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मसानजोर डैम को लेकर निशिकांत दुबे का ट्वीट, कहा- डैम हमारा, विस्थापन हमारा, बिजली बंगाल को, सीएम पर दर्ज कराएंगे आपराधिक मुकदमा

मसानजोर डैम के प्रबंधन और नियंत्रण पर पश्चिम बंगाल के प्रभुत्व को लेकर सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया है. उन्होंने सीएम पर कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर करने का आरोप लगाते लिखा कि डैम हमारे, जमीन पर विस्थापन हमारा, लेकिन पानी बिजली सब बंगाल का, ये बीजेपी नहीं होने देगी. इसको लेकर सीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे.

Nishikant Dubey tweet on Masanjor Dam
मसानजोर डैम को लेकर निशिकांत दुबे का ट्वीट
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Published : Sep 11, 2021, 2:12 PM IST

रांची: मसानजोर डैम के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर सियासत शुरू हो गई है. पश्चिम बंगाल के प्रभुत्व और प्रबंधन वाले इस डैम को लेकर गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर सीएम हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है.

ये भी पढे़ं- मसानजोर डैम पर बंगाल कर रहा मनमानी, हस्तक्षेप करे केंद्र सरकार: महेश पोद्दार

क्या लिखा है निशिकांत दुबे ने ट्वीट में

निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर सीएम हेमंत सोरेन पर झारखंड हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा देने और राज्य के हितों को प. बंगाल सरकार के हाथों बेच देने का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि मैं अपने वकील से कहूंगा की वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर करें. निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीट में लिखा है कि डैम हमारे, जमीन पर विस्थापन हमारा, लेकिन पानी बिजली सब प. बंगाल का, ये बीजेपी नहीं होने देगी.

MP Nishikant Dubey's tweet
MP Nishikant Dubey's tweet

क्या है पूरा मामला

दरअसल, 19 जुलाई 1978 को बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु के बीच सिद्धेश्वरी नुनबील नदी पर डैम बनाने को लेकर एक समझौता हुआ था. समझौते में ये भी तय हुआ था कि डैम बनाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ही जमीन अधिग्रहण से लेकर पुनर्वास तक के खर्च को वहन करेगी. दांयातट नहर बनाकर रानीश्वर के 10 हजार एकड़ फीट इलाके में निशुल्क सिंचाई उपलब्ध कराएगी. ये भी तय हुआ था कि डैम के अस्तित्व में आने के बाद नुनबील रिजर्वायर में बिहार (अब झारखंड) और पश्चिम बंगाल का संयुक्त नियंत्रण होगा. लेकिन आरोपों के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार इस समझौते का पालन नहीं कर रही है.

झारखंड के गांवों को नहीं मिलता है पानी

आरोपों के मुताबिक दुमका में बने इस डैम से स्थानीय ग्रामीणों को फायदा नहीं हो रहा है. जिले के किसानों के खेत अब भी सूखे रहते हैं जबकि इसी डैम के पानी से प. बंगाल के मुर्शिदाबाद तक पटवन होता है. स्थानीय किसान तो बारिश के भरोसे ही खेती कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल बिजली का भी है. इस डैम पर बना पनबिजली केंद्र पश्चिम बंगाल के अधीन है. इससे उत्पादित बिजली से भी प. बंगाल के शहर ही रोशन होते हैं जबकि दुमका को नाम मात्र की बिजली मुहैया कराई जाती है.

बीजेपी की संघर्ष की चेतावनी

इसी मामले को लेकर निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर हेमंत सरकार पर निशाना साधा. उन्होने अपने ट्वीट में इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखने की चेतावनी हेमंत सरकार को दी है.

रांची: मसानजोर डैम के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर सियासत शुरू हो गई है. पश्चिम बंगाल के प्रभुत्व और प्रबंधन वाले इस डैम को लेकर गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर सीएम हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है.

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क्या लिखा है निशिकांत दुबे ने ट्वीट में

निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर सीएम हेमंत सोरेन पर झारखंड हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा देने और राज्य के हितों को प. बंगाल सरकार के हाथों बेच देने का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि मैं अपने वकील से कहूंगा की वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर करें. निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीट में लिखा है कि डैम हमारे, जमीन पर विस्थापन हमारा, लेकिन पानी बिजली सब प. बंगाल का, ये बीजेपी नहीं होने देगी.

MP Nishikant Dubey's tweet
MP Nishikant Dubey's tweet

क्या है पूरा मामला

दरअसल, 19 जुलाई 1978 को बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु के बीच सिद्धेश्वरी नुनबील नदी पर डैम बनाने को लेकर एक समझौता हुआ था. समझौते में ये भी तय हुआ था कि डैम बनाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ही जमीन अधिग्रहण से लेकर पुनर्वास तक के खर्च को वहन करेगी. दांयातट नहर बनाकर रानीश्वर के 10 हजार एकड़ फीट इलाके में निशुल्क सिंचाई उपलब्ध कराएगी. ये भी तय हुआ था कि डैम के अस्तित्व में आने के बाद नुनबील रिजर्वायर में बिहार (अब झारखंड) और पश्चिम बंगाल का संयुक्त नियंत्रण होगा. लेकिन आरोपों के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार इस समझौते का पालन नहीं कर रही है.

झारखंड के गांवों को नहीं मिलता है पानी

आरोपों के मुताबिक दुमका में बने इस डैम से स्थानीय ग्रामीणों को फायदा नहीं हो रहा है. जिले के किसानों के खेत अब भी सूखे रहते हैं जबकि इसी डैम के पानी से प. बंगाल के मुर्शिदाबाद तक पटवन होता है. स्थानीय किसान तो बारिश के भरोसे ही खेती कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल बिजली का भी है. इस डैम पर बना पनबिजली केंद्र पश्चिम बंगाल के अधीन है. इससे उत्पादित बिजली से भी प. बंगाल के शहर ही रोशन होते हैं जबकि दुमका को नाम मात्र की बिजली मुहैया कराई जाती है.

बीजेपी की संघर्ष की चेतावनी

इसी मामले को लेकर निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर हेमंत सरकार पर निशाना साधा. उन्होने अपने ट्वीट में इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखने की चेतावनी हेमंत सरकार को दी है.

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