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रामनवमी पर हिंदुओं के लिए झंडा बना रहा मोहम्मद सद्दाम, सांप्रदायिक सौहार्द का दे रहा संदेश - रामनवमी पर महावीरी पताका

दस अप्रैल को पूरे देश भर में रामनवमी धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है. इस मौके पर लोग अपने घरों में महावीरी पताका लगाते हैं. शहर और गावों में निकलने वाली शोभा यात्रा में भी इस झंडे का विशेष महत्व होता है. खास बात ये है कि रांची का एक मुस्लिम युवक सद्दाम महावीरी पताका बनाता है. जिसे खरीदने के लिए ना सिर्फ पूरे झारखंड से बल्कि बिहार और छत्तीसगढ़ से भी लोग इसके पास पहुंचते हैं.

Muslim Tailor making flag for Hindus
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Published : Apr 8, 2022, 3:56 PM IST

Updated : Apr 8, 2022, 4:53 PM IST

रांची: राजधानी रांची ने हमेशा से ही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है. यहां दोनों समुदाय के लोग अक्सर आपसी भाईचारे के साथ त्योहार मनाते हैं. हालांकि कई बार माहौल बिगाड़ने की कोशिश भी हुई, लेकिन इसके बाद भी दोनों समुदायों ने मिलकर ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया. कुछ ऐसा ही करते हैं रांची के सद्दाम जिनकी कई पीढ़ियां रामनवमी पर महावीरी पताका बनाती आ रही हैं.

ये भी पढ़ें: गुलाम की कारीगरी के मुरीद हैं भगवानः पहनते हैं उन्हीं के सिले कपड़े, जानिए कौन है वो शख्स

रांची के हिंदपीढ़ी में रहने वाले सद्दाम हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाते हैं. कई अखाड़े और लोग हर साल इन्हीं से झंडा खरीदना पसंद करते हैं. अपर बाजार में महावीरी पताखा बेच रहे मोहम्मद सद्दाम बताते हैं उन्होंने अपने पूर्वजों से यह संस्कार पाया है कि धर्म से बड़ा इंसानियत होता है इसलिए वह मुसलमान होकर भी रामनवमी के मौके पर हिंदू भाइयों के लिए झंडा बनाकर बेचते हैं.

देखें पूरी खबर

सद्दाम बताते हैं कि आज की तारीख में कुछ कट्टरपंथियों की वजह से समाज में हिंसा बढ़ रही है. इसके बाद भी उन्होंने अपने पूर्वजों के संस्कार को कायम रखा है और हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाकर बेचते हैं ताकि शहर और देश में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश जाए. सद्दाम का मानना है धर्म के लिए कट्टरपंथ सिर्फ कष्ट दे सकता है. धर्मनिरपेक्षता से ही भारत को विकास की ओर आगे बढ़ा सकता है.

सद्दाम की दुकान पर आने वाले ग्राहक भी उनकी सराहना करते हैं. रामनवमी के मौके पर झंडा खरीदने पहुंचे जगन्नाथ यादव बताते हैं कि सद्दाम जैसे युवक की वजह से ही भारत की संस्कृति विश्व विख्यात है. हिंदू मुस्लिम भाईचारगी की यह एक अच्छी मिसाल है. सद्दाम के इसी सोच की वजह से यहां से झंडे खरीदने लोग हजारीबाग, बिहार और छत्तीसगढ़ के लोग भी पहुंचते हैं.

रांची: राजधानी रांची ने हमेशा से ही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है. यहां दोनों समुदाय के लोग अक्सर आपसी भाईचारे के साथ त्योहार मनाते हैं. हालांकि कई बार माहौल बिगाड़ने की कोशिश भी हुई, लेकिन इसके बाद भी दोनों समुदायों ने मिलकर ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया. कुछ ऐसा ही करते हैं रांची के सद्दाम जिनकी कई पीढ़ियां रामनवमी पर महावीरी पताका बनाती आ रही हैं.

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रांची के हिंदपीढ़ी में रहने वाले सद्दाम हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाते हैं. कई अखाड़े और लोग हर साल इन्हीं से झंडा खरीदना पसंद करते हैं. अपर बाजार में महावीरी पताखा बेच रहे मोहम्मद सद्दाम बताते हैं उन्होंने अपने पूर्वजों से यह संस्कार पाया है कि धर्म से बड़ा इंसानियत होता है इसलिए वह मुसलमान होकर भी रामनवमी के मौके पर हिंदू भाइयों के लिए झंडा बनाकर बेचते हैं.

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सद्दाम बताते हैं कि आज की तारीख में कुछ कट्टरपंथियों की वजह से समाज में हिंसा बढ़ रही है. इसके बाद भी उन्होंने अपने पूर्वजों के संस्कार को कायम रखा है और हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाकर बेचते हैं ताकि शहर और देश में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश जाए. सद्दाम का मानना है धर्म के लिए कट्टरपंथ सिर्फ कष्ट दे सकता है. धर्मनिरपेक्षता से ही भारत को विकास की ओर आगे बढ़ा सकता है.

सद्दाम की दुकान पर आने वाले ग्राहक भी उनकी सराहना करते हैं. रामनवमी के मौके पर झंडा खरीदने पहुंचे जगन्नाथ यादव बताते हैं कि सद्दाम जैसे युवक की वजह से ही भारत की संस्कृति विश्व विख्यात है. हिंदू मुस्लिम भाईचारगी की यह एक अच्छी मिसाल है. सद्दाम के इसी सोच की वजह से यहां से झंडे खरीदने लोग हजारीबाग, बिहार और छत्तीसगढ़ के लोग भी पहुंचते हैं.

Last Updated : Apr 8, 2022, 4:53 PM IST
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