रांची: एक दौर था जब सरकारी जमीन पर एक ईंट रखने पर भी लोगों के दम फूलते थे. लेकिन अब बिल्कुल उल्टा हो रहा है. झारखंड में आवास बोर्ड की जमीन ही नहीं फ्लैट पर भी अवैध कब्जा कर लिया गया है. लाख कोशिशों के बाद भी हाउसिंग बोर्ड जमीन को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पा रहा है.
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अतिक्रमणकारियों के सामने सिस्टम लाचार
राजधानी में हालत यह है कि अतिक्रमणकारियों के सामने सिस्टम भी लाचार हो गया है. सरकार ने ओने पौने दाम पर उन्हीं अतिक्रमणकारियों को जमीन और फ्लैट देने की तैयारी कर रही ली है जिन्होंने अवैध कब्जा कर लिया है. अब सवाल है कि अगर ऐसा होगा तो क्या सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को बढ़ावा नहीं मिलेगा.
रांची समेत कई जिलों में हो चुका है अतिक्रमण
राज्य के विभिन्न शहरों में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है. आंकड़ों के अनुसार जमशेदपुर के आदित्यपुर में सौ से अधिक एकड़ जमीन अतिक्रमित है तो वहीं रांची में करीब 28 एकड़ जबकि पलामू, हजारीबाग और धनबाद में 19 एकड़ जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. इतना ही नहीं आवास बोर्ड की सैकड़ों फ्लैट पर भी अवैध कब्जा कर लिया गया है. कब्जे को हटाने के लिए आवास बोर्ड लंबे समय से मशक्कत कर रही है मगर कानूनी उलझन और कब्जाधारियों की पहुंच के आगे आवास बोर्ड विवश है. अधिवक्ता अविनाश कुमार के मुताबिक आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैट को अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रयास कभी भी ईमानदारी से नहीं किया गया.
अधिकारियों पर पैसे के लेनदेन का आरोप
पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैट अतिक्रमण मुक्त नहीं होने के पीछे अधिकारियों के द्वारा पैसे की लेनदेन और वोट की राजनीति को बताया है. उन्होंने कहा कि उनके मंत्री रहते भी कई बार प्रयास किए गए थे मगर वे सफल नहीं हो पाए.
अतिक्रमणकारियों को बसाएगी सरकार
राज्य सरकार अतिक्रमणकारियों को हटाने के बजाय उसे वहीं बसाने के लिए पॉलिसी बना रही है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि भूमिहीनों और बेघरों को जो सरकारी जमीन पर लंबे समय से रह रहे हैं उन्हें आवास योजना से जोड़ने के लिए सरकार ने जमीन का पट्टा देने का निर्णय लिया है. इधर नगर विकास विभाग भी हाउसिंग बोर्ड की जमीन और फ्लैट को अतिक्रमणमुक्त कराने के उद्देश्य से उन्हें मालिकाना हक देने की तैयारी कर रही है.