रांची: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली और किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में विश्व खाद्य दिवस के मौके पर वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. आईसीएआर महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा के निर्देश पर वेबिनार में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की सहभागिता रही. वेबिनार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खाद्य मंत्री स्मृति ईरानी ने संबोधित किया.
कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने सरकार के संदेश को खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए सतत खाद्य प्रणाली का मूल मंत्र बताया. पौष्टिक आहार के लिए किसानों को जागरूक करने, छोटे किसानों को मोटा अनाज उत्पादन के लिए प्रेरित करने और आय बढ़ाने वाली तकनीकों को बढ़ावा देने के मंत्र से ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण को दूर करने में मदद करने की बात कही.
कुपोषण दूर करेगी फसल की नई प्रजाति
कुलपति ने आधुनिक ग्लोबल परिवेश में कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के प्रति अद्यतन और जागरूक रहने की जरूरत बताया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कृषि वैज्ञानिकों के विकसित की गई 17 बायोफोर्टिफाइड फसल प्रजाति को देश के लिए समर्पित किया है. इस प्रजाति में मौजूद विटामिन ए-प्रोटीन, आयरन, जिंक और मिनरल्स से पौष्टिक आहार के सेवन को बढ़ावा मिलेगा और यह कुपोषण को दूर करने में काफी मददगार होगी.
मोटे अनाज का उत्पादन जरूरी
डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने बताया है कि झारखंड प्रदेश में अधिकतर धान का उत्पादन होता है. इसके सेवन से कार्बोहाइड्रेट तो मिल जाती है लेकिन प्रोटीन और विटामिन और अन्य मिनरल्स की कमी से लोग कुपोषण का शिकार हो रहे है. प्रदेश में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने से आहार में प्रोटीन तो मिलने लगा है लेकिन पोषणयुक्त आहार के लिए प्रदेश में पोषणयुक्त मोटे अनाजो के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है.
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डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद और डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी ने विश्व खाद्य दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री और खाद्य मंत्री के संबोधन को कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों तथा किसानों के लिए बेहद लाभकारी बताया.
वेबिनार में ये शामिल रहे
इस वेबिनार में डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव, डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद और डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी सहित विभिन्न विभागों के चेयरमैन, टीचर्स, साइंटिस्ट्स और विभिन्न कॉलेजों के स्टूडेंट्स भी शामिल हुए.