रांचीः झारखंड में सक्रिय सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी हो या छोटे नक्सली संगठन टीपीसी, पीएलएफआई या जेजेएमपी, इनकी सबसे बड़ी ताकत हथियार है. हथियार के बल पर ही ये संगठन झारखंड में अपने प्रभाव वाले इलाकों में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब यही हथियार झारखंड पुलिस के लिए चिंता का विषय बन गया है.
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अब झारखंड में लगातार हथियारों का विदेशी कनेक्शन सामने आ रहा है. अब जेजेएमपी जैसा छोटा-सा उग्रवादी संगठन भी विदेशी ऑटोमैटिक हथियारों से पुलिस को चुनौती देने लगा है.
क्यों बढ़ी पुलिस की बेचैनी
28 सितंबर को झारखंड के लातेहार जिला में पुलिस और जेजेएमपी उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. जिसमें झारखंड जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राकेश कुमार शहीद हो गए थे. एनकाउंटर में एक उग्रवादी भी मारा गया लेकिन पुलिस फोर्स उस समय सकते में आ गई जब सर्च ऑपरेशन के दौरान मौका-ए-वारदात से वो हथियार मिले जिनका इस्तेमाल अमेरिकन आर्मी करती थी. इसके बाद से पुलिस की चिंता और बढ़ गयी है. अमेरिकन हथियार के अलावा एक एके-47 समेत अन्य 7 राइफलें बरामद की गयी थी. जेजेएमपी जैसे छोटे दर्जे के उग्रवादी संगठन के पास अमेरिकन हथियार आखिर कहां से आया यह झारखंड पुलिस के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है.
सवाल यह है कि आखिर जेजेएमपी जैसे उग्रवादी संगठनों के पास अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद कहां से आ रहे हैं. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में सक्रिय नक्सली संगठनों में कई ऐसे संगठन भी हैं जो खुद हथियारों का निर्माण करते हैं कुछ ऐसे भी हैं जो हथियारों को तस्करी के माध्यम से हासिल करते हैं. जबकि सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के पास सबसे ज्यादा पुलिस के लूटे हुए हथियार हैं. उग्रवादियों के विदेशी कनेक्शन को लेकर पुलिस मुख्यालय के तरफ से एक विशेष टीम का गठन किया गया है जो सिर्फ हथियारों के संबंध में ही जांच कर रही है.
एनआईए भी कर रही है जांच
ऐसा नहीं है कि इससे पहले नक्सलियो के पास से विदेशी हथियार ना मिले हों. भाकपा माओवादी, पीएलएफआई और टीपीसी के पास से पहले भी विदेशी हथियार बरामद किए गए हैं. लेकिन अब इस कड़ी में जेजेएमपी का भी नाम जुड़ चुका है. हाल में ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने झारखंड के नक्सलियों को लेकर बड़ा खुलासा था. एनआईए के रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में सक्रिय नक्सली संगठनों के पास बड़े पैमाने पर विदेशी हथियार पहुंच चुके हैं.
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नागालैंड और बिहार के हथियार तस्करों की मदद से उग्रवादी संगठनों ने ये हथियार खरीदे हैं. बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते नागालैंड से एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार और 50,000 से अधिक गोलियां झारखंड के नक्सलियों तक पहुचायी गयी है. रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा विदेशी हथियार झारखंड में सक्रिय तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के उग्रवादियों ने खरीदी है. हिंसक गतिविधियों में लिप्त इस उग्रवादी संगठन ने 50 से अधिक विदेशी अत्याधुनिक हथियार खरीदे हैं. एनआइए को हथियार तस्कर संतोष सिंह ने खुद यह जानकारी दी थी.
संतोष ने जांच एजेंसी को यह भी बताया है कि हथियार तस्करी में शामिल इस गिरोह के लोग किन-किन देशों के हथियार नक्सलियों को सप्लाई करते हैं. एनआईए की जांच में उग्रवादी संगठनों की ओर से नागा हथियार तस्करों के गैंग और बिहार के हथियार तस्करों की मिलीभगत से उग्रवादी संगठनों तक हथियार पहुंचाने की बात सामने आयी है. इन हथियारों का जखीरा बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बिहार और झारखंड के उग्रवादियों तक पहुंचता है.
पुलिस के 150 से अधिक हथियार बरामद
साल 2018 में पुलिस से लूटे गए 61 हथियार मुठभेड़ के बाद बरामद कर लिए, जबकि साल 2019 में पुलिस से लूटे गए 27 हथियार भी बरामद कर लिए गए. वहीं साल 2020 में अक्टूबर तक पुलिस के लूटे 25 हथियार दोबारा पुलिस ने बरामद कर लिए. 2018 से लेकर 2020 तक नक्सलियों के पास से 22 एके-47, 32 इंसास राइफल, 35 एसएलआर, 25 रेगुलर राइफल, 34 कार्बाइन, 46 पिस्टल, 5 एलएमजी और दो रॉकेट लांचर बरमाद किया है. यह सभी हथियार नक्सलियों ने पुलिस पिकेट पर हमला कर या फिर जवानों की हत्या कर लूटे गए थे.
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नक्सलियों के 100 से अधिक हथियार बरामद
इसके अलावा पुलिस ने नक्सलियों के पास से उनके द्वारा खुद खरीदे गए अवैध हथियारों को भी बड़ी तादात में बरामद किया है. हथियारों में कई विदेशी हथियार भी शामिल है. नक्सलियों के पास से पुलिस ने 15 अमरीकी निर्मित राइफल, 25 डबल बैरेल गन, 34 थ्री-नाट-थ्री राइफल, 14 पिस्टल, 10 सेमी ऑटोमेटिक राइफल, 12 रिवॉल्वर, 65 देसी कट्टा बरामद किया है.
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार उग्रवादियों के हथियार सप्लाई करने वाले चेन में शामिल लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. हथियारों की तस्करी को लेकर झारखंड पुलिस दूसरे राज्यों के संपर्क में भी है. एक विशेष टीम का गठन सिर्फ इसीलिए किया गया है कि वह नक्सलियों के हथियार लिंक को खंगाल सके. हालांकि इस हथियार तस्करी में कौन-कौन लोग शामिल हैं इसको लेकर झारखंड पुलिस पूरी सतर्कता बरत रही है. पुलिस के अनुसार मामले की जांच जारी है और जल्द ही इसके नतीजे भी निकलेंगे.
कब-कब मिले हथियार
2011 में रांची में बूटी मोड़ के पास से पुलिस ने अमरीकी रॉकेट लॉन्चर के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था. यह हथियार अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती थी. पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप को इसकी सप्लाई होनी थी. चतरा में भाकपा माओवादी अजय यादव के पास से मेड इन इंगलैंड स्प्रिंग राइफल मिले थे. 2015 में लातेहार में आठ अमेरिकी राइफल मिले थे. सिमडेगा और हजारीबाग में पाकिस्तानी कारतूस और अमेरिकी राइफल बरामद हुए. इन मामलों की जांच एनआइए ने शुरू की थी. अगस्त 2020 में पलामू में टीपीसी नक्सलियों के पास से अमेरिकन राइफल मिले. 2021 लातेहार से उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के पास से दो अमेरिकन राइफल मिले.