रांची: सिमडेगा मॉब लिंचिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत से न्याय की गुहार लगाई गई है. मृतक के परिजन को झारखंड के नए कानून के अनुसार मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है. परिजन को शीघ्र सुरक्षा दिलाने की भी मांग की है. मृतक के परिजनों ने आशंका जताई है कि कहीं उसके परिवार के साथ भी कोई हादसा ना हो जाए. इसलिए उन्होंने अतिशीघ्र सुरक्षा व्यवस्था की भी मांग की है.
सिमडेगा मॉब लिंचिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें गुहार लगाई गई है कि केस पर सिमडेगा जिला न्यायालय में सुनवाई ना होकर रांची जिला न्यायालय में सुनवाई की जाए ताकि गवाह बिना डरे अदालत में अपनी बात रख सकें. याचिका में कहा गया है कि गांव के पंचायत इस वारदात में शामिल है. इससे लगता है कि वहां पर गवाह निर्भीक रूप से गवाही नहीं दे सकेंगे. जिससे केस प्रभावित होगा. उन्होंने इस मामले की मॉनिटरिंग और सुपरविजन भी हाईकोर्ट से करने की मांग की है.
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याचिकाकर्ता पंकज यादव ने जनहित याचिका दायर की है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने याचिका के जरिए अदालत को बताया है कि सिमडेगा जिले के कोलेबिरा में मॉब लिंचिंग की गई थी. जिसमें संजू प्रधान को भीड़ ने पहले पीटा, पत्थरों से मारा और फिर क्रूरता के साथ जिंदा जला दिया गया. यह हृदय विदारक घटना है इस घटना से उसके परिवार के लोग भयभीत हैं. इसलिए उनके परिवार को अतिशीघ्र सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जानी चाहिए. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि झारखंड सरकार ने भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 पारित की गई है. मॉब लिंचिंग एक्ट निर्बल और असहाय लोगों की मदद के लिए बनाया गया है. इसके तहत झारखंड में मॉब लिंचिंग के पीड़ित के परिवार को कम से कम पांच लाख का मुआवजा और दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इसलिए दोषियों को नए कानून के अनुसार सजा दी जाए. मामले में झारखंड सरकार के गृह सचिव, झारखंड पुलिस प्रमुख डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, सिमडेगा जिले के पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है.