ETV Bharat / city

महिमा छठी माई केः क्यों सबसे खास होता है छठ का तीसरा दिन, देखिए ठेकुआ बनाने की विधि - Pahla Arghaya Chhath Puja

छठ का तीसरा दिन सबसे खास होता है. इस दिन परवैतिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इससे पहले दिन भर परवैतिन निर्जला उपवास पर रहती हैं. घाट ले जाने के लिए सूप और दउरा सजाती हैं और सबसे खास प्रसाद ठेकुआ भी बनाती हैं. इस बार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तिथि 20 नवंबर है.

Chhath Puja 2020
Chhath Puja 2020
author img

By

Published : Nov 19, 2020, 12:25 PM IST

रांची/पटनाः छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. खरना के अगले दिन परवैतिन निर्जला उपवास करती हैं और दिनभर पूजा की तैयारी के बाद शाम को नदी या जलाशय के पास घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. हालांकि अब घर पर भी लोग अर्घ्य देने लगे हैं.

वीडियो में देखिए तीसरे दिन की पूजा विधि

सूर्य देव और छठी माई को ठेकुआ प्रसाद प्रिय है. इसे गेहूं के आटे, गुड़, मेवा और घी डालकर बनाया जाता है. इसके लिए गेहूं को पानी से अच्छी तरह धोकर सूखाते हैं. इसके बाद इस गेहूं को हाथ चक्की में पीसते हैं. पीसे हुए आटे में गुड़, सौंफ, घी और सूखा मेवा मिलाया जाता है. आटे को थोड़ा कड़ा गूंथते हैं. आटे के छोटे-छोटे टुकड़े लेकर उसे लकड़ी के सांचे में रखकर दबाते हैं और फिर मिट्टी के चूल्हे में कड़ाही में घी डालकर पकाते हैं. प्रसाद के लिए बने इस ठेकुए का स्वाद अदभुत होता है. एक बार फिर फटाफट समझते हैं ठेकुआ बनाने की विधि.

Thekua recipe
ठेकुआ बनाने का आसान तरीका

पूजा के लिए जरूरी सामान

ठेकुआ के अलावा कुछ और चीजें पूजा में जरूरी हैं. प्रसाद के लिए चावल से खास लड्डू बनाए जाते हैं. इसके साथ ही छठ पूजा में बांस की टोकरी का विशेष महत्‍व होता है. बांस को आध्‍यात्‍म की दृष्टि से शुद्ध माना जाता है. इसमें पूजा की सभी सामग्री को पीतल या बांस के सूप में रखकर अर्घ्‍य देने के लिए पूजा स्‍थल तक लेकर जाते हैं. अर्घ्‍य देते वक्‍त पूजा की सामग्री में गन्‍ने का होना सबसे जरूरी समझा जाता है. गन्‍ने को मीठे का शुद्ध स्रोत माना जाता है. छठी माई की पूजा में केले का पूरा गुच्‍छ मां को अर्पित किया जाता है. अर्घ्‍य देने के लिए जुटाई गई सामग्रियों में पानी वाला नारियल भी महत्‍वपूर्ण माना जाता है. छठ माता को इसका भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है. छठ मइया के गीतों में भी केले और नारियल का जिक्र है. खट्टे के तौर पर डाभ नींबू भी अर्पित किया जाता है. एक विशेष नींबू बहुत बड़े आकार का होता है. इसके साथ ही मिट्टी के दीये और अर्घ्य के लिए तांबे का लोटा भी रखना चाहिए.

Chhath Puja 2020
पूजा के लिए सामान की सूची

पूजा की सामग्री दउरा में रखकर परवैतिन के परिजन घाट की ओर जाते हैं. परवैतिन भी परिवार को सदस्यों के साथ घाट के लिए निकलती हैं और छठ मइया के गीत गाते हुए बढ़ती रहती हैं. परवैतिनों को कोई कष्ट न हो इसके लिए आम लोग भी ध्यान रखते हैं. कुछ परवैतिन बैंड-बाजे के साथ घाट तक जाती हैं. आम तौर पर कोई मनोकामना पूरी होने पर ऐसा किया जाता है. इसी तरह कुछ परवैतिन दंडवत करते हुए घाट तक जाती हैं. ये बड़ा कठिन होता है. घाट पहुंचकर परवैतिन कमर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य के डूबने का इंतजार करती हैं. इनमें कुछ सिर्फ नारियल लेकर पानी में खड़ी रहती हैं.मान्यता है कि किसी मनोकामना के लिए ऐसा किया जाता है. डूबते सूर्य को परवैतिन सूप में रखकर प्रसाद अर्पित करती हैं और परिजन जल से अर्घ्य देते हैं.

ये भी पढ़ें-महिमा छठी माई केः छठ के दूसरे दिन से शुरू होता है 36 घंटे का उपवास, जानिए खरना की विधि

अस्तचलगामी भगवान सूर्य की पूजा कर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि जिस सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया, उसके निस्तेज होने पर भी हम उनका नमन करते हैं. छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है जो सफाई की प्रेरणा देती है. शाम के पहले अर्घ्य के बाद सभी लोग घर गीत गाते हुए घर लौट आते हैं. रात में घर की महिलाएं छठ माई की महिमा को गीतों के जरिए सुनाती हैं और सुबह का इंतजार करती हैं. छठ के चौथे दिन की परंपरा के बारे में जानने के लिए आप भी थोड़ा इंतजार करिए. महिमा छठी माई के अगली कड़ी में बताएंगे चौथे दिन के अर्घ्य और पारण की विधि. जय छठी मइया.

रांची/पटनाः छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. खरना के अगले दिन परवैतिन निर्जला उपवास करती हैं और दिनभर पूजा की तैयारी के बाद शाम को नदी या जलाशय के पास घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. हालांकि अब घर पर भी लोग अर्घ्य देने लगे हैं.

वीडियो में देखिए तीसरे दिन की पूजा विधि

सूर्य देव और छठी माई को ठेकुआ प्रसाद प्रिय है. इसे गेहूं के आटे, गुड़, मेवा और घी डालकर बनाया जाता है. इसके लिए गेहूं को पानी से अच्छी तरह धोकर सूखाते हैं. इसके बाद इस गेहूं को हाथ चक्की में पीसते हैं. पीसे हुए आटे में गुड़, सौंफ, घी और सूखा मेवा मिलाया जाता है. आटे को थोड़ा कड़ा गूंथते हैं. आटे के छोटे-छोटे टुकड़े लेकर उसे लकड़ी के सांचे में रखकर दबाते हैं और फिर मिट्टी के चूल्हे में कड़ाही में घी डालकर पकाते हैं. प्रसाद के लिए बने इस ठेकुए का स्वाद अदभुत होता है. एक बार फिर फटाफट समझते हैं ठेकुआ बनाने की विधि.

Thekua recipe
ठेकुआ बनाने का आसान तरीका

पूजा के लिए जरूरी सामान

ठेकुआ के अलावा कुछ और चीजें पूजा में जरूरी हैं. प्रसाद के लिए चावल से खास लड्डू बनाए जाते हैं. इसके साथ ही छठ पूजा में बांस की टोकरी का विशेष महत्‍व होता है. बांस को आध्‍यात्‍म की दृष्टि से शुद्ध माना जाता है. इसमें पूजा की सभी सामग्री को पीतल या बांस के सूप में रखकर अर्घ्‍य देने के लिए पूजा स्‍थल तक लेकर जाते हैं. अर्घ्‍य देते वक्‍त पूजा की सामग्री में गन्‍ने का होना सबसे जरूरी समझा जाता है. गन्‍ने को मीठे का शुद्ध स्रोत माना जाता है. छठी माई की पूजा में केले का पूरा गुच्‍छ मां को अर्पित किया जाता है. अर्घ्‍य देने के लिए जुटाई गई सामग्रियों में पानी वाला नारियल भी महत्‍वपूर्ण माना जाता है. छठ माता को इसका भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है. छठ मइया के गीतों में भी केले और नारियल का जिक्र है. खट्टे के तौर पर डाभ नींबू भी अर्पित किया जाता है. एक विशेष नींबू बहुत बड़े आकार का होता है. इसके साथ ही मिट्टी के दीये और अर्घ्य के लिए तांबे का लोटा भी रखना चाहिए.

Chhath Puja 2020
पूजा के लिए सामान की सूची

पूजा की सामग्री दउरा में रखकर परवैतिन के परिजन घाट की ओर जाते हैं. परवैतिन भी परिवार को सदस्यों के साथ घाट के लिए निकलती हैं और छठ मइया के गीत गाते हुए बढ़ती रहती हैं. परवैतिनों को कोई कष्ट न हो इसके लिए आम लोग भी ध्यान रखते हैं. कुछ परवैतिन बैंड-बाजे के साथ घाट तक जाती हैं. आम तौर पर कोई मनोकामना पूरी होने पर ऐसा किया जाता है. इसी तरह कुछ परवैतिन दंडवत करते हुए घाट तक जाती हैं. ये बड़ा कठिन होता है. घाट पहुंचकर परवैतिन कमर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य के डूबने का इंतजार करती हैं. इनमें कुछ सिर्फ नारियल लेकर पानी में खड़ी रहती हैं.मान्यता है कि किसी मनोकामना के लिए ऐसा किया जाता है. डूबते सूर्य को परवैतिन सूप में रखकर प्रसाद अर्पित करती हैं और परिजन जल से अर्घ्य देते हैं.

ये भी पढ़ें-महिमा छठी माई केः छठ के दूसरे दिन से शुरू होता है 36 घंटे का उपवास, जानिए खरना की विधि

अस्तचलगामी भगवान सूर्य की पूजा कर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि जिस सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया, उसके निस्तेज होने पर भी हम उनका नमन करते हैं. छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है जो सफाई की प्रेरणा देती है. शाम के पहले अर्घ्य के बाद सभी लोग घर गीत गाते हुए घर लौट आते हैं. रात में घर की महिलाएं छठ माई की महिमा को गीतों के जरिए सुनाती हैं और सुबह का इंतजार करती हैं. छठ के चौथे दिन की परंपरा के बारे में जानने के लिए आप भी थोड़ा इंतजार करिए. महिमा छठी माई के अगली कड़ी में बताएंगे चौथे दिन के अर्घ्य और पारण की विधि. जय छठी मइया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.