योकि गिरफ्तार अपराधियों में से एक कोरोना संक्रमित था.
केस स्टडी- 2
रांची पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए इसी सप्ताह रांची के वांटेड गैंगस्टर अमन साहू को गिरफ्तार किया. अमन साहू के साथ उसका एक और साथी राहुल चौबे भी गिरफ्तार हुआ था, जो कोरोना पॉजिटिव निकला. दोनों अपराधियों से पूछताछ करने वाले 4 आईपीएस अधिकारी सहित कई थाना प्रभारी फिलहाल इस वजह से क्वॉरेंटाइन में हैं.
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गुणवत्ता वाले मास्क और सेनेटाइजर उपलब्ध
वहीं, रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र झा भी पुलिस फोर्स को लेकर बेहद चिंतित हैं. सीनियर एसपी के अनुसार, पुलिस टीम में सभी को उच्च गुणवत्ता वाले मास्क, हैंडलर और सेनेटाइजर दिए गए हैं. सीनियर एसपी के अनुसार, इस कठिन परिस्थिति में अपनी ड्यूटी निभा रहे पुलिसवालों का पुलिस मुख्यालय की तरफ से विशेष ध्यान भी रखा जा रहा है. उन्हें ह्यूमनिटी बूटसप की दवाइयां तो दी ही जा रही हैं, साथ ही उनके खाने-पीने का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
गिरफ्तारी और जांच पर असर नहीं
कोरोना संक्रमण की वजह से अपराधियों की गिरफ्तारी और मामले की जांच पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ा है. कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन से अनलॉक तक जो भी कांड हुए उसमें से अधिकांश मामलों का पुलिस ने खुलासा कर लिया है. कुछ मामलों में पुलिस की अनुसंधान अभी जारी है और अपराधियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस की टीम लगी हुई है.
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ट्रायल पर असर
हालांकि, गिरफ्तार अपराधियों के ट्रायल पर जरूर असर पड़ा है. क्योंकि झारखंड हाई कोर्ट और सिविल कोर्ट में वर्तमान में सुनवाई काफी कम हो रही है. फिलहाल, तो झारखंड हाई कोर्ट और सिविल कोर्ट दोनों एहतियातन बंद कर दिया गया है. कुछ मामलों की सुनवाई जरूर ऑनलाइन हो रही है. ऐसे में पुलिस को सजा की बिंदु में थोड़ी कठिनाई जरूर हो रही है.
कोरोना वॉरियर्स को दें शहीद का दर्जा
दूसरी तरफ झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने यह मांग की है कि कोरोना वॉरियर के रूप में काम कर रहे पुलिसवालों कि अगर इस वजह से जान जाती है तो उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए. शहीद होने के बाद जो पैसे मिलते हैं, वही राशि उनके परिजनों को भी दी जाए.
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रखा जा रहा है विशेष ध्यान
झारखंड के डीजीपी एमपी राव की माने तो कोरोना काल के दौरान गिरफ्तार किए जा रहे सभी अपराधियों की कोरोना जांच कराई जा रही है. रिपोर्ट आने के बाद ही उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी अपराधी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे पुलिस सुरक्षा में अस्पताल ले जाया जाता है और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेजा जाता है. वहीं, वैसे कैदी जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है फिर भी उन्हें एहतियात के तौर पर जेल के अंदर ही बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में 15 दिनों तक रखा जाता है.