रांची: 2016 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट प्रभावित करने के आरोपों से संबंधित प्रस्तुत किये गए ऑडियो टेप की एफएसएल रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी गई है. इस ऑडियो टेप में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई है. इस मामले को लेकर जगन्नाथपुर पुलिस योगेंद्र साव से जेल में पूछताछ करेगी.
बाबूलाल ने जारी किया था टेप
गांधीनगर एफएसएल ने इस मामले में एक रिपोर्ट रांची के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी को भेजी है. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चुनाव के दौरान यह ऑडियो टेप जारी किए थे. एफएसएल की रिपोर्ट में जिक्र है कि ऑडियो के बैकग्राउंड में जो आवाजें हैं, वह रुक-रुक कर आ रही हैं. आवाजों में बैकग्राउंड आवाज की अनियमितता 27 बार पाई गई है.
क्या है मामला
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में जेवीएम सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी ने योगेंद्र साव से एडीजी अनुराग गुप्ता एवं एक अन्य की बातचीत का ऑडियो जारी किया था. इसी आधार पर जगन्नाथपुर थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई थी. मामले में कोर्ट के आदेश पर सीलबंद डीवीडी को जांच के लिए 29 मार्च 2018 को गांधीनगर एफएसएल भेजा गया था.
मूल यंत्र नहीं मिलने पर रिकॉडिंग का समय और तिथि बताना संभव नहीं
विधि विज्ञान प्रयोगशाला के तकनीकी विशेषज्ञों ने यह भी बताया है कि मूल यंत्र के बगैर रिकॉर्डिंग की तिथि और समय बताना संभव नहीं है. पुलिसिया जांच के लिए रिकॉर्डिंग की तिथि और समय जानना महत्वपूर्ण तथ्य है, लेकिन मूल यंत्र केस के अनुसंधानकर्ता को अबतक नहीं मिल पाया है. अनुसंधानकर्ता ने इसके लिए योगेंद्र साव को पूर्व में नोटिस भी भेजा था.
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योगेंद्र साव से दोबारा पूछताछ के मांगे आदेश
केस के अनुसंधानकर्ता जगन्नाथपुर थानेदार अनूप कुमार कर्मकार ने केस के गवाह योगेंद्र साव से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची में जाकर दोबारा पूछताछ की अनुमति मांगी है. रिकॉर्डिंग का मूलयंत्र योगेंद्र साव के पास ही है.
मूलयंत्र नहीं आ पाया सामने
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज कांड में रांची पुलिस को केस दर्ज होने के एक साल बाद भी वह मूल यंत्र नहीं मिल पाया है. जिसका इस्तेमाल कर कथित तौर पर रिकॉर्डिंग की गई थी. 24 अप्रैल को राज्यसभा चुनाव मामले में एडीजी अनुराग गुप्ता, अजय कुमार को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद रांची पुलिस ने केस में गवाह के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस नेता योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नोटिस कर मूलयंत्र की मांग की थी.
बाबूलाल मरांडी ने अपने बयान में कहा था कि मूलयंत्र उनके पास नहीं बल्कि योगेंद्र साव के पास है. पुलिस ने योगेंद्र साव को दर्जनों बार नोटिस भेजा, लेकिन उन्होंने मूल यंत्र देने से इंकार कर दिया. वहीं, निर्मला देवी और योगेंद्र साव ने अबतक अपना बयान भी पुलिस को दर्ज नहीं कराया है. रांची पुलिस की टीम पूर्व में दोनों साक्षियों का बयान लेने उस दौरान भोपाल भी गई थी. योगेंद्र साव अब जेल में हैं, ऐसे में पुलिस उनसे जेल में पूछताछ करेगी.