रांचीः उमस भरी गर्मी के बीच झारखंड में बिजली संकट जारी है. इससे शहरी और ग्रामीणों में रहने वाले लोग काफी परेशान हैं. इसकी वजह है कि मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है. शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की स्थिति और खराब है. बिजली की आंखमिचौली से परेशान लोग अब सड़कों पर उतरने लगे हैं.
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झारखंड के चतरा जिला हो या फिर दुमका या सिमडेगा. इन सभी जिलों की स्थिति एक जैसी है. वहीं, रांची के शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बिजली कटौती की जा रही है. बिजली की आंखमिचौली से परेशान अमित कुमार सोनी कहते हैं कि बिजली बिल समय पर नहीं देने पर विभाग के अधिकारी बिजली कनेक्शन काटने में देरी नहीं करते हैं. लेकिन बिजली की लचर व्यवस्था पर कुछ जवाब नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि बिजली की आंखमिचौली से लोग रतजगा करने को मजबूर हैं.
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है. बिजली कटने की वजह लोकल फॉल्ट है. लोकल फॉल्ट की सूचना मिलते ही तत्काल दुरुस्त कर बिजली आपूर्ति बहाल की जाती है. सोमवार को राज्य भार प्रेषण केंद्र में सुबह 9 बजे 1420 मेगावाट की डिमांड थी, जिसे पूरा करने का विभाग ने दावा किया है.
राज्य भार प्रेषण केंद्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि टीवीएनएल से करीब 317 मेगावाट, इनलैंड से 53 मेगावाट, आधुनिक से 97 मेगावाट, सेंट्रल सेक्टर से 726 मेगावाट के अलावे सोलर पावर से करीब 300 मेगावाट बिजली मिलती है. उन्होंने कहा कि शाम होते ही सोलर पावर से मिलने वाली बिजली 300 मेगावाट की कमी हो जाती है. वहीं, डिमांड बढ़ जाती है. इससे बिजली की कटौती आंशिक रूप से की जाती है.
बिजली गुल होते ही पावर स्टेशन और पावर सब स्टेशनों में कार्यरत कर्मियों को फोन कॉल आने शुरू हो जाते हैं. परेशान लोग लगातार फोन कर जानने की कोशिश करते हैं कि बिजली कब आयेगी. वहीं, अधिकारी बिजली कटौती को लोकल फॉल्ट का बहाना बना रहे हैं.