रांची: झारखंड में भाकपा माओवादी के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक बिस्तार वाला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है. वर्तमान में संगठन में आपसी मतभेद और विवाद भी होने की सूचना खुफिया एजेंसियों को मिली है. बीते दिनों बूढ़ापहाड़ की कमान संभान वाले केंद्रीय कमेटी सदस्य मिथलेश महतो की गिरफ्तारी बिहार में हुई थी. वर्तमान में मिथलेश को ही माओवादी संगठन ने बूढ़ापहाड़ इलाके की कमान दी थी. मिथलेश अब बिहार पुलिस की गिरफ्त में है. जेल भेजे जाने के बाद झारखंड पुलिस उसे चार माओवादी कांडों में अलग अलग रिमांड पर लेगी.
बूढ़ापहाड़ में अब कौन है सक्रिय: माओवादी मिथलेश बीते साल बूढ़ापहाड़ आया था. इससे पहले बूढ़ापहाड़ इलाके की कमान देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद का दाहिना हाथ माना जाने वाला विमल यादव संभाल रहा था. मिथलेश के बूढ़ापहाड़ आने के बाद विमल को संगठन में डिमोट कर दिया गया था. जिसके बाद वह संगठन से नाराज हो गया था, बाद में उसने संगठन से किनारा कर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया. 25 लाख के इनामी विमल के सरेंडर के बाद बूढ़ापहाड़ में मिथलेश के प्रति नाराजगी बढ़ी थी. वर्तमान में नवीन यादव, सर्वजीत यादव जैसे स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य बूढ़ापहाड़ इलाके में दस्ते के साथ कैंप कर रहे हैं. हालांकि माओवादियों के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इलाके की कमान कौन संभालेगा, इसे लेकर संशय है.
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मृत्युंजय भी हुआ फरार: कई जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाला कुख्यात नक्सली कमांडर मृत्युंजय भी संगठन से नाराज होकर बूढ़ा पहाड़ से फरार हो चुका है. ऐसे में पूरा संगठन ही नेतृत्व को लेकर संकट में है.
देव कुमार सिंह के मौत के बाद स्थिति हुई खराब: 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था. देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया. इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ापहाड़ के इलाके को संभाला, इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ापहाड़ भेजा गया था. तब से वह ही यहां का प्रमुख था.
ऑपरेशन डबल बुल ने तोड़ी कमर: लातेहार-लोहरदगा सीमा पर माओवादी रवींद्र यादव, छोटू खरवार समेत अन्य के दस्ते के खिलाफ ऑपरेशन डबल बुल चलाया जा रहा है. 8 फरवरी से चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाद 11 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं. वहीं भारी पैमानें पर हथियार और गोलियां बरामद हुईं हैं. वहीं, माओवादियों के बीच बिखराव भी हुआ है, जिससे उनकी ताकत में कमी आयी है.
इनामी माओवादियों की संख्या भी घटी: फिलहाल इनामी माओवादियों की संख्या में गिरावट आयी है. राज्य पुलिस कुल 400 उग्रवादियों, अपराधियों पर अपराध घोषित कर सकती है. लेकिन वर्तमान में महज 120 इनामी उग्रवादी बचे हैं. एक करोड़ के इनामी महज तीन उग्रवादी ही वर्तमान में बचे हैं. उसमें से भी असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर को माओवादी संगठन ने सेंट्रल कमिटी मेंबर से स्पेशल एरिया कमिटी सदस्य के तौर पर डिमोट कर दिया है. ऐसे में उस पर ईनाम की राशि एक करोड़ से घटाकर 25 लाख करने का प्रस्ताव है. वहीं मिसिर बेसरा और अनल उर्फ पतिराम मांझी पर एक करोड़ का ईनाम है. सभी एक करोड़ के ईनामी माओवादी एक ही इलाके में कैंप कर रहे हैं.
बाहरी लोगों पर भी नजर: झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार माओवादियों के खिलाफ लड़ाई निरंतर जारी है और इसमें उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. पुलिस को यह जानकारी मिली है कि बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा जैसे राज्यों से माओवादियों को समर्थन देने की कोशिश की जा रही है, वैसे लोगों पर भी विशेष नजर रखी जा रही है.