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चुनाव प्रभावित करने के लिए माओवादियों की चौतरफा घेराबंदी, दो चरणों मे दिखाई नक्सलियों ने धमक

पश्चिमी सिंहभूम जिले में लाल आतंक के बीच विधानसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण का मतदान शनिवार को संपन्न हो गया. चुनाव के दौरान अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में नक्सली कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. दोनों चरणों के मतदान के दिन नक्सलियों ने धमक दिखाई. एडीजी अभियान के अनुसार सबसे राहत की बात यह है कि नक्सली चुनाव में बाधा सीधे तौर पर नहीं डाल पा रहे हैं. क्योंकि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है

Naxalite threat during assembly election
चुनाव प्रभावित करने के लिए माओवादियों की चौतरफा घेराबंदी
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Published : Dec 9, 2019, 11:56 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के दो चरणों मे भाकपा माओवादी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने चौतरफा घेराबंदी की रणनीति बनायी है. दो चरणों के दौरान नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए, लेकिन जगह-जगह उन्होंने सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की भरपूर कोशिश की. तीसरे चरण में भी नक्सलियों की रणनीति है कि वे चुनाव को प्रभावित करें जिसे लेकर पुलिस अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार कर रही है.

वीडियों में देखें पूरी खबर

दोनों चरणों मे दिखाई नक्सलियों ने धमक

झारखंड में कमजोर होते नक्सली विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. पहले चरण में जहां उन्होंने गुमला में विस्फोट कर चुनौती पेश की, तो वहीं दूसरे चरण में खूंटी में कलस्टर से लौट रही पुलिस पार्टी को निशाना बनाया. जबकि राजधानी रांची में नक्सलियों ने IED विस्फोट में जवानों को हताहत करने की कोशिश की.

ये भी पढ़ें - JMM ने प्रधानमंत्री के चुनावी भाषण पर साधा निशाना, कहा- झारखंड के संदर्भ में भी कुछ कहिए PM साहब

विस्फोट में 2 जवानों को गंभीर चोट आई, जिसके बाद एक जवान को एयर एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए दिल्ली भेजा गया. दोनों चरणों के चुनाव के दौरान गुमला और पलामू में हिंसा भी हुई. जिसमें एक व्यक्ति की जान ही चली गई. पुलिस को गुमला में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी.

फिर नक्सली मचा रहे कोहराम, अलर्ट पर पुलिस

विधानसभा चुनाव में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाई थी. लेकिन वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई. जिसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड में बेहद शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करवा कर झारखंड पुलिस ने मिसाल पेश की थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में पुलिस के सामने नक्सली लगातार चुनौती पेश कर रहे हैं.

बड़े नक्सल नेता सक्रिय
राज्य पुलिस की खुफिया शाखा ने भी माओवादियों की रणनीति से जुड़ी जानकारी पुलिस मुख्यालय और सभी एसपी को दी है. जानकारी के अनुसार झारखंड-ओडिशा की सीमा पर कुख्यात अनमोल, झारखंड-बंगाल सीमा पर एक करोड़ के इनामी आकाश उर्फ तिमिर के अलावे पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा पर 25 लाख का ईनामी असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर, 15 लाख का ईनामी रीजनल कमेटी मेंबर मदन महतो और सचिन उर्फ रामप्रकाश मार्डी सक्रिय है. झारखंड- छतीसगढ़ के इलाकों में भी माओवादियों के दस्ते में एक दर्जन से अधिक छतीसगढ़िया माओवादियों के आने की सूचना है. इस इलाके में भाकपा माओवादियों ने नए कैडरों को भी संगठन से जोड़ा है.

कहां-कहां कौन-कौन है सक्रिय
झारखंड-बिहार की सीमा पर चतरा-गया बॉर्डर, कोडरमा-नवादा सीमा, गिरिडीह, दुमका और जमुई के इलाके में माओवादियों के सैक सदस्यों के नेतृत्व में दस्ता कैंप कर रहा है. चतरा में 25 लाख के इनामी नवीन उर्फ सर्वजीत यादव, चतरा-गया सीमा पर संदीप यादव, गौतम पासवान, कोडरमा-नवादा सीमा पर प्रद्युम्न शर्मा की सक्रियता है. कोल्हान के सरायकेला में एक करोड़ का इनामी अनल उर्फ पतिराम मांझी के अलावा महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है. चाईबासा में एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा का ठिकाना है.

ये भी पढ़ें - झारखंड विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण, 17 सीटों में एक ST और दो SC के लिए सुरक्षित

चाईबासा में एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा का ठिकाना है. पौड़ाहाट के इलाके में जीवन कंडुलना के दस्ते के मूवमेंट की जानकारी मिली है. दुमका के इलाके में माओवादियों की अधिकांश एरिया कमेटी भंग है, लेकिन माओवादी इस बार संथाल में कम प्रभाव वाले जिलों में वारदात को अंजाम दे सकते हैं. कोल्हान के इलाके में भी प्रशांत बोस के दस्ते में छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादी शामिल हैं.

तीसरे चरण के लिए विशेष रणनीति
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि झारखंड में नक्सलियों की धमक अब भी कायम है. दोनों ही चरण में कुछ जगहों पर हिंसा हुई है और नक्सलियों ने भी सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए कई प्रयास किए.

ये भी पढ़ें - NRC लागू होने पर देश की जनता होगी तबाह, जनता नहीं देगी BJP को अपना मत- दीपांकर भट्टाचार्य

एडीजी अभियान के अनुसार सबसे राहत की बात यह है कि नक्सली चुनाव में बाधा सीधे तौर पर नहीं डाल पा रहे हैं. क्योंकि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. नक्सली कलस्टर से निकलकर वापस लौट रहे जवानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके लिए सभी को अलर्ट किया गया है. एडीजी के अनुसार तीसरे चरण के लिए पुलिस ने विशेष रणनीति बनाई है और उनकी पूरी कोशिश है कि नक्सलियों को उनके मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के दो चरणों मे भाकपा माओवादी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने चौतरफा घेराबंदी की रणनीति बनायी है. दो चरणों के दौरान नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए, लेकिन जगह-जगह उन्होंने सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की भरपूर कोशिश की. तीसरे चरण में भी नक्सलियों की रणनीति है कि वे चुनाव को प्रभावित करें जिसे लेकर पुलिस अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार कर रही है.

वीडियों में देखें पूरी खबर

दोनों चरणों मे दिखाई नक्सलियों ने धमक

झारखंड में कमजोर होते नक्सली विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. पहले चरण में जहां उन्होंने गुमला में विस्फोट कर चुनौती पेश की, तो वहीं दूसरे चरण में खूंटी में कलस्टर से लौट रही पुलिस पार्टी को निशाना बनाया. जबकि राजधानी रांची में नक्सलियों ने IED विस्फोट में जवानों को हताहत करने की कोशिश की.

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विस्फोट में 2 जवानों को गंभीर चोट आई, जिसके बाद एक जवान को एयर एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए दिल्ली भेजा गया. दोनों चरणों के चुनाव के दौरान गुमला और पलामू में हिंसा भी हुई. जिसमें एक व्यक्ति की जान ही चली गई. पुलिस को गुमला में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी.

फिर नक्सली मचा रहे कोहराम, अलर्ट पर पुलिस

विधानसभा चुनाव में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाई थी. लेकिन वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई. जिसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड में बेहद शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करवा कर झारखंड पुलिस ने मिसाल पेश की थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में पुलिस के सामने नक्सली लगातार चुनौती पेश कर रहे हैं.

बड़े नक्सल नेता सक्रिय
राज्य पुलिस की खुफिया शाखा ने भी माओवादियों की रणनीति से जुड़ी जानकारी पुलिस मुख्यालय और सभी एसपी को दी है. जानकारी के अनुसार झारखंड-ओडिशा की सीमा पर कुख्यात अनमोल, झारखंड-बंगाल सीमा पर एक करोड़ के इनामी आकाश उर्फ तिमिर के अलावे पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा पर 25 लाख का ईनामी असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर, 15 लाख का ईनामी रीजनल कमेटी मेंबर मदन महतो और सचिन उर्फ रामप्रकाश मार्डी सक्रिय है. झारखंड- छतीसगढ़ के इलाकों में भी माओवादियों के दस्ते में एक दर्जन से अधिक छतीसगढ़िया माओवादियों के आने की सूचना है. इस इलाके में भाकपा माओवादियों ने नए कैडरों को भी संगठन से जोड़ा है.

कहां-कहां कौन-कौन है सक्रिय
झारखंड-बिहार की सीमा पर चतरा-गया बॉर्डर, कोडरमा-नवादा सीमा, गिरिडीह, दुमका और जमुई के इलाके में माओवादियों के सैक सदस्यों के नेतृत्व में दस्ता कैंप कर रहा है. चतरा में 25 लाख के इनामी नवीन उर्फ सर्वजीत यादव, चतरा-गया सीमा पर संदीप यादव, गौतम पासवान, कोडरमा-नवादा सीमा पर प्रद्युम्न शर्मा की सक्रियता है. कोल्हान के सरायकेला में एक करोड़ का इनामी अनल उर्फ पतिराम मांझी के अलावा महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है. चाईबासा में एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा का ठिकाना है.

ये भी पढ़ें - झारखंड विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण, 17 सीटों में एक ST और दो SC के लिए सुरक्षित

चाईबासा में एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा का ठिकाना है. पौड़ाहाट के इलाके में जीवन कंडुलना के दस्ते के मूवमेंट की जानकारी मिली है. दुमका के इलाके में माओवादियों की अधिकांश एरिया कमेटी भंग है, लेकिन माओवादी इस बार संथाल में कम प्रभाव वाले जिलों में वारदात को अंजाम दे सकते हैं. कोल्हान के इलाके में भी प्रशांत बोस के दस्ते में छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादी शामिल हैं.

तीसरे चरण के लिए विशेष रणनीति
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि झारखंड में नक्सलियों की धमक अब भी कायम है. दोनों ही चरण में कुछ जगहों पर हिंसा हुई है और नक्सलियों ने भी सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए कई प्रयास किए.

ये भी पढ़ें - NRC लागू होने पर देश की जनता होगी तबाह, जनता नहीं देगी BJP को अपना मत- दीपांकर भट्टाचार्य

एडीजी अभियान के अनुसार सबसे राहत की बात यह है कि नक्सली चुनाव में बाधा सीधे तौर पर नहीं डाल पा रहे हैं. क्योंकि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. नक्सली कलस्टर से निकलकर वापस लौट रहे जवानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके लिए सभी को अलर्ट किया गया है. एडीजी के अनुसार तीसरे चरण के लिए पुलिस ने विशेष रणनीति बनाई है और उनकी पूरी कोशिश है कि नक्सलियों को उनके मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.

Intro:चुनाव प्रभावित करने के लिए माओवादियों की चौतरफा घेराबंदी ,दो चरणों मे दिखाई नक्सलियो ने धमक

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रांची। 

झारखंड विधानसभा चुनाव के दो चरणों मे  भाकपा माओवादियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है। विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने चौतरफा घेराबंदी की रणनीति बनायी है। दो चरणों के दौरान नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए लेकिन जगह-जगह उन्होंने सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की भरपूर कोशिश की। तीसरे चरण में भी नक्सलियों की रणनीति है कि वे चुनाव को प्रभावित करें जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार कर रहा है।


दोनो चरणों मे दिखाई नक्सलियो ने धमक

झारखंड में कमजोर होते नक्सलियों के लिए विधानसभा चुनाव अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। पहले चरण में जहां उन्होंने गुमला में विस्फोट कर चुनौती पेश की तो वहीं दूसरे चरण में खूंटी में क्लस्टर से लौट रही पुलिस पार्टी को निशाना बनाया ।जबकि राजधानी रांची में नक्सलियों ने आईडी विस्फोट में जवानों को हताहत करने की कोशिश की। इस विस्फोट में  2 जवानों को  गंभीर चोटे आई  जिसके बाद एक जवान को एयर एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए दिल्ली भेजा गया ।दोनों चरणों के चुनाव के दौरान गुमला और पलामू में हिंसा भी हुई। जिसमें एक व्यक्ति की जान ही चली गई। पुलिस को गुमला में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी। 


अलर्ट पर पुलिस ,फिर नक्सली मचा रहे कोहराम


विधानसभा चुनाव में पुलिस के द्वारा नक्सलियो के खिलाफ बनाई गई रणनीति पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है ।जिसके पीछे कई वजह बताई जा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड में बेहद शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करवा कर झारखंड पुलिस ने अपनी पीठ थपथपा ने कब होगा सभी को दिया था लेकिन विधानसभा चुनाव में पुलिस के सामने नक्सली लगातार चुनौती पेश कर रहे हैं।पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव सारे सीमावर्ती राज्यों में होते हैं, ऐसे में नक्सली संगठनों अपने राज्यों में ही सक्रिय रहे। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान पड़ोसी राज्यों के नक्सली भी स्थानीय दस्तों को मदद कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है। 

बड़े नक्सल नेता सक्रिय


राज्य पुलिस की खुफिया शाखा ने भी माओवादियों की रणनीति से जुड़ी जानकारी पुलिस मुख्यालय व जिलों के एसपी को दी है। झारखंड - ओडिसा की सीमा पर कुख्यात अनमोल, झारखंड- बंगाल सीमा पर एक करोड़ के इनामी आकाश उर्फ तिमिर के अलावे पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा पर 25 लाख का ईनामी असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर, 15 लाख का ईनामी रीजनल कमेटी मेंबर मदन महतो और सचिन उर्फ रामप्रकाश मार्डी सक्रिय है। झारखंड- छतीसगढ़ के इलाके में भी माओवादियों के दस्ते में एक दर्जन से अधिक छतीसगढ़ियां माओवादियों के आने की सूचना है। इस इलाके में भाकपा माओवादियों ने नए कैडरों को भी संगठन से जोड़ा है। 


कहां कहां कौन कौन सक्रिय


झारखंड- बिहार की सीमा पर चतरा- गया बोर्डर, कोडरमा- नवादा सीमा, गिरिडीह, दुमका और जमुई के इलाके में माओवादियों के सैक सदस्यों के नेतृत्व में दस्ता कैंप कर रहा है। चतरा में 25 लाख के इनामी नवीन उर्फ सर्वजीत यादव, चतरा - गया सीमा पर संदीप यादव, गौतम पासवान, कोडरमा- नवादा सीमा पर प्रद्युम्न शर्मा की सक्रियता है। कोल्हान के इलाके में सरायकेला में एक करोड़ के इनामी अनल उर्फ पतिराम मांझी के अलावा, महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है। चाईबासा में एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा का ठिकाना है। पौड़ाहाट के इलाके में जीवन कंडुलना के दस्ते के मूवमेंट की जानकारी मिली है। दुमका के इलाके में माओवादियों की अधिकाशं एरिया कमेटी भंग हैं, लेकिन माओवादी इस बार संताल में कम प्रभाव वाले जिलों में वारदात को अंजाम दे सकते है। कोल्हान के इलाके में भी प्रशांत बोस के दस्ते में छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादी शामिल हैं। 


तीसरे चरण के लिए विशेष रणनीति 

झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि झारखंड में नक्सलियों की धमक अब भी कायम है। दोनों ही चरण में कुछ जगहों पर हिंसा हुई है और नक्सलियों ने भी सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए कई प्रयास किए। एडीजी अभियान के अनुसार सबसे राहत की बात यह है कि नक्सली चुनाव में बाधा सीधे तौर पर नहीं डाल पा रहे हैं ।क्योंकि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। नक्सली कलस्टर से निकलकर वापस लौट रहे जवानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके लिए सभी को अलर्ट किया गया है। एडीजी के अनुसार तीसरे चरण के लिए पुलिस ने विशेष रणनीति बनाई है और उनकी पूरी कोशिश है कि नक्सलियों को उनके मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

बाइट - मुरारी लाल मीणा, एडीजी अभियानBody:1Conclusion:2
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