रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि महामारी के दौरान केंद्र सरकार अपने विफलताओं को छिपाने के लिए राज्य सरकारों पर कई चीजें थोप रही है, जो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संसद में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक प्रस्ताव आया और कहा गया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण देश में मौतें नहीं हुई है. इस जवाब से पूरा देश अचंभित हो गया है. सुप्रियो ने कहा कि आखिर कौन सा पैमाना है कि केंद्र सरकार ने आंक लिया कि भारत में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौतें नहीं हुई है. जबकि इससे उलट देश के कई क्षेत्रों में ऑक्सीजन के कारण लगातार मौतें हुई है.
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राज्य सरकारों से इस मामले में सवाल पूछना गलत
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि राज्य सरकारों की ओर से इसे लेकर कोई रिपोर्ट नहीं आई है. जबकि महामारी के वक्त जो हालात होते हैं उसमें केंद्र सरकार की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है. राज्य सरकार उनके सहयोगी के रूप में काम करती है, लेकिन कहा यह जा रहा है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश लड़ाई लड़ रहा है और कोरोना के जंग में यह लड़ाई जारी है. यह केंद्र सरकार बीमारी तक का क्रेडिट ले रही है और सभी पेट्रोल पंपों देश के विभिन्न राज्यों के दीवारों में प्रधानमंत्री का फोटो चिपकाया जा रहा है. लेकिन देशभर में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की जिम्मेदारी सरकार नहीं लेती है.
आईसीएमआर करती है तय
सुप्रियो ने कहा कि आईसीएमआर से एक प्रोटोकॉल जारी किया गया है. इस प्रोटोकॉल के तहत कहा गया है कि कोरोना वायरस में कौन सी दवाई इफेक्टिव है. कौन-कौन सी सुविधाएं मरीज को लेना चाहिए और क्या सुरक्षात्मक कदम उठाना चाहिए. यह इसी संस्थान द्वारा तय किया जाता है. टीकाकरण के साथ-साथ और भी कई तरह की चीजें इस संस्थान के जिम्मे है. यहां तक कि एडमिट करने की प्रक्रिया और डिस्चार्ज का निर्धारण भी आईसीएमआर की ओर से ही की जाती है. लेकिन आईसीएमआर ने यह नहीं कहा है कि मृत्यु के कारण का प्रोटोकॉल क्या है.
गलत रिपोर्ट पर भाजपा कर रही है सवाल
अब केंद्र सरकार के हेल्थ मिनिस्ट्री और आईसीएमआर (ICMR) को तय करना होगा कि एंबुलेंस नहीं मिलने से कितनी मौत हुई है. ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत कितनी मौतें हुई हैं और किसकी मौत बेड नहीं मिलने से हुई है. लेकिन भाजपा के नेताओं की ओर से इन दिनों एक ट्रेंड चल रहा है. चाहे इस प्रदेश के नेता हो या अन्य प्रदेश के भाजपा नेता और तो और झारखंड के जो सांसद संसद में हैं वह भी कह रहे हैं कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि झारखंड में ऑक्सीजन से कितनी मौतें हुई हैं.
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मृत्यु का भी ऑडिट होना चाहिए
केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मृत्यु का भी ऑडिट होना चाहिए. मृत्यु का आंकड़ा केंद्र की सरकार की ओर से जारी किया जाता है. जो संक्रमित होते हैं उसके भी आंकड़े केंद्र ही जारी करती है. जो ठीक हुआ है उसके आंकड़े भी केंद्र ही जारी करती है. अगर मोदी के नेतृत्व में कोरोना से देश जीत रहा है तो ऑक्सीजन के बिना जो मौतें हुई हैं उनका आंकड़ा भी केंद्र सरकार को ही बताना होगा. केंद्रीय महासचिव ने आईसीएमआर से पूछा कि आपको बताना होगा की मृत्यु के आंकड़े क्या हैं. यह भी आईसीएमआर ने तय किया है. शव को दफनाया कैसे जाएगा, अंतिम संस्कार कैसा होगा, यह भी आईसीएमआर ने ही तय किया है. झारखंड के सांसद लोकसभा और राज्यसभा में सिर्फ और सिर्फ टाइमपास करते हैं. सुप्रियो भट्टाचार्य ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 16 सांसद हैं लेकिन सब के सब निकम्मे हैं. संसद में बैठकर सिर्फ ताली बजाते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड से निर्वाचित लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को राज्य सरकार पर सवाल उठाने की बजाय गलत रिपोर्ट पर सवाल उठाए होते तो इस राज्य और राज्य के लोगों का भला हो जाता.