रांची: राजधानी रांची के चर्चित जगन्नाथ मंदिर से चंद फासले पर बना है झारखंड विधानसभा भवन. इसे पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की इच्छाशक्ति की मिसाल कहें तो शायद गलत नहीं होगा. इस भवन की खूबियां बेशुमार हैं. दूसरी तरफ नींव रखे जाने से लेकर अबतक विवादों से भी नाता रहा है. नींव रखे जाने से पहले विस्थापन के मुद्दे से सामना हुआ. धुर्वा के कूटे गांव के लोगों ने आंदोलन किया. यह समस्या सुलझी तो निर्माण लागत पर सवाल उठे.
पूर्व में 290 करोड़ की लागत से निर्माण होना था. काम मिला था रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को. फिर यह राशि बढ़कर 465 करोड़ हो गई. टेंडर अवार्ड में अनियमितता की बात आई. इन सबके बीच निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंचा भी नहीं था कि उद्घाटन की तारीख तय कर दी गई. 12 सितंबर 2019 को आनन-फानन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उद्घाटन करा दिया गया. चूंकि झारखंड में नवंबर 2019 में विस चुनाव थे. इसलिए 13 सितंबर 2019 को नवनिर्मित भवन में एक दिन का विशेष सत्र आहूत करा दिया गया. इस सत्र का मुख्य विपक्षी पार्टी झामुमो ने बॉयकॉट किया था. इस चुनाव में नतीजे रघुवर सरकार के खिलाफ आए. अब सत्ता की बागडोर हेमंत सोरेन के हाथ में आ गई. तब भी इस भवन को लेकर राजनीति हुई.
![New Jharkhand assembly building completed 1 year](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8769011_rajeev2.jpg)
लाइब्रेरी की फॉल सीलिंग टूटकर गिरी
सरकार बनने के बाद पहला सत्र पुराने विधानसभा भवन में ही आहूत हुआ. जब बजट सत्र की बात आई तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नवनिर्मित भवन का फिर से उद्घाटन किया. इसको लेकर भी सवाल उठे. इससे पहले उद्घाटन के दो माह बाद ही नवनिर्मित भवन के पश्चिमी हिस्से में जबरदस्त आग लग गई. इससे भारी नुकसान हुआ. तब फायर फाइटिंग सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हुए. अभी विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि कोरोना काल में 4 अगस्त को लाइब्रेरी की फॉल सीलिंग टूटकर गिर गई. अगर लाइब्रेरी बंद नहीं होती तो किसी की जान भी जा सकती थी.
बिना पर्यावरण क्लियरेंस के भवन निर्माण
अब 18 सितंबर से मॉनसून सत्र शुरू होना है लेकिन इससे पहले बिना पर्यावरण क्लियरेंस के भवन निर्माण होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 47 करोड़ का जुर्माना ठोक दिया है. यानी जिस पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने स्टेट एंवायरमेंटल इंपेक्ट ऑथोरिटी का हवाला देकर प्रधानमंत्री से उद्घाटन कराया था, वो पूरी तरह से गैरकानूनी था. बहरहाल, इन विवादों को अलग कर दें तो इस भवन ने राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड को पहचान दिलायी है. भाड़े के भवन में सबसे बड़ी पंचायत के संचालन के कारण झारखंड की खूब किरकिरी होती थी. अब यहां लोग सेल्फी लेने आते हैं. सभी यही मानते हैं कि विवादित मसलों की जांच तो होनी ही चाहिए लेकिन इस भवन को देखकर हर झारखंडी को गर्व महसूस होता है.
![New Jharkhand assembly building completed 1 year](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8769011_rajeev4.jpg)
दूसरे राज्यों की विधानसभा से कमतर नहीं
विधानसभा भवन के अंदर स्थानीय कलाकारों ने बेहद की खूबसूरती से स्थानीय कला को और आदिवासी सभ्यता को दर्शाया है, साथ ही इस बिल्डिंग को इस तरह से बनाया गया है कि आने वाले दिनों में सीटों के परिसीमन की स्थिति में और लोगों के लिए भी जगह बनाई जा सके. अगर बिल्डिंग की खूबसूरती की बात करें तो ये किसी भी तरह से देश के दूसरे राज्यों की विधानसभा से कमतर नहीं है.
![New Jharkhand assembly building completed 1 year](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8769011_rajeev3.jpg)