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बिना ओबीसी आरक्षण के झारखंड में होगा पंचायत चुनाव, जानिए सुदेश महतो ने क्यों किया विरोध

झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में जवाब दिया है. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान बीजेपी विधायक के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के झारखंड में पंचायत चुनाव होगा. वहीं, आजसू प्रमुख सुदेश महतो सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुरूप ओबीसी को पंचायत चुनाव में आरक्षण का लाभ देने की मांग करते दिखे.

Panchayat elections in Jharkhand
झारखंड में पंचायत चुनाव
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Published : Mar 9, 2022, 2:28 PM IST

Updated : Mar 9, 2022, 8:17 PM IST

रांची: झारखंड में बिना ओबीसी आरक्षण के ही पंचायत चुनाव होगा. यही नहीं 13 अधिसूचित जिलों में भी पेसा की व्यवस्था के बिना ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा . विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने ध्यानाकर्षण के दौरान भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी के सवाल पर सरकार का स्टैंड क्लियर कर दिया है.

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पंचायत चुनाव की अवधि समाप्त: सदन में बोलते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 31 मार्च 2020 को ही झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अवधि समाप्त हो गई थी. इस बीच कोरोना संक्रमण के कारण दो बार कार्यकारी समिति का गठन कर पंचायती व्यवस्था चलाई जा रही थी. इसी दौरान जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आलोक में ट्रिपल टेस्ट के तहत ओबीसी के आरक्षण की बात सामने आई थी. लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने में वक्त लगेगा. इसकी वजह से 15वें वित्त आयोग की राशि नहीं मिल पाएगी. इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि ओबीसी आरक्षण का सर्वे कराए बगैर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा. हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि कैबिनेट में फैसला लेकर पिछड़ा आयोग का गठन किया जाएगा.

मंत्री आलमगीर आलम और सुदेश महतो

बीजेपी को पिछड़ों की नहीं आयी याद: मंत्री आलमगीर आलम के बयान पर भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार जब इतना देर तक इंतजार कर चुकी है तो एक और एक्सटेंशन देकर सर्वे का काम पूरा कराया जा सकता है. इसका आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव हो गया तो ओबीसी को 5 साल और इंतजार करना पड़ेगा. रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है और खुद विभागीय मंत्री भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इसलिए उन्हें पिछड़े का दर्द महसूस करना चाहिए. ऐसा कहते ही विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने तल्ख अंदाज में कहा कि 5 साल तक भाजपा के नेतृत्व में शासन चला. लेकिन इस दौरान पिछड़ों की याद नहीं आई. अब जब पंचायत चुनाव कराने की तैयारी सरकार कर चुकी है तब आरक्षण की बात की जा रही है. मंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से जब पंचायत चुनाव नहीं हो पा रहा था तो यही विपक्षी दल वाले सरकार को खरी खोटी सुनाया करते थे.

ये भी पढ़ें- विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे विधायक इरफान अंसारी, सदर अस्पताल से हटाए गए सुरक्षाकर्मी को बहाल करने की मांग

पुरानी व्यवस्था के तहत होगी चुनाव: इसी दौरान झामुमो विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि झारखंड में 13 अधिसूचित जिले हैं. जहां पेसा कानून की व्यवस्था के तहत पंचायत का चुनाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है. इसपर भी सरकार का स्टैंड क्लियर करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि पुरानी व्यवस्था के तहत ही सभी जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा.

ओबीसी आरक्षण के बाद ही हो पंचायत चुनाव- सुदेश महतो: इधर, सरकार के इस निर्णय पर सियासत तेज हो गई है. सदन के अंदर और बाहर इसको लेकर राजनेताओं की अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती रही. आजसू प्रमुख सुदेश महतो सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुरूप ओबीसी को पंचायत चुनाव में आरक्षण का लाभ देने की मांग करते दिखे. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो एक बार फिर एक्सटेंशन देकर ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है. 15वें वित्त आयोग की राशि लटकने के डर से सरकार ऐसा कदम नहीं उठाये, बल्कि केन्द्र सरकार से भी इस संबंध में बात कर ओबीसी आरक्षण लागू की जा सकती है.


पंचायत चुनाव की तैयारी है अंतिम चरण में: राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी अंतिम चरण में है. 5 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची का विखंडन का काम राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूरा कर चूका है. पंचायत चुनाव में कुल 2,44,73,937 वोटर भाग लेंगे जिसमें 1,26,13,219 पुरुष और 1,18,60,442 महिला और 276 थर्ड जेंडर हैं. 3,95,798 युवा वोटर पंचायत चुनाव में भाग लेंगे. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में होना था. पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव नहीं हो सका, फिर कोरोना के कारण चुनाव लटकता चला गया. ऐसे में सरकार पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चला रही है.

रांची: झारखंड में बिना ओबीसी आरक्षण के ही पंचायत चुनाव होगा. यही नहीं 13 अधिसूचित जिलों में भी पेसा की व्यवस्था के बिना ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा . विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने ध्यानाकर्षण के दौरान भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी के सवाल पर सरकार का स्टैंड क्लियर कर दिया है.

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पंचायत चुनाव की अवधि समाप्त: सदन में बोलते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 31 मार्च 2020 को ही झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अवधि समाप्त हो गई थी. इस बीच कोरोना संक्रमण के कारण दो बार कार्यकारी समिति का गठन कर पंचायती व्यवस्था चलाई जा रही थी. इसी दौरान जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आलोक में ट्रिपल टेस्ट के तहत ओबीसी के आरक्षण की बात सामने आई थी. लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने में वक्त लगेगा. इसकी वजह से 15वें वित्त आयोग की राशि नहीं मिल पाएगी. इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि ओबीसी आरक्षण का सर्वे कराए बगैर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा. हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि कैबिनेट में फैसला लेकर पिछड़ा आयोग का गठन किया जाएगा.

मंत्री आलमगीर आलम और सुदेश महतो

बीजेपी को पिछड़ों की नहीं आयी याद: मंत्री आलमगीर आलम के बयान पर भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार जब इतना देर तक इंतजार कर चुकी है तो एक और एक्सटेंशन देकर सर्वे का काम पूरा कराया जा सकता है. इसका आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव हो गया तो ओबीसी को 5 साल और इंतजार करना पड़ेगा. रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है और खुद विभागीय मंत्री भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इसलिए उन्हें पिछड़े का दर्द महसूस करना चाहिए. ऐसा कहते ही विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने तल्ख अंदाज में कहा कि 5 साल तक भाजपा के नेतृत्व में शासन चला. लेकिन इस दौरान पिछड़ों की याद नहीं आई. अब जब पंचायत चुनाव कराने की तैयारी सरकार कर चुकी है तब आरक्षण की बात की जा रही है. मंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से जब पंचायत चुनाव नहीं हो पा रहा था तो यही विपक्षी दल वाले सरकार को खरी खोटी सुनाया करते थे.

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पुरानी व्यवस्था के तहत होगी चुनाव: इसी दौरान झामुमो विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि झारखंड में 13 अधिसूचित जिले हैं. जहां पेसा कानून की व्यवस्था के तहत पंचायत का चुनाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है. इसपर भी सरकार का स्टैंड क्लियर करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि पुरानी व्यवस्था के तहत ही सभी जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगा.

ओबीसी आरक्षण के बाद ही हो पंचायत चुनाव- सुदेश महतो: इधर, सरकार के इस निर्णय पर सियासत तेज हो गई है. सदन के अंदर और बाहर इसको लेकर राजनेताओं की अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती रही. आजसू प्रमुख सुदेश महतो सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुरूप ओबीसी को पंचायत चुनाव में आरक्षण का लाभ देने की मांग करते दिखे. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो एक बार फिर एक्सटेंशन देकर ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है. 15वें वित्त आयोग की राशि लटकने के डर से सरकार ऐसा कदम नहीं उठाये, बल्कि केन्द्र सरकार से भी इस संबंध में बात कर ओबीसी आरक्षण लागू की जा सकती है.


पंचायत चुनाव की तैयारी है अंतिम चरण में: राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी अंतिम चरण में है. 5 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची का विखंडन का काम राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूरा कर चूका है. पंचायत चुनाव में कुल 2,44,73,937 वोटर भाग लेंगे जिसमें 1,26,13,219 पुरुष और 1,18,60,442 महिला और 276 थर्ड जेंडर हैं. 3,95,798 युवा वोटर पंचायत चुनाव में भाग लेंगे. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में होना था. पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव नहीं हो सका, फिर कोरोना के कारण चुनाव लटकता चला गया. ऐसे में सरकार पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चला रही है.

Last Updated : Mar 9, 2022, 8:17 PM IST
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