रांची: एक लंबे अंतराल के बाद पूरे देश के साथ-साथ झारखंड के विभिन्न जिलों और राजधानी में भी शिक्षण संस्थान, कॉलेज और स्कूल भी खोल दिए गए हैं. ऐसे में राज्य के विभिन्न निजी स्कूलों में परिचालित हो रहे स्कूल बस के संचालकों को भी राहत मिली है. एक लंबे समय से स्कूल बस नहीं चलने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. पिछले 2 सालों से स्कूल बसों के पहिए थमे हुए थे. इस वजह से बस संचालकों को लाखों का नुकसान भी उठाना पड़ा है. कई बसें कबाड़ हो गए. कई बसों का फिटनेस अब तक सही नहीं कराया जा सका.
इसे भी पढ़ें: स्कूल बस में लगी आग, बाल-बाल बचे बच्चे, बस में नहीं थे फायर सेफ्टी के इंतजाम
बिना फिटनेस सर्टिफिकेट ही होने लगा बसों का संचालन: स्कूल खुलते ही बस ऑपरेटर से विभिन्न निजी स्कूलों से बस की डिमांड भी होने लगी. आनन-फानन में बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के ही बसों का संचालन शुरु कर दिया गया. जबकि बसों में सुरक्षा मानक शपथ पत्र (Safety Standard Affidavit) के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट की अनिवार्यता का प्रावधान जिले में किया गया है. इसे लेकर स्कूल वाहन प्रबंधकों को कई जरूरी निर्देश भी दिए गए थे. डीटीओ ने कहा था कि ड्राइवर और खलासी को अग्निशामक यंत्र (Fire Extinguisher) का उपयोग करने का प्रशिक्षण होना चाहिए.
765 वाहनों में से 284 बस का परमिट है फेल: डीटीओ की ओर से 765 वाहनों को परमिट जारी किया गया है. इसमें 284 बस ऐसे हैं, जिनका परमिट फेल (Permit of school buses are fail) हो चुका है. कई बसों का फिटनेस भी सही नहीं है. इसके अलावा कई बस ऐसे है जो फिटनेस टेस्ट में भी फेल (school bus fitness is fail) हो चुके हैं. इसके बावजूद शहर में ऐसे बस स्कूली बच्चों को लेकर सड़क पर चल रही है. इससे साफ है कि शहर में धड़ल्ले से चल रहे स्कूल बसों में सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
स्कूल प्रबंधन को कार्रवाई करने का निर्देश: मामले की गंभीरता को देखते हुए तमाम स्कूलों को इस संबंध में जल्द से जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. बता दें कि पिछले दिनों एक खड़ी स्कूल बस में अचानक आग लग गई थी. जांच के बाद पता चला कि स्कूल बस का मेंटेनेंस सही तरीके से नहीं किया गया था. इन्हीं दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल बसों के लिए विभिन्न नियम बनाए गए हैं.