रांची: झारखंड में नक्सलियों के छोटे-छोटे समूह पुलिस के लिए सर दर्द साबित हो रहे हैं. ये स्पिलंटर ग्रुप राजधानी रांची सहित कई शहरों के ग्रामीण इलाकों में अपना कहर बरपा रहे हैं. इनका मुख्य काम लेवी वसूलना और अपराधियों की तरह घटनाओं को अंजाम देना है. पुलिस के द्वारा राज्य में एक जनवरी से 18 जुलाई तक उग्रवादी संगठनों से कुल 26 बार मुठभेड़ हुए हैं. इस मुठभेड़ में 22 उग्रवादियों की मौत हुई है.
नक्सलियों के स्प्लिंटर ग्रुप
पीएलएफआई, झारखंड लीब्रेसन टाइगर्स, टीपीसी, झारखंड संघर्ष मोर्चा जैसे करीब दर्जन भर नक्सलियों के स्प्लिंटर ग्रुप झारखंड में बड़े नक्सली संगठन से ज्यादा आतंक मचाने में लगे हुए हैं. ये स्प्लिंटर ग्रुप राजधानी रांची के आसपास के जिलों में ज्यादा ही आतंक मचाए हुए है. रांची के खलारी, मांडर जैसे इलाकों में तो इनकी तूती बोलती है. ये हर महीने लाखों रुपए इस इलाके से लेवी वसूलते हैं और अपना संगठन चलाते हैं.
इनमें 20 से 25 लोगों की संख्या है, जिसमें कई अपराधी भी शामिल है. जो अपने आप को मजबूत साबित करने के लिए संगठन में शामिल हो गए हैं. ग्रामीण इलाकों में ये मोटर साइकिल लूट से लेकर सुपारी लेकर हत्या तक का काम कर रहे हैं. इनका सबसे ज्यादा शिकार कोयला कंपनी हो रही है. जहां से ये लेवी नहीं मिलने पर कोयले की ढुलाई तक बंद करवा देते हैं. अक्सर कोयला कंपनियों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों के वाहनों को आग के हवाले कर देते हैं.
MHA के रिपोर्ट में भी खतरनाक
एमएचए (मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स) के अनुसार राज्य में लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म मामले में भाकपा माओवादी से अलग हुए छोटे-छोटे ग्रुप ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं. मुख्य रूप से राजधानी रांची समेत गढ़वा, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, खूंटी, लोहरदगा और पलामू ऐसे जिले हैं, जहां इन छोटे-छोटे ग्रुप्स का प्रभाव है. इन ग्रुप में पीएलएफआई और टीपीसी जैसे नाम हैं जो लेवी वसूलने और हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. इन गुटों ने पिछले साल जनवरी से लेकर अबतक 105 वारदातों को अंजाम दिया है, जबकि 57 प्रतिशत नक्सली हिंसा में हुई मौत के लिए भी यही जिम्मेदार हैं.
छोटे संगठनों को किया जाए टारगेट
गृह मंत्रालय ने इन छोटे संगठनों को टारगेट करने की सलाह दी है. इसके साथ ही माओवादी उग्रवादियों की झारखंड रीजनल कमिटी, पूर्वी बिहार-पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमिटी, बिहार-झारखंड और ओडिशा बॉर्डर रीजनल कमिटी के खिलाफ ऑपरेशन चलाने की सलाह दी है.
26 मुठभेड़ में मारे गए हैं 22 उग्रवादी
राज्य पुलिस के द्वारा एक जनवरी से 18 जुलाई तक उग्रवादी संगठनों से कुल 26 बार मुठभेड़ हुए हैं. मुठभेड़ में 22 उग्रवादियों की मौत हुई है. आईजी अभियान आशीष बत्रा ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ राज्य में लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, जिसमें पुलिस को सफलता भी मिल रही है.
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल हुए मुठभेड़ में पीएलएफआई के 11, भाकपा माओवादी के पांच, जबकि टीपीसी व जेजेएमपी के तीन-तीन उग्रवादी मारे गए हैं. आईजी अभियान ने बताया कि जेजेएमपी ने इस साल आठ घटनाओं को अंजाम दिया है. जेजेएमपी के खिलाफ चार घटनाएं लातेहार, जबकि एक-एक घटना रांची, पलामू, गढ़वा और चतरा में की गई थी.
इसके अलावा नक्सली संगठन पीएलएफआई के द्वारा झारखंड के खूंटी जिले में लगातार वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है, जबकि नक्सली संगठन टीपीसी चतरा इलाके में कोयला कंपनियों से वसूली कर जमकर कमाई कर रहा है.
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JJMP ने किन-किन घटनाओं का दिया अंजाम
- 11 जुलाई को जेजेएमपी उग्रवादियों ने लातेहार के चंदवा टोरी कोल साइडिंग में एक दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. घटना के पीछे कमांडर पप्पू लोहर का हाथ बताया जा रहा था.
- गढ़वा में कुरूर के समीप बीड़ी पत्ता लदे पांच ट्रकों को आग लगाकर जेजेएमपी के द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.
- 25 जून को जेजेएमपी उग्रवादियों ने सरकारी योजना के तहत तालाब निर्माण में लगी गाड़ियों को कोदाग में आग के हवाले कर दिया था. इस मामले में लातेहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
- 12 जून को लोहरदगा के बगडू में संयुक्त अभियान के दौरान जेजेएमपी के साथ मुठभेड़ के बाद जेजेएमपी के एरिया कमांडर उदय यादव को गिरफ्तार किया गया था.