रांची: राजधानी रांची ने हमेशा से ही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है. यहां दोनों समुदाय के लोग अक्सर आपसी भाईचारे के साथ त्योहार मनाते हैं. हालांकि कई बार माहौल बिगाड़ने की कोशिश भी हुई, लेकिन इसके बाद भी दोनों समुदायों ने मिलकर ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया. कुछ ऐसा ही करते हैं रांची के सद्दाम जिनकी कई पीढ़ियां रामनवमी पर महावीरी पताका बनाती आ रही हैं.
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रांची के हिंदपीढ़ी में रहने वाले सद्दाम हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाते हैं. कई अखाड़े और लोग हर साल इन्हीं से झंडा खरीदना पसंद करते हैं. अपर बाजार में महावीरी पताखा बेच रहे मोहम्मद सद्दाम बताते हैं उन्होंने अपने पूर्वजों से यह संस्कार पाया है कि धर्म से बड़ा इंसानियत होता है इसलिए वह मुसलमान होकर भी रामनवमी के मौके पर हिंदू भाइयों के लिए झंडा बनाकर बेचते हैं.
सद्दाम बताते हैं कि आज की तारीख में कुछ कट्टरपंथियों की वजह से समाज में हिंसा बढ़ रही है. इसके बाद भी उन्होंने अपने पूर्वजों के संस्कार को कायम रखा है और हर साल रामनवमी के मौके पर झंडा बनाकर बेचते हैं ताकि शहर और देश में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश जाए. सद्दाम का मानना है धर्म के लिए कट्टरपंथ सिर्फ कष्ट दे सकता है. धर्मनिरपेक्षता से ही भारत को विकास की ओर आगे बढ़ा सकता है.
सद्दाम की दुकान पर आने वाले ग्राहक भी उनकी सराहना करते हैं. रामनवमी के मौके पर झंडा खरीदने पहुंचे जगन्नाथ यादव बताते हैं कि सद्दाम जैसे युवक की वजह से ही भारत की संस्कृति विश्व विख्यात है. हिंदू मुस्लिम भाईचारगी की यह एक अच्छी मिसाल है. सद्दाम के इसी सोच की वजह से यहां से झंडे खरीदने लोग हजारीबाग, बिहार और छत्तीसगढ़ के लोग भी पहुंचते हैं.