रांची: झारखंड में हाथी को राजकीय पशु का दर्जा प्राप्त है, लेकिन अब इसी हाथी के रंग, रूप और उसकी प्रकृति को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहा है. पूर्ववर्ती सरकार में हुए मोमेंटम झारखंड में तत्कालीन सरकार ने हाथी 'उड़ा' दिया. वहीं, अब नया विवाद झारखंड के नए 'लोगो' में दिखाए गए हाथी को लेकर है. राज्य सरकार ने 22 जुलाई को हुई स्टेट कैबिनेट की बैठक में झारखंड के नए 'लोगो' को आत्मसात करने की घोषणा की. नए 'लोगो' में प्रदेश के प्राकृतिक और भौगोलिक संपदा को बैलेंस कर प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है.
हाथी के रंग को लेकर हो रहा है विवाद
साथ ही 'लोगो' के केंद्र बिंदु में अशोक स्तंभ प्रतीक चिन्ह के रूप में रखा गया. आधिकारिक सूत्रों की माने तो सारा विवाद लोगों के एक चक्र में दर्शाए गए हाथी को लेकर है. विवाद हाथी के सफेद रंग को लेकर है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो हाथी के सफेद रंग को लेकर स्वीकार्यता नहीं बन पा रही है. दरअसल, सफेद हाथी अपने आप में एक मुहावरा है. जिसके अर्थ पर जाएं तो यह बात सामने आती है कि बहुमूल्य वस्तु जिसका उपयोग नहीं हो पाए उसे सफेद हाथी कहा जाता है.
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पहली कैबिनेट में लोगो बदलने का हुआ था निर्णय
हैरत की बात यह है कि जैसे ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता संभाली तो आहूत की गई पहली कैबिनेट की बैठक में यह तय हुआ कि झारखंड का लोगो बदला जाएगा. लगभग 7 महीने के बाद हुई कैबिनेट की बैठक में झारखंड सरकार के नए लोगो के प्रारूप पर सहमति दी. साथ ही तय हुआ कि 15 अगस्त तक इसे आम लोगों के बीच जारी कर दिया जाएगा.
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अभी तक जारी नहीं हुई है अधिसूचना
22 जुलाई को हुई कैबिनेट में इससे जुड़ा प्रस्ताव पास किया गया, लेकिन अभी तक इस बाबत अधिसूचना जारी नहीं हुई है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो जब तक अधिसूचना जारी नहीं होगी, तब तक यह लोगो प्रयोग में भी नहीं लाया जा सकता. इस बाबत स्टेट कैबिनेट सेक्रेटरी अजय कुमार सिंह ने कहा कि यह देखना होगा कि अभी तक नोटिफाई किया गया है या नहीं. वैसे 15 अगस्त तक इस लोगो को लॉन्च करना है.