रांची: दशम फॉल- नामकुम के सीमावर्ती इलाके में शुक्रवार को हुई मुठभेड़ के दौरान नक्सली दस्ते की मंशा पुलिसकर्मियों को मार कर हथियार लूटने की थी. इस पूरे मामले का खुलासा नामकुम थाने में दर्ज एफआईआर में हुआ है. रांची के दशम फॉल के थानेदार दिनेश महली के बयान पर नक्सली संगठन भाकपा माओवादी दस्ते के 20-25 सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई है.
एफआईआर में क्या है ?
एफआईआर में जिक्र है कि भाकपा माओवादी दस्ते के मूवमेंट की सूचना मिलने के बाद जगुआर के एसाल्ट ग्रूप 19 के सहायक कमांडेंट दिलीप कुमार सिंह, दशम फॉल पुलिस और सैप के संयुक्त टीम ने रात दो बजे डाकापीढ़ी गांव के लिए प्रस्थान किया था. सुबह चार बजे सुरक्षाबलों की टीम डाकापीढ़ी पहुंची, तब कुछ लोगों के कच्ची सड़की की ओर स्थित झाड़ियो में चलने की आहट मिली. कुछ लोगों के छिपने की आहट मिलने पर सुरक्षाबलों ने आवाज देकर रूकने को कहा, तभी झाड़ियों की आर से लाल सलाम-माओवादी जिंदाबाद का नारा लगाते हुए अंधाधुन फायरिंग शुरू कर दी. तब दोनों ओर से 15-20 मिनट तक गोली चली. फायरिंग रूक- रूककर होती रही. इस दौरान भाकपा माओवादियों का दस्ता जिनकी संख्या 20-25 थी, वह दक्षिण पूर्व दिशा में झाड़ियों और पेड़ों का सहारा लेते हुए भाग गए. इस दौरान खंजन महतो और अखिलेश राम को गोली लगी, जिससे दोनों की मौत हो गई. मौके पर पुलिस की तरफ से कुल 79 राउंड फायरिंग की गई. जबकि माओवादियों की तरफ से लगभग 50 राउंड फायरिंग की गई.
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हथियार लूटने की थी योजना
दशम फॉल थानेदार दिनेश महली ने दर्ज एफआईआर में बताया है कि प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन के लोगों ने हथियार लूटने की नियत से पुलिस बलों पर हमला किया था. हालांकि हमले में दोनों जवानों की मौत के बाद नक्सली हथियार लूटने की योजना में सफल नहीं हो पाए.