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अनलॉक में बढ़े प्याज के दाम, लोग बोले- अब प्लेट से हटाना पड़ेगा प्याज

प्याज की बढ़ती कीमत की वजह से लोगों के घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. लॉकडाउन के समय प्याज की कीमत 10 से 15 रुपये थी, लेकिन जैसे ही अनलॉक सुरू होते ही लगातार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. मौजूदा वक्त में प्याज 35 रुपये से लेकर 40 रुपये तक बाजार में बिक रहा है.

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झारखंड में अनलॉक में बढ़े प्याज के दाम
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Published : Sep 16, 2020, 4:32 PM IST

रांची: देशभर में लोग कोरोना महामारी से परेशान हैं, तो दूसरी तरफ प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. इसका सीधा असर राजधानी के बाजारों में देखने को मिल रहा है. पिछले 1 महीने से प्याज के दामों में काफी वृद्धि हुई है और लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है. हालात ये हैं कि लोगों ने प्याज का इस्तेमाल भी कम कर दिया है. प्याज के दाम में भारी उछाल की वजह से एक बार फिर आम जनता के आंसू निकलने लगे हैं. प्याज की बढ़ती कीमत की वजह से लोगों के घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. लॉकडाउन के समय प्याज की कीमत 10 से 15 रुपये थी, लेकिन जैसे ही अनलॉक सुरू होते ही लगातार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. मौजूदा वक्त में प्याज 35 रुपये से लेकर 40 रुपये तक बाजार में बिक रहा है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी
वहीं, खरीदार बताते हैं कि प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों को रुला कर रख दिया है. यही कारण है कि लोगों की सब्जी से प्याज का स्वाद धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. पिछले 1 महीने में प्याज की कीमत 3 गुने से ज्यादा बढ़ गई है. प्याज की बढ़ी हुई कीमतों ने लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है. 5 से 6 किलो प्याज लेने वाले लोग अब एक या 2 किलो ले जाकर सब्र कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार के रूख से किसान आक्रोशित, संसद के समक्ष विरोध

प्याज के खुदरा विक्रेता बताते हैं कि बाहर की मंडी से प्याज कम आने के कारण प्याज के दामों में पिछले 20 दिनों से उछाल आया है. दूसरा कारण यह भी कि बड़े-बड़े व्यापारी गोडाउन में प्याज को स्टॉक कर ले रहे हैं और खुदरा बाजार में प्याज को नहीं निकाल रहे हैं जिसके कारण हम खुदरा व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि पिछले 20 दिनों पहले प्याज के दाम 15 से 20 रुपए प्रति किलो थे. तब लोग झोला भर के प्याज खरीदारी करते थे, लेकिन अब जिसे 5 किलो लेना रहता है वो आधा किलो या फिर एक किलो से ही काम चला रहे हैं. इस वक्त विक्रेताओं के ऊपर भी काफी मुसीबत पड़ी है. क्योंकि प्याज बेचकर सिर्फ खरीदारी ही निकाल पा रहे हैं. मुनाफा बिल्कुल ही नहीं निकल पा रहा है.

किसान नकुल महतो की मानें, तो झारखंड में नाम मात्र की ही प्याज की खेती की जाती है. इसके कारण प्याज की कीमत बढ़ने से झारखंड के किसानों को कोई फायदा नहीं होता बल्कि किसान से लेकर सभी वर्गों को प्याज की कीमत सिर्फ रुलाती है, क्योंकि बाहर राज्यों से ही प्याज का आयात किया जाता है.

वहीं, पंडरा बाजार समिति के आलू प्याज थोक विक्रेता संघ अध्यक्ष राम लखन साहू ने बताया कि इस बार प्याज की खेती बहुत अच्छी हुई है, लेकिन बांग्लादेश और सऊदी अरब में प्याज काफी ज्यादा निर्यात हो रहा है. दूसरी ओर देशभर में लगातार हो रही बारिश की वजह से मंडियों में प्याज का आयात कम हो गया है. जिसकी वजह से प्याज के भाव बढ़ते जा रहे हैं. वैश्विक महामारी के कारण ट्रांसपोर्टिंग चार्ज में काफी वृद्धि हुई है. पहले ट्रांसपोर्टिंग के हिसाब से अब दोगुने पैसे देने पड़ रहे हैं. झारखंड में ना के बराबर प्याज की खेती होती है. यही कारण है कि एमपी और महाराष्ट्र से प्याज का आयात करना पड़ता है. साल 2019 के सितंबर महीने में प्याज की कीमत 90 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो थी. उस लिहाज से आज प्याज की कीमत काफी कम है. कुछ दिनों में प्याज की कीमत में थोड़ा बहुत नियंत्रण देखने को मिलेगा. अभी कोरोना महामारी की वजह से बॉर्डर सील होने के कारण भी प्याज का आयात थोड़ा कम हो रहा है.

रांची: देशभर में लोग कोरोना महामारी से परेशान हैं, तो दूसरी तरफ प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. इसका सीधा असर राजधानी के बाजारों में देखने को मिल रहा है. पिछले 1 महीने से प्याज के दामों में काफी वृद्धि हुई है और लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है. हालात ये हैं कि लोगों ने प्याज का इस्तेमाल भी कम कर दिया है. प्याज के दाम में भारी उछाल की वजह से एक बार फिर आम जनता के आंसू निकलने लगे हैं. प्याज की बढ़ती कीमत की वजह से लोगों के घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. लॉकडाउन के समय प्याज की कीमत 10 से 15 रुपये थी, लेकिन जैसे ही अनलॉक सुरू होते ही लगातार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. मौजूदा वक्त में प्याज 35 रुपये से लेकर 40 रुपये तक बाजार में बिक रहा है.

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वहीं, खरीदार बताते हैं कि प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों को रुला कर रख दिया है. यही कारण है कि लोगों की सब्जी से प्याज का स्वाद धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. पिछले 1 महीने में प्याज की कीमत 3 गुने से ज्यादा बढ़ गई है. प्याज की बढ़ी हुई कीमतों ने लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है. 5 से 6 किलो प्याज लेने वाले लोग अब एक या 2 किलो ले जाकर सब्र कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार के रूख से किसान आक्रोशित, संसद के समक्ष विरोध

प्याज के खुदरा विक्रेता बताते हैं कि बाहर की मंडी से प्याज कम आने के कारण प्याज के दामों में पिछले 20 दिनों से उछाल आया है. दूसरा कारण यह भी कि बड़े-बड़े व्यापारी गोडाउन में प्याज को स्टॉक कर ले रहे हैं और खुदरा बाजार में प्याज को नहीं निकाल रहे हैं जिसके कारण हम खुदरा व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि पिछले 20 दिनों पहले प्याज के दाम 15 से 20 रुपए प्रति किलो थे. तब लोग झोला भर के प्याज खरीदारी करते थे, लेकिन अब जिसे 5 किलो लेना रहता है वो आधा किलो या फिर एक किलो से ही काम चला रहे हैं. इस वक्त विक्रेताओं के ऊपर भी काफी मुसीबत पड़ी है. क्योंकि प्याज बेचकर सिर्फ खरीदारी ही निकाल पा रहे हैं. मुनाफा बिल्कुल ही नहीं निकल पा रहा है.

किसान नकुल महतो की मानें, तो झारखंड में नाम मात्र की ही प्याज की खेती की जाती है. इसके कारण प्याज की कीमत बढ़ने से झारखंड के किसानों को कोई फायदा नहीं होता बल्कि किसान से लेकर सभी वर्गों को प्याज की कीमत सिर्फ रुलाती है, क्योंकि बाहर राज्यों से ही प्याज का आयात किया जाता है.

वहीं, पंडरा बाजार समिति के आलू प्याज थोक विक्रेता संघ अध्यक्ष राम लखन साहू ने बताया कि इस बार प्याज की खेती बहुत अच्छी हुई है, लेकिन बांग्लादेश और सऊदी अरब में प्याज काफी ज्यादा निर्यात हो रहा है. दूसरी ओर देशभर में लगातार हो रही बारिश की वजह से मंडियों में प्याज का आयात कम हो गया है. जिसकी वजह से प्याज के भाव बढ़ते जा रहे हैं. वैश्विक महामारी के कारण ट्रांसपोर्टिंग चार्ज में काफी वृद्धि हुई है. पहले ट्रांसपोर्टिंग के हिसाब से अब दोगुने पैसे देने पड़ रहे हैं. झारखंड में ना के बराबर प्याज की खेती होती है. यही कारण है कि एमपी और महाराष्ट्र से प्याज का आयात करना पड़ता है. साल 2019 के सितंबर महीने में प्याज की कीमत 90 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो थी. उस लिहाज से आज प्याज की कीमत काफी कम है. कुछ दिनों में प्याज की कीमत में थोड़ा बहुत नियंत्रण देखने को मिलेगा. अभी कोरोना महामारी की वजह से बॉर्डर सील होने के कारण भी प्याज का आयात थोड़ा कम हो रहा है.

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