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कोर्ट के प्रति लोगों का बढ़ा है भरोसा, दरिंदों को मिल रही फांसी की सजा

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Published : Jan 8, 2020, 9:03 PM IST

रांची के व्यवहार न्यायालय से भी दुष्कर्म के दो मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हो चुकी है. ऐसे में लोगों में न्यायालय के प्रति और भी विश्वास बढ़ा है. रांची के व्यवहार न्यायालय से हाल के दिनों में दो चर्चित मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है.

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रांची व्यवहार न्यायालय

रांची: दिल्ली की निर्भया के दोषियों को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 22 जनवरी को चारों दोषियों को सुबह के 7:00 बजे फांसी दी जाएगी. फांसी की खबर सुनाए जाने के बाद पूरे देश के लोगों में न्याय के प्रति लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है. रांची के व्यवहार न्यायालय से भी दुष्कर्म के दो मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हो चुकी है. ऐसे में लोगों में न्यायालय के प्रति और भी विश्वास बढ़ा है.

देखें पूरी खबर

फांसी की सजा
रांची के व्यवहार न्यायालय से हाल के दिनों में दो चर्चित मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है.12 फरवरी 2018 को गांधी उरांव को नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने पोक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई.

ये भी पढ़ें- अनाथ सपना के हौसले को DC ने दी उड़ान, अभिभावक बन स्कूल में कराया एडमिशन

पहली घटना
बता दें कि 19 मार्च 2014 की रात गांधी उरांव ने कांटा टोली कब्रिस्तान में 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना को अंजाम दिया था. पोस्को के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है.

ये भी पढ़ें- शहर की सड़कों की सूरत बिगाड़ने पर नगर परिषद और बिजली विभाग में ठनी, 50 लाख मांगी बैंक गारंटी

दूसरी वारदात
वहीं, दूसरी घटना बूटी मोड़ के निर्भया मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्र की अदालत ने 21 दिसंबर 2019 को दोषी राहुल राज को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई है. यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है, जब बूटी मोड़ स्थित किराये के मकान में रह रही बीटेक की छात्रा के साथ युवक ने दुष्कर्म करने के बाद उसे जिंदा जलाकर मार डाला था.18 महीने की जांच के बाद पुलिस के हाथ खाली थे. इसके बाद राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा. सीबीआई ने आरोपी को गिरफ्त में लेकर न्यायालय में पेश किया और न्यायालय में स्पीडी ट्रायल के जरिए त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी को सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया.

रांची: दिल्ली की निर्भया के दोषियों को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 22 जनवरी को चारों दोषियों को सुबह के 7:00 बजे फांसी दी जाएगी. फांसी की खबर सुनाए जाने के बाद पूरे देश के लोगों में न्याय के प्रति लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है. रांची के व्यवहार न्यायालय से भी दुष्कर्म के दो मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हो चुकी है. ऐसे में लोगों में न्यायालय के प्रति और भी विश्वास बढ़ा है.

देखें पूरी खबर

फांसी की सजा
रांची के व्यवहार न्यायालय से हाल के दिनों में दो चर्चित मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है.12 फरवरी 2018 को गांधी उरांव को नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने पोक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई.

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पहली घटना
बता दें कि 19 मार्च 2014 की रात गांधी उरांव ने कांटा टोली कब्रिस्तान में 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना को अंजाम दिया था. पोस्को के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है.

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दूसरी वारदात
वहीं, दूसरी घटना बूटी मोड़ के निर्भया मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्र की अदालत ने 21 दिसंबर 2019 को दोषी राहुल राज को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई है. यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है, जब बूटी मोड़ स्थित किराये के मकान में रह रही बीटेक की छात्रा के साथ युवक ने दुष्कर्म करने के बाद उसे जिंदा जलाकर मार डाला था.18 महीने की जांच के बाद पुलिस के हाथ खाली थे. इसके बाद राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा. सीबीआई ने आरोपी को गिरफ्त में लेकर न्यायालय में पेश किया और न्यायालय में स्पीडी ट्रायल के जरिए त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी को सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया.

Intro:डे प्लान की स्पेशल खबर...रांची व्यवहार न्यायालय से भी दुष्कर्म के बाद हत्या से जुड़े दो मामले पर हुई है फांसी की सजा , न्यायालय के प्रति लोगों का बड़ा है भरोसा

रांची
बाइट---अशोक कुमार राय विशेष लोक अभियोजक
बाइट---संजय कुमार अधिवक्ता

दिल्ली की निर्भया के आरोपियों को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है 22 जनवरी को चारों दोषियों को सुबह के 7:00 बजे फांसी दी जाएगी। फाँसी की खबर सुनाए जाने के बाद पूरे देश के लोगों में न्याय के प्रति लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है। रांची के व्यवहार न्यायालय से भी दुष्कर्म के दो मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हो चुकी है ऐसे में लोगों में न्याय के प्रति और भी विश्वास मजबूत हुआ है लोगों की माने तो न्याय में थोड़ी सी विलम जरूर होती है लेकिन अंततः दोषी को कर्म के अनुसार सजा जरूर मिलती है।


रांची के व्यवहार न्यायालय से हाल के दिनों में दो चर्चित मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है 12 फरवरी 2018 को गांधी उरांव को नाबालिक बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने सेक्सन 376(2)(i),302,201 IPC पोक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई थी। मामले में 19 मार्च 2014 की रात गांधी उरांव कांटा टोली कब्रिस्तान में 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म एवं हत्या कर घटना को अंजाम दिया था। पोस्को के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है

वहीं दूसरा बहुत चर्चित मामला बूटी मोड़ के निर्भया मामला में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने 21 दिसंबर 2019 को दोषी राहुल राज को अदालत ने धारा 302 201 376 और 449 के तहत दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है जब बूटी मोड़ स्थित किराए के मकान में रह रहे बीटेक की छात्रा के साथ दोषी ने दुष्कर्म करने के बाद जिंदा जलाकर घटना को अंजाम दिया था 18 महीने के जांच के बाद पुलिस जहां खाली रह गई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपी थे सीबीआई के द्वारा आरोपी को गिरफ्त में लेकर न्यायालय में पेश किया गया न्यायालय में स्पीडी ट्रायल के जरिए त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी को सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया।






Body:पोस्को मामले के विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार राय ने कहा कि इस तरह के घृणित कार्य करने वाले दोषियों को जो अदालत के द्वारा फैसला सुनाया जा रहा है वह काफी सराहनीय है इस तरह के फैसले से लोगों में न्यायालय के प्रति और भी भरोसा मजबूत होता है साथ ही उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में रांची व्यवहार न्यायालय से भी दो ऐसे फैसले आए हैं जिसमें दोषी को फांसी की सजा दी गई है वहीं अधिवक्ता संजय कुमार की माने तो जिस तरह से निचली अदालत से दोषी को फांसी की सजा सुनाई जाती है और कंफर्मेशन के लिए हाईकोर्ट भेजा जाता है ऐसे में हाई कोर्ट के द्वारा भी जल्द से जल्द मामले पर प्रक्रिया सुनवाई पूर्ण किया जाना चाहिए ताकि दोषी को सही सजा मिल सके



Conclusion:
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