रांचीः झारखंड के एक छोटे से शहर से निकलकर महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट की बदौलत ना सिर्फ देश का नाम रोशन किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड को भी एक पहचान दिलाई. धोनी के सुर्खियों में आने से पहले रांची की पहचान मनोचिकित्सा केंद्र रिनपास और सीआईपी की वजह से होती थी. पटना के बस स्टैंड पर एक कहावत प्रचलित थी. अगर कोई पागलों की तरह हरकत करता था तो लोग उसे रांची जाने वाली बस का टायर सूंघा दो. लेकिन अब रांची का जिक्र होते ही महेंद्र सिंह धोनी और देवड़ी मंदिर की चर्चा शुरू हो जाती है.
राजधानी रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर रांची - जमशेदपुर नेशनल हाइवे नंबर 33 पर तमाड़ में स्थित देवड़ी मंदिर से महेंद्र सिंह धोनी का अटूट लगाव रहा है. मंदिर के पुजारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जब धोनी रणजी क्रिकेट खेला करते थे तब रांची से जमशेदपुर जाते वक्त मां का आशीर्वाद लेने आया करते थे. देवड़ी मां के आशीर्वाद से धोनी की तमाम मुरादें पूरी होती रही साथ ही इस मंदिर से उनका लगाव समय के साथ अटूट होता रहा. कहते हैं देवड़ी मां के दरबार में माथा टेकने के बाद ही धोनी कोई भी शुभ कार्य किया करते हैं.
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हर खास काम के पहले मां के दर्शन
रणजी क्रिकेट के बाद जब धोनी भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हुए और पहली स्कॉर्पियो गाड़ी खरीदी तो उसकी पूजा इसी मंदिर में कराई थी. साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप के पहले धोनी यहां मत्था टेकने आये थे. 2011 का वनडे वर्ल्ड कप जीतकर जब धोनी रांची लौटे थे तब भी माता का आशीर्वाद लेने आए थे. टी 20 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान के रूप में चयनित होते ही धोनी सबसे पहले माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. शादी के बाद पत्नी साक्षी के साथ वे आशीर्वाद लेने आए थे. देवड़ी के लोग मानते हैं कि धोनी ने देवी के इस मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इस मंदिर में पूजा के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रहे वरुण एरोन और हरभजन सिंह भी आ चुके हैं.
- पहली स्कॉर्पियो गाड़ी की पूजा यहां
- टी-20 वर्ल्ड कप 2007 के पहले पूजा
- वर्ल्ड कप 2011 के समय लिया आशीर्वाद
- शादी के बाद साक्षी के साथ भी आए थे धोनी
- वरुण एरोन और हरभजन सिंह भी कर चुके हैं दर्शन
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देवड़ी मंदिर का रोचक इतिहास
90 के दशक में यह इलाका नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था. इसी इलाके में दिनदहाड़े झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या की गई थी, लेकिन अब यहां की फिजा बदल गई है. यहां अब आस्था है विश्वास है. इस मंदिर में मां दुर्गा की 700 साल पुरानी प्रतिमा है. आमतौर पर मां की अष्टभुजा प्रतिमा मिलती है लेकिन देवड़ी में मां की सोलह भुजाएं हैं. इसकी स्थापना के समय का सटीक पता तो नहीं चलता, लेकिन लोगों के अनुसार एक आदिवासी शासक ने दशकों पहले इस मंदिर की स्थापना करवायी थी. यहां की एक और खासियत है कि इस मंदिर में पूजा करने वाले ज्यादातर पुजारी जनजातीय समाज के हैं.
- मंदिर में मां दुर्गा की 700 साल पुरानी प्रतिमा
- देवड़ी में मां की सोलह भुजाएं
- आदिवासी राजा ने की थी मंदिर की स्थापना
- ज्यादातर पुजारी जनजातीय समाज के
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मंदिर का निर्माण अब भी अधूरा
धोनी की आस्था की बदौलत श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी तो झारखंड सरकार ने भी इस मंदिर को विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया. जहां तक इस मंदिर के निर्माण में धोनी की तरफ से सहयोग की बात है तो आपको जानकर हैरानी होगी कि धोनी ने किसी तरह का सहयोग नहीं किया है. फिर भी यहां के लोग महेंद्र सिंह धोनी के प्रति दिल से आभार प्रकट करते हैं क्योंकि धोनी की वजह से ही ये मंदिर आस्था के बड़े केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है. कुछ वर्ष पहले तक प्रसाद बेचने का एक या दो स्टॉल लगता था अब 20 से ज्यादा स्टॉल लगता है. इसके साथ ही फोटोग्राफर्स और दूसरे कई लोगों को रोजगार मिलता है.
यहां के लोगों का मानना है कि महेंद्र सिंह धोनी के सिर पर मां देवड़ी का हाथ है और माता के आशीर्वाद से ही वे दुनिया में अपना खास मुकाम बना पाए हैं. देवड़ी के मां दुर्गा की असीम कृपा से ही रांची को दुनियाभर में नई पहचान मिली है.