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रांचीः कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ मजदूर संगठनों की हड़ताल शुरू, मजदूरों ने किया प्रदर्शन

कोयला खदानों के कमर्शियलाइज के खिलाफ मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू हो गई है. राजधानी रांची में भी मजदूरों ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद कर धरना प्रदर्शन किया. इस हड़ताल में अधिकांश मजदूर संगठन भाग ले रहे हैं. हड़ताल से कोल इंडिया को भारी नुकसान हुआ.

Opposition to privatization of coal mines in ranchi
सराकर से फैसला वापस लेने की मांग
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Published : Jul 2, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Jul 2, 2020, 6:37 PM IST

रांचीः देश के 41 कोयला खदानों को कमर्शियलाइज करने और सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने के खिलाफ मजदूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है. इस हड़ताल को भारतीय कोयला श्रमिक संघ, सीटू, एआईसीटीयू समेत अन्य कोयला यूनियनों का समर्थन दिया है.

देखें पूरी खबर
मजदूर संगठनों ने आज दरभंगा हाउस स्थित सीसीएल ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया. मजदूर यूनियनों की हड़ताल को वामपंथी दलों का भी समर्थन मिला है. इस मौके पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीटू के जनरल सेक्रेटरी आरपी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर मजदूरों पर पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः धनबादः कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे मजदूर, कोयलांचल में दिखा हड़ताल का असर

निजी कंपनियों के आने से कोयले की चोरी बढ़ेगी जो कोल इंडिया को बीमारू बना देगी. लिहाजा आगे चलकर कोल इंडिया की हालत खस्ता हो जाएगी जिसका सीधा असर 3 लाख मजदूरों पर पड़ेगा.

यही नहीं निजी कंपनियां मनमानी पर उतारू हो जाएंगी. कोयला क्षेत्र में 70 के दशक के पहले वाली स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वार्ता भी हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसकी वजह से हड़ताल करना पड़ा. इस हड़ताल की वजह से झारखंड में करीब 225 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा.

रांचीः देश के 41 कोयला खदानों को कमर्शियलाइज करने और सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने के खिलाफ मजदूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है. इस हड़ताल को भारतीय कोयला श्रमिक संघ, सीटू, एआईसीटीयू समेत अन्य कोयला यूनियनों का समर्थन दिया है.

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मजदूर संगठनों ने आज दरभंगा हाउस स्थित सीसीएल ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया. मजदूर यूनियनों की हड़ताल को वामपंथी दलों का भी समर्थन मिला है. इस मौके पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीटू के जनरल सेक्रेटरी आरपी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर मजदूरों पर पड़ेगा.

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निजी कंपनियों के आने से कोयले की चोरी बढ़ेगी जो कोल इंडिया को बीमारू बना देगी. लिहाजा आगे चलकर कोल इंडिया की हालत खस्ता हो जाएगी जिसका सीधा असर 3 लाख मजदूरों पर पड़ेगा.

यही नहीं निजी कंपनियां मनमानी पर उतारू हो जाएंगी. कोयला क्षेत्र में 70 के दशक के पहले वाली स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वार्ता भी हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसकी वजह से हड़ताल करना पड़ा. इस हड़ताल की वजह से झारखंड में करीब 225 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा.

Last Updated : Jul 2, 2020, 6:37 PM IST

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