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लॉकडाउन की मार: प्रवासी मजदूरों के सामने कई समस्याएं, अपने गांव लौटने की आंखों में उम्मीद

लॉकडाउन में झारखंड में कई प्रवासी मजदूर फंसे हैं. अधिकतर मजदूर ईंट भट्ठे, कल कारखाने, फैक्ट्रियां, मेला या फिर किसी कंपनी के अंडर में काम करते हैं. अब इनको कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम विभिन्न राज्यों से झारखंड में आकर फंसे प्रवासी मजदूरों से बात करते हुए उनकी समस्याओं को जाना.

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Published : May 2, 2020, 7:40 PM IST

रांची: कई मजदूर जीवन यापन करने के लिए दूसरे राज्यों में कमाने चले जाते हैं, ताकि एक निश्चित समय पर कमाकर घर परिवार का भरण पोषण कर सकें. लेकिन कोरोना महामारी के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों को प्रभाव पड़ा है. प्रवासी मजदूर ईंट भट्ठे, कल कारखाने, फैक्ट्रियां, मेला या फिर किसी कंपनी के अंडर में काम करने के लिए दूसरे राज्य चले जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से तमाम ईंट भट्ठे, कल कारखाने, फैक्ट्री बंद पड़े हैं.

देखें पूरी खबर

ईटीवी भारत की टीम ने जाना हाल

ईटीवी भारत की टीम विभिन्न राज्यों से झारखंड में आकर फंसे प्रवासी मजदूरों से बात करते हुए उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की है कि इस लॉकडाउन के दौरान उन्हें किस परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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सरकार से उम्मीद

ये भी पढ़ें- आज स्पेशल ट्रेन से कोटा से रांची पहुंचेंगे झारखंड के छात्र, स्टूडेंट्स बोले- THANKYOU

प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय
ईंट भट्ठा में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति इस वक्त सबसे दयनीय हो चुकी है. क्योंकि ईंट भट्ठा बंद पड़ा है. ऐसे में ईंट भट्ठे में काम करने वाले मजदूर भी अपने घर जाना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश से झारखंड के ईंट भट्ठे में काम करने पहुंचे देवीदीन बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से बहुत ज्यादा समस्या हो रही है, अब बस लॉकडाउन खुलने का इंतजार है, ताकि अपने राज्य वापस जा सकें. वे कहते हैं कि बीमार होने पर दवा लेना भी अब संभव नहीं रहा.

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परेशान मजदूर

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन के बोझ तले दबे कुली, मदद की आस में कट रही जिंदगी

समस्याओं का अंबार

वहीं, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला से झारखंड में फर्नीचर का काम करने आए जगमोहन का भी हाल यही है. प्रवासी मजदूर जगमोहन बताते हैं कि वे अपने घर परिवार से दूर हैं. घर में बूढ़े मां बाप और भाई बहन हैं. उनकी मां गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उनकी मजदूरी का सारा पैसा उनके इलाज में जाता है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो झारखंड में फंसे हुए हैं. ऐसे में न तो कोई आमदनी हो रही है और न ही घर में मां के इलाज के लिए पैसे भेज पा रहे हैं.

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मेले में फंसे मजदूर

ये भी पढ़ें- कांग्रेस विधायक के खिलाफ थाने में शिकायत, BJP नेता ने लगाया दुष्प्रचार का आरोप

राज्य सरकार कर रही काम
बता दें कि झारखंड में बाहर से आए हर मजदूरों का हाल बेहाल है. हालांकि राज्य सरकार लगातार बाहर फंसे मजदूरों को वापस लाने में लगी है. साथ ही झारखंड में फंसे मजदूरों को भी उनके प्रदेश भेजने की कोशिश की जा रही है. भारतीय जनता ट्रेड यूनियन के सचिव हरीनाथ साहू कहते हैं कि जो भी प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं, उन्हें किसी भी तरह का खाने-पीने, दवा आदि की दिक्कत न हो इसको लेकर उनकी संगठन पूरी तरह से तत्पर्य है. प्रखंड से लेकर जिलास्तर तक उनकी सूची मुहैया करा दी गई है.

रांची: कई मजदूर जीवन यापन करने के लिए दूसरे राज्यों में कमाने चले जाते हैं, ताकि एक निश्चित समय पर कमाकर घर परिवार का भरण पोषण कर सकें. लेकिन कोरोना महामारी के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों को प्रभाव पड़ा है. प्रवासी मजदूर ईंट भट्ठे, कल कारखाने, फैक्ट्रियां, मेला या फिर किसी कंपनी के अंडर में काम करने के लिए दूसरे राज्य चले जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से तमाम ईंट भट्ठे, कल कारखाने, फैक्ट्री बंद पड़े हैं.

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ईटीवी भारत की टीम ने जाना हाल

ईटीवी भारत की टीम विभिन्न राज्यों से झारखंड में आकर फंसे प्रवासी मजदूरों से बात करते हुए उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की है कि इस लॉकडाउन के दौरान उन्हें किस परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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सरकार से उम्मीद

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प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय
ईंट भट्ठा में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति इस वक्त सबसे दयनीय हो चुकी है. क्योंकि ईंट भट्ठा बंद पड़ा है. ऐसे में ईंट भट्ठे में काम करने वाले मजदूर भी अपने घर जाना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश से झारखंड के ईंट भट्ठे में काम करने पहुंचे देवीदीन बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से बहुत ज्यादा समस्या हो रही है, अब बस लॉकडाउन खुलने का इंतजार है, ताकि अपने राज्य वापस जा सकें. वे कहते हैं कि बीमार होने पर दवा लेना भी अब संभव नहीं रहा.

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परेशान मजदूर

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समस्याओं का अंबार

वहीं, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला से झारखंड में फर्नीचर का काम करने आए जगमोहन का भी हाल यही है. प्रवासी मजदूर जगमोहन बताते हैं कि वे अपने घर परिवार से दूर हैं. घर में बूढ़े मां बाप और भाई बहन हैं. उनकी मां गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उनकी मजदूरी का सारा पैसा उनके इलाज में जाता है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो झारखंड में फंसे हुए हैं. ऐसे में न तो कोई आमदनी हो रही है और न ही घर में मां के इलाज के लिए पैसे भेज पा रहे हैं.

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मेले में फंसे मजदूर

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राज्य सरकार कर रही काम
बता दें कि झारखंड में बाहर से आए हर मजदूरों का हाल बेहाल है. हालांकि राज्य सरकार लगातार बाहर फंसे मजदूरों को वापस लाने में लगी है. साथ ही झारखंड में फंसे मजदूरों को भी उनके प्रदेश भेजने की कोशिश की जा रही है. भारतीय जनता ट्रेड यूनियन के सचिव हरीनाथ साहू कहते हैं कि जो भी प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं, उन्हें किसी भी तरह का खाने-पीने, दवा आदि की दिक्कत न हो इसको लेकर उनकी संगठन पूरी तरह से तत्पर्य है. प्रखंड से लेकर जिलास्तर तक उनकी सूची मुहैया करा दी गई है.

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