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रांचीः कार्यशाला का आयोजन, क्षेत्रीय भाषा को बचाने पर हुई चर्चा

राजधानी में क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सादरी भाषा पर चर्चा की गई. इस दौरान भाषा को बचाने के लिए कई तरह के प्रचार-प्रसार करने की बात कही गई.

क्षेत्रीय भाषा को बचाने के लिए कार्यशाला का आयोजन
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Published : Sep 15, 2019, 1:34 PM IST

रांची: क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झारखंड की क्षेत्रीय भाषा सादरी को लेकर एक कार्यशाला रांची के प्रेस क्लब में आयोजित की गई. इस कार्यशाला के दौरान क्षेत्रीय भाषा सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया जाए. आम लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए. ऐसे कई मसलों को लेकर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया. मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक, वंदना टेटे जैसे गणमान्य शामिल हुए.

देखें पूरी खबर

झारखंड के ऐसे कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. जो कुछ भाषाएं बोलचाल में है उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है. क्षेत्रीय भाषा सादरी को लेकर लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसी के तहत रांची में सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया गया.

वहीं, आम युवाओं के साथ-साथ लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए, झारखंड के स्मिता से जुड़ी हुई इस भाषा को ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैसे उपयोग में लाया जाए. इन तमाम मुद्दों को लेकर एक कार्यशाला आयोजित की गई. मौके पर इस कार्यशाला में नागपुरी गायक, कवि, कथावाचक मौजूद दिखे. वहीं पद्मश्री मुकुंद नायक वंदना टेटे जैसे कलाकार भी शामिल हुए.

रांची: क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झारखंड की क्षेत्रीय भाषा सादरी को लेकर एक कार्यशाला रांची के प्रेस क्लब में आयोजित की गई. इस कार्यशाला के दौरान क्षेत्रीय भाषा सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया जाए. आम लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए. ऐसे कई मसलों को लेकर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया. मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक, वंदना टेटे जैसे गणमान्य शामिल हुए.

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झारखंड के ऐसे कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. जो कुछ भाषाएं बोलचाल में है उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है. क्षेत्रीय भाषा सादरी को लेकर लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसी के तहत रांची में सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया गया.

वहीं, आम युवाओं के साथ-साथ लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए, झारखंड के स्मिता से जुड़ी हुई इस भाषा को ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैसे उपयोग में लाया जाए. इन तमाम मुद्दों को लेकर एक कार्यशाला आयोजित की गई. मौके पर इस कार्यशाला में नागपुरी गायक, कवि, कथावाचक मौजूद दिखे. वहीं पद्मश्री मुकुंद नायक वंदना टेटे जैसे कलाकार भी शामिल हुए.

Intro:रांची।

क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झारखंड की क्षेत्रीय भाषा सादरी को लेकर एक कार्यशाला रांची के प्रेस क्लब में आयोजित की गई. इस कार्यशाला के दौरान क्षेत्रीय भाषा सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया जाए .आम लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए .ऐसे कई मसलों को लेकर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया .मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक ,वंदना टेटे जैसे गणमान्य शामिल हुए.


Body:झारखंड के ऐसे कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं जो विलुप्त के कगार पर है .जो कुछ भाषाएं बोलचाल में है .उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है .क्षेत्रीय भाषा सादरी को को लेकर लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है .इसी के तहत राजधानी रांची में सादरी को किस प्रकार प्रचार-प्रसार किया जाए .आम युवाओं के साथ-साथ लोगों के बीच इस भाषा को कैसे पहुंचाया जाए .झारखंड के स्मिता से जुड़ी हुई इस भाषा को ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैसे उपयोग में लाया जाए .इन तमाम मुद्दों को लेकर एक कार्यशाला आयोजित की गई. मौके पर इस कार्यशाला में नागपुरी गायक, कवि, कथावाचक मौजूद दिखे .वहीं पद्मश्री मुकुंद नायक वंदना टेटे जैसे कलाकार भी शामिल हुए.

Conclusion:बाइट- वंदना टेटे ,महासचिव ,सादरी भाषा अखरा
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