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प्रवासी मजदूरों पर झारखंड के नक्सलियों की नजर, पुलिस सतर्क

झारखंड में नक्सली संगठन घर वापसी कर रहे प्रवासी मजदूरों को बड़ी उम्मीद की नजर से देख रहे हैं. नक्सली संगठन प्रवासी मजदूरों को अपने संगठन में जोड़ने की फिराक में हैं. हालांकि नक्सलियों कि इस नए उम्मीद पर पुलिस हर कीमत पर पानी फेरना चाहती है.

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प्रवासी मजदूरों पर नक्सलियों की नजर
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Published : Jun 2, 2020, 4:13 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 7:55 PM IST

रांची: झारखंड में लगातार जारी पुलिसिया अभियान की वजह से अपनी जमीन खोने के कागार पर खड़े राज्य के नक्सली संगठन, घर वापसी कर रहे प्रवासी मजदूरों को बड़ी उम्मीद की नजर से देख रहे हैं. नक्सली संगठन प्रवासी मजदूरों की मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें संगठन में शामिल कर एक बार फिर से अपने संगठन को नई धार देना चाहते हैं. वहीं प्रवासी मजदूरों को लेकर नक्सलियों कि इस नए उम्मीद पर पुलिस हर कीमत पर पानी फेरना चाहती है.

देखें पूरी खबर

बड़ी चुनौती

झारखंड पुलिस को आशंका है कि दूसरे राज्यों से वापस अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को नक्सलियों के प्रति रुझान को रोकना एक बड़ी चुनौती साबित होगी. झारखंड के डीजीपी एमबी राव की माने तो संभव है कि नक्सली संगठन के लोग प्रवासी मजदूरों को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करेंगे. झारखंड के डीजीपी चिंतित हैं. दरअसल, उनकी चिंता वाजिब भी है. क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से समाज में बेरोजगारी के दोनों रूप स्पष्ट नजर आने लगे हैं. यानी छिपी हुई बेरोजगारी एक विकराल समस्या के रूप में सामने आई है. अगर रोजगार के साधन जल्द उपलब्ध नहीं होते हैं तो बैड एलिमेंट इसका फायदा उठाकर भोले भाले प्रवासी मजदूरों को अपराध के दलदल में धकेल सकते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना इफेक्ट: आरयू के विद्यार्थी किए जाएंगे प्रमोट, नहीं देना होगा EXAM


बेरोजगारी का फायदा उठा सकते हैं बैड एलिमेंट्स
कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन और फिर झारखंड के मजदूरों की घर वापसी, यह तो बहुत खुशी की बात है, लेकिन समस्या दूसरी वजह से है. घर लौटने की आस में ही प्रवासी मजदूर अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. बड़े शहरों में वे अपना घर बार सब कुछ छोड़ कर दोबारा कभी भी महानगर नहीं लौटने का प्रण लेकर लौटे हैं. ऐसे में अगर उन्हें रोजी रोटी के साधन नहीं मिलेंगे तो वे निश्चित रूप से बैड एलिमेंट्स के साथ जुड़ेंगे. लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होने के बाद झारखंड में अपराध की वारदातें भी बढ़ सकती हैं, ऐसी भी संभावनाएं जताई गई हैं.

ये भी पढ़ें- जूनियर से दुष्कर्म के आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर ने किया सरेंडर



प्रवासी मजदूरों में टेक्निकल हैंड भी
झारखंड पुलिस के लिए परेशानी का एक और विषय है. प्रवासी मजदूरों में ऐसे मजदूर भी शामिल हैं जो टेक्निकली काफी अच्छे हैं. पुलिस की चिंता इस बात को लेकर भी है कि यह अगर साइबर अपराध की तरफ मुड़ते हैं या फिर नक्सलियों की तरफ दोनों ही मामले उनके लिए घातक होंगे. जाहिर है बेरोजगारी लोगों को नक्सलवाद पर अपराध की तरफ खींचेगा. ऐसे में पुलिस प्रशासन और स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों को इस पर निगरानी रखने की जरूरत है. साथ ही इनके लिए रोजगार मुहैया कराया जाना बेहद अहम होगा. झारखंड के डीजीपी यह आशंका जाहिर भी कर रहे हैं. ऐसे में अब रोजगार के साधन उपलब्ध करवाना ही झारखंड के बैड एलिमेंट्स को एक करारा जवाब होगा.

रांची: झारखंड में लगातार जारी पुलिसिया अभियान की वजह से अपनी जमीन खोने के कागार पर खड़े राज्य के नक्सली संगठन, घर वापसी कर रहे प्रवासी मजदूरों को बड़ी उम्मीद की नजर से देख रहे हैं. नक्सली संगठन प्रवासी मजदूरों की मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें संगठन में शामिल कर एक बार फिर से अपने संगठन को नई धार देना चाहते हैं. वहीं प्रवासी मजदूरों को लेकर नक्सलियों कि इस नए उम्मीद पर पुलिस हर कीमत पर पानी फेरना चाहती है.

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बड़ी चुनौती

झारखंड पुलिस को आशंका है कि दूसरे राज्यों से वापस अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को नक्सलियों के प्रति रुझान को रोकना एक बड़ी चुनौती साबित होगी. झारखंड के डीजीपी एमबी राव की माने तो संभव है कि नक्सली संगठन के लोग प्रवासी मजदूरों को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करेंगे. झारखंड के डीजीपी चिंतित हैं. दरअसल, उनकी चिंता वाजिब भी है. क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से समाज में बेरोजगारी के दोनों रूप स्पष्ट नजर आने लगे हैं. यानी छिपी हुई बेरोजगारी एक विकराल समस्या के रूप में सामने आई है. अगर रोजगार के साधन जल्द उपलब्ध नहीं होते हैं तो बैड एलिमेंट इसका फायदा उठाकर भोले भाले प्रवासी मजदूरों को अपराध के दलदल में धकेल सकते हैं.

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बेरोजगारी का फायदा उठा सकते हैं बैड एलिमेंट्स
कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन और फिर झारखंड के मजदूरों की घर वापसी, यह तो बहुत खुशी की बात है, लेकिन समस्या दूसरी वजह से है. घर लौटने की आस में ही प्रवासी मजदूर अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. बड़े शहरों में वे अपना घर बार सब कुछ छोड़ कर दोबारा कभी भी महानगर नहीं लौटने का प्रण लेकर लौटे हैं. ऐसे में अगर उन्हें रोजी रोटी के साधन नहीं मिलेंगे तो वे निश्चित रूप से बैड एलिमेंट्स के साथ जुड़ेंगे. लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होने के बाद झारखंड में अपराध की वारदातें भी बढ़ सकती हैं, ऐसी भी संभावनाएं जताई गई हैं.

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प्रवासी मजदूरों में टेक्निकल हैंड भी
झारखंड पुलिस के लिए परेशानी का एक और विषय है. प्रवासी मजदूरों में ऐसे मजदूर भी शामिल हैं जो टेक्निकली काफी अच्छे हैं. पुलिस की चिंता इस बात को लेकर भी है कि यह अगर साइबर अपराध की तरफ मुड़ते हैं या फिर नक्सलियों की तरफ दोनों ही मामले उनके लिए घातक होंगे. जाहिर है बेरोजगारी लोगों को नक्सलवाद पर अपराध की तरफ खींचेगा. ऐसे में पुलिस प्रशासन और स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों को इस पर निगरानी रखने की जरूरत है. साथ ही इनके लिए रोजगार मुहैया कराया जाना बेहद अहम होगा. झारखंड के डीजीपी यह आशंका जाहिर भी कर रहे हैं. ऐसे में अब रोजगार के साधन उपलब्ध करवाना ही झारखंड के बैड एलिमेंट्स को एक करारा जवाब होगा.

Last Updated : Jun 2, 2020, 7:55 PM IST
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