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नक्सलियों की नई तकनीक का शिकार हो रहे हैं ग्रामीण और सुरक्षा बल, निपटने के लिए बनाई गई विशेष टीम - झारखंड में नक्सली

झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक के बल पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों ने कुछ ऐसी आईईडी की तकनीक विकसित कर ली है जिसके सहारे ऐंटी लैंड माइंस वाहन के साथ-साथ पैदल चलने वाले जवानों को भी निशाना बनाया जा सकता है.

New technology of Naxalites
फाइल
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Published : Dec 27, 2019, 8:10 PM IST

रांची: झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक से बने बम अब सुरक्षाबलों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी अपना शिकार बना रहे हैं. नई तकनीक के जरिए नक्सलियों ने ऐसे बमों का निर्माण किया है, जो एंटी मनहैंडलिंग है. इनका प्रेशर घटाया बढ़ाया भी जा सकता है. इन बमों की सहायता से नक्सली पैदल चलने वाले सुरक्षा बलों को भी निशाना बना रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

नक्सलियों के निशाने पर जवान
झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक के बल पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों ने कुछ ऐसी आईईडी की तकनीक विकसित कर ली है जिसके सहारे ऐंटी लैंड माइंस वाहन के साथ-साथ पैदल चलने वाले जवानों को भी निशाना बनाया जा सकता है. नक्सलियों की इस नई तकनीक का शिकार सुरक्षा बलों के साथ-साथ ग्रामीण भी हो रहे हैं. पिछले एक साल में नक्सलियों ने अपनी इस नई तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. केवल साल 2019 में ही 4 ग्रामीणों की जान इस नई तकनीक की वजह से हुए विस्फोट से चली गई, जबकि उनके कई जानवर भी इसका शिकार हो चुके हैं.

खतरे में जवानों की सुरक्षा
नक्सलियों के इस नई तकनीक की वजह से नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान में लगे जवानों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. पुलिस मुख्यालय के स्तर से नक्सलियों द्वारा आईईडी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को लेकर सभी जिलों के एसपी को जानकारी दी गई है. पुलिस मुख्यालय की तरफ से नक्सल प्रभावित जिले के एसपी को बताया गया हाल में चतरा, लोहरदगा, सरायकेला सहित अन्य स्थानों पर आईईडी बरामद किए गए हैं.

नक्सलियों का प्लान
आईडी भाकपा माओवादी नक्सली संगठन की ओर से लगाए गए थे. बरामद आईडी में पहला एंटी हैंडलिंग और दूसरे में प्रेशर डिवाइस का प्रयोग किया गया था. नक्सलियों द्वारा बनाए गए इस आईडी का प्रयोग एंटी व्हीकल और एंटी मैन दोनों तरह से किया जा सकता है. इससे वाहन और पैदल चलने वाले जवानों के खिलाफ जरूरी क्षमता के अनुसार प्रयोग में लाया जा सकता है.

बड़े और छोटे विस्फोट के लिए बम
उदाहरण के लिए नक्सलियों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें वे अपनी जरूरत के अनुसार उसकी विस्फोट की क्षमता को बढ़ा या घटा सकते हैं. जैसे उन्हें अगर एंटी लैंडमाइन वाहन को विस्फोट में उड़ाना है तो वे बड़े लैंड माइंस का प्रयोग कर रहे हैं. वहीं, अगर पैदल चलने वाले जवानों को हताहत करना है तो वो छोटे-छोटे लैंडमाइंस जमीन के भीतर लगा रहे हैं ताकि पैदल चलने वाले जवानों को शिकार बनाया जा सके. पैदल चलने वाले जवानों के लिए नक्सली प्रेशर बमों का प्रयोग कर रहे हैं. पगडंडियों के जरिए और जंगल में पैदल चलने वाले जवानों के कदम जैसे प्रेशर लैंडमाइंस में पड़ते हैं वैसे ही उसमें विस्फोट हो जाता है.

ये भी पढे़ं: तिब्बती शरणार्थियों को अभी भी याद आता है चीन का आतंक, अब भारत बन गया है उनका मुल्क

जवानों को किया गया अलर्ट
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, नक्सलियों के आईईडी की नई तकनीक पुलिस के लिए काफी घातक हो सकती है. इसलिए मुख्यालय के स्तर से अभियान में लगे जवानों को भी इसे लेकर अलर्ट किया गया है. खासकर अभियान के दौरान पैदल या वाहन या एंटी लैंडमाइन वहां से चलने के दौरान सुरक्षा बरतने की हिदायत दी गई है. झारखंड पुलिस के बम निरोधक दस्ते के विशेषज्ञों को अभियान में लगे जवानों को ट्रेंड करने का निर्देश दिया गया है. खासकर उन्हें यह भी ट्रेनिंग देने को कहा गया है कि वह कैसे प्रेशर बमों की पहचान कर सकें.

पैदल चलने वाले रास्ते पर बम
आमतौर पर नक्सली संगठन पहले सड़क के बीचो-बीच लैंडमाइंस लगाया करते थे. सड़क पर लगे लैंड माइंस इतने खतरनाक और शक्तिशाली होते थे कि इसके चपेट में आने से एंटी लैंडमाइन वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे. नक्सलियों की इस योजना को नाकाम करने के लिए नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान पैदल ही दुर्गम इलाकों में जाने लगे जिसके बाद नक्सलियों ने आईडी की नई तकनीक विकसित कर ली.

ये भी पढ़ें: आदिवासी नृत्य महोत्सव में छाया झारखंड, छऊ लोक नृत्य के कलाकारों ने मोहा मन

बम निरोधक दस्ते की विशेष टीम
वहीं, दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय ने नक्सलियों की नई तकनीक से निपटने के लिए बम निरोधक दस्ते की एक विशेष टीम बनाई है. यह टीम जिन इलाकों में नक्सलियों के द्वारा नई तकनीक के द्वारा बनाए गए लैंडमाइंस लगाए गए हैं, उन्हें निकालने का काम करेंगे. इसके लिए उन्हें विशेष इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दूसरी सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है.

रांची: झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक से बने बम अब सुरक्षाबलों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी अपना शिकार बना रहे हैं. नई तकनीक के जरिए नक्सलियों ने ऐसे बमों का निर्माण किया है, जो एंटी मनहैंडलिंग है. इनका प्रेशर घटाया बढ़ाया भी जा सकता है. इन बमों की सहायता से नक्सली पैदल चलने वाले सुरक्षा बलों को भी निशाना बना रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

नक्सलियों के निशाने पर जवान
झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक के बल पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों ने कुछ ऐसी आईईडी की तकनीक विकसित कर ली है जिसके सहारे ऐंटी लैंड माइंस वाहन के साथ-साथ पैदल चलने वाले जवानों को भी निशाना बनाया जा सकता है. नक्सलियों की इस नई तकनीक का शिकार सुरक्षा बलों के साथ-साथ ग्रामीण भी हो रहे हैं. पिछले एक साल में नक्सलियों ने अपनी इस नई तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. केवल साल 2019 में ही 4 ग्रामीणों की जान इस नई तकनीक की वजह से हुए विस्फोट से चली गई, जबकि उनके कई जानवर भी इसका शिकार हो चुके हैं.

खतरे में जवानों की सुरक्षा
नक्सलियों के इस नई तकनीक की वजह से नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान में लगे जवानों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. पुलिस मुख्यालय के स्तर से नक्सलियों द्वारा आईईडी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को लेकर सभी जिलों के एसपी को जानकारी दी गई है. पुलिस मुख्यालय की तरफ से नक्सल प्रभावित जिले के एसपी को बताया गया हाल में चतरा, लोहरदगा, सरायकेला सहित अन्य स्थानों पर आईईडी बरामद किए गए हैं.

नक्सलियों का प्लान
आईडी भाकपा माओवादी नक्सली संगठन की ओर से लगाए गए थे. बरामद आईडी में पहला एंटी हैंडलिंग और दूसरे में प्रेशर डिवाइस का प्रयोग किया गया था. नक्सलियों द्वारा बनाए गए इस आईडी का प्रयोग एंटी व्हीकल और एंटी मैन दोनों तरह से किया जा सकता है. इससे वाहन और पैदल चलने वाले जवानों के खिलाफ जरूरी क्षमता के अनुसार प्रयोग में लाया जा सकता है.

बड़े और छोटे विस्फोट के लिए बम
उदाहरण के लिए नक्सलियों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें वे अपनी जरूरत के अनुसार उसकी विस्फोट की क्षमता को बढ़ा या घटा सकते हैं. जैसे उन्हें अगर एंटी लैंडमाइन वाहन को विस्फोट में उड़ाना है तो वे बड़े लैंड माइंस का प्रयोग कर रहे हैं. वहीं, अगर पैदल चलने वाले जवानों को हताहत करना है तो वो छोटे-छोटे लैंडमाइंस जमीन के भीतर लगा रहे हैं ताकि पैदल चलने वाले जवानों को शिकार बनाया जा सके. पैदल चलने वाले जवानों के लिए नक्सली प्रेशर बमों का प्रयोग कर रहे हैं. पगडंडियों के जरिए और जंगल में पैदल चलने वाले जवानों के कदम जैसे प्रेशर लैंडमाइंस में पड़ते हैं वैसे ही उसमें विस्फोट हो जाता है.

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जवानों को किया गया अलर्ट
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, नक्सलियों के आईईडी की नई तकनीक पुलिस के लिए काफी घातक हो सकती है. इसलिए मुख्यालय के स्तर से अभियान में लगे जवानों को भी इसे लेकर अलर्ट किया गया है. खासकर अभियान के दौरान पैदल या वाहन या एंटी लैंडमाइन वहां से चलने के दौरान सुरक्षा बरतने की हिदायत दी गई है. झारखंड पुलिस के बम निरोधक दस्ते के विशेषज्ञों को अभियान में लगे जवानों को ट्रेंड करने का निर्देश दिया गया है. खासकर उन्हें यह भी ट्रेनिंग देने को कहा गया है कि वह कैसे प्रेशर बमों की पहचान कर सकें.

पैदल चलने वाले रास्ते पर बम
आमतौर पर नक्सली संगठन पहले सड़क के बीचो-बीच लैंडमाइंस लगाया करते थे. सड़क पर लगे लैंड माइंस इतने खतरनाक और शक्तिशाली होते थे कि इसके चपेट में आने से एंटी लैंडमाइन वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे. नक्सलियों की इस योजना को नाकाम करने के लिए नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान पैदल ही दुर्गम इलाकों में जाने लगे जिसके बाद नक्सलियों ने आईडी की नई तकनीक विकसित कर ली.

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बम निरोधक दस्ते की विशेष टीम
वहीं, दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय ने नक्सलियों की नई तकनीक से निपटने के लिए बम निरोधक दस्ते की एक विशेष टीम बनाई है. यह टीम जिन इलाकों में नक्सलियों के द्वारा नई तकनीक के द्वारा बनाए गए लैंडमाइंस लगाए गए हैं, उन्हें निकालने का काम करेंगे. इसके लिए उन्हें विशेष इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दूसरी सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है.

Intro:day plan story

झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक से बने बम अब सुरक्षाबलों के साथ साथ ग्रामीणों को भी अपना शिकार बना रहे हैं .नई तकनीक के जरिए नक्सलियों ने ऐसे बमों का निर्माण किया है जो एंटी मनहैंडलिंग है, इनका प्रेशर घटाया बढ़ाया भी जा सकता है.इन बमों की सहायता से नक्सली पैदल चलने वाले सुरक्षा बलों को भी निशाना बना रहे है.

सुरक्षा बल निशाने पर ,ग्रामीण हो रहे हैं शिकार

झारखंड में नक्सलियों की नई तकनीक के बल पर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने कुछ ऐसी आईईडी की तकनीक विकसित कर ली है जिसके सहारे ऐंटी लैंड माइंस वाहन के साथ साथ पैदल चलने वाले जवानों को भी निशाना बनाया जा सकता हैं. नक्सलियों की इस नई तकनीक का शिकार सुरक्षा बलों के साथ-साथ ग्रामीण भी हो रहे हैं. पिछले एक साल में नक्सलियों ने अपनी इस नई तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. केवल साल 2019 में ही 4 ग्रामीणों की जान इस नई तकनीक की वजह से हुए विस्फोट से चली गई जबकि उनके कई जानवर भी इसका शिकार हो चुके हैं.

बाइट - एमएल मीणा ,एडीजी अभियान ,झारखंड पुलिस

नक्सलियों के इस नई तकनीक की वजह से नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान में लगे जवानों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. पुलिस मुख्यालय के अस्तर से नक्सलियों द्वारा आईईडी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को लेकर सभी जिलों के एसपी को जानकारी दी गई है. पुलिस मुख्यालय की तरफ से नक्सल प्रभावित जिले के एसपी को बताया गया हाल में चतरा ,लोहरदगा ,सरायकेला सहित अन्य स्थानों पर आईईडी बरामद किए गए हैं. आईडी भाकपा माओवादी नक्सली संगठन की ओर से लगाए गए थे. बरामद आईडी में पहला में एंटी हैंडलिंग और दूसरे में प्रेशर डिवाइस का प्रयोग किया गया था. नक्सलियों द्वारा बनाए गए इस आईडी का प्रयोग एंटी व्हीकल और एंटी मैन दोनों तरह से किया जा सकता है. इससे वाहन तथा पैदल चलने वाले जवानों के खिलाफ जरूरी क्षमता के अनुसार प्रयोग में लाया जा सकता है. उदाहरण के लिए नक्सलियों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें वे अपनी जरूरत के अनुसार उसकी विस्फोट की क्षमता को बढ़ा या घटा सकते हैं .जैसे उन्हें अगर एंटी लैंडमाइन वाहन को विस्फोट में उड़ाना है तो वे बड़े लैंड माइंस का प्रयोग कर रहे हैं. वहीं अगर पैदल चलने वाले जवानों को हताहत करना है तो के छोटे-छोटे लैंडमाइंस जमीन के भीतर लगा रहे हैं ताकि पैदल चलने वाले जवानों को शिकार बनाया जा सके. पैदल चलने वाले जवानों के लिए नक्सली प्रेशर बमों का प्रयोग कर रहे हैं .पगडंडियों के जरिए और जंगल में पैदल चलने वाले जवानों के पैर जैसे प्रेशर लैंडमाइंस में पड़ते हैं वैसे ही उसमें विस्फोट हो जाता है .


Body:पुलिस मुख्यालय के अनुसार नक्सलियों के आईईडी की नई तकनीक पुलिस के लिए काफी घातक हो सकती है .इसलिए मुख्यालय के स्तर से अभियान में लगे जवानों को भी इसे लेकर अलर्ट किया गया है .खासकर अभियान के दौरान पैदल या वाहन या एंटी लैंडमाइन वहां से चलने के दौरान सुरक्षा बरतने की हिदायत दी गई है. झारखंड पुलिस के बम निरोधक दस्ते के विशेषज्ञों को अभियान में लगे जवानों को ट्रेंड करने का निर्देश दिया गया है .खासकर उन्हें यह भी ट्रेनिंग देने को कहा गया है कि वह कैसे प्रेशर बमों की पहचान कर सकें.


Conclusion:आमतौर पर नक्सली संगठन पहले सड़क के बीचो-बीच लैंडमाइंस लगाया करते थे. सड़क पर लगे लैंड माइंस इतने खतरनाक और शक्तिशाली होते थे कि इसके चपेट में आने से एंटी लैंडमाइन वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे. नक्सलियों की इस योजना को नाकाम करने के लिए नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान पैदल ही दुर्गम इलाकों में जाने लगे जिसके बाद नक्सलियों ने आईडी की नई तकनीक विकसित कर ली. नई तकनीक से बने लैंडमाइंस को नक्सली पगडंडियों और पैदल चलने वाले मार्गो में लगा दे रहे हैं जिन पर ग्रामीण हो जाती सुरक्षा पर जब गुजरते हैं तो उसमें विस्फोट हो जाता है और उसमें उनकी जान चली जाती है या फिर भी अपाहिज हो जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय ने नक्सलियों की नई तकनीक से निपटने के लिए बम निरोधक दस्ते की एक विशेष टीम बनाई है. यह टीम जिन इलाकों में नक्सलियों के द्वारा नई तकनीक के द्वारा बनाए गए लैंडमाइंस लगाए गए हैं ,उन्हें निकालने का काम करेंगे .इसके लिए उन्हें विशेष इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दूसरी सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है.



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