रांची: गर्मी के दस्तक के साथ ही राजधानी रांची में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. पिछले 6 सालों से लगातार शहर के 80 प्रतिशत बोरिंग सूख जाते रहे हैं. लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से अनलॉक-1.0 के कारण मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही बोरिंग सूखे हैं और पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड भी टूट गया है. इससे यह भी साफ हो गया है कि पानी का लेयर ड्राई जोन में भी पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ठीक है. यही वजह है कि राजधानी के लोगों को पानी की समस्या से इस वर्ष कम जूझना पड़ा है. हालांकि थोड़ी बहुत समस्या जरूर रही है. क्योंकि शहर के जिन वार्डों में बोरिंग होनी थी, वहां इस वर्ष बोरिंग नहीं हो पाई है. जिससे गरीब तबके के लोगों को पानी की थोड़ी समस्या उठानी पड़ी है.
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पानी की समस्या न के बराबर
वार्ड 34 के पार्षद बिनोद कुमार सिंह बताते हैं कि पानी का लेयर इस बार बचा हुआ है. लेकिन वार्डों में बोरिंग नहीं होने की वजह से थोड़ी समस्या हुई है. क्योंकि सरकार की तरफ से सहयोग नहीं मिला है. वहीं वार्ड 26 के पार्षद अरुण झा का कहना है कि लॉकडाउन में मार्केट बंद रहने की वजह से पानी का लेयर सही रहा और पिछले साल की तुलना में बोरिंग भी कम सूखे हैं. जिसकी वजह से लोगों को पानी की समस्या न के बराबर हुई है.
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49 टैंकर से जलापूर्ति का काम किया जा रहा हैबता दें कि राजधानी रांची में कुल 1300 मिनी डीप बोरिंग, 170 डीप बोरिंग और 2600 चापानल हैं. इनकी मरम्मती के लिए निगम की स्टैंडिंग कमेटी ने नागरिक सुविधा मद की आवंटित राशि से डेढ़ करोड़ रुपए राशि के प्रस्ताव को पारित किया है. वर्तमान में शहर के 53 वार्डों में 70 जगहों पर 57 में से 49 टैंकर से जलापूर्ति का काम किया जा रहा है. जबकि 8 टैंकर सेनेटाइजेशन के काम में लगे हुए हैं और 10 टैंकरों के लिए टेंडर निकाला गया है. पिछले वर्ष 467 स्थानों पर टैंकर से जलापूर्ति की गई थी. इसके साथ ही हटिया डैम का जलस्तर कम होने की वजह से शहर के बड़े इलाके में सप्ताह में 2 दिनों की राशनिंग भी की जा रही है. जिससे पानी की समस्या आ रही है. वहां भी निगम टैंकर से पानी मुहैया करा रही है.