साहिबगंज: जहां एक तरफ नोवल कोरोना वायरस मनुष्य का दुश्मन बना हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ इसका प्रतिकूल असर गंगा नदी पर पड़ रहा है. अब गंगा साफ सुथरा और अविरल हो चुकी है. यही वजह है कि गंगा की ऊपरी सतह पर डॉल्फिन सहित कई जीव जंतु की हल चल बढ़ चुकी हैं. डॉल्फिन लोगों को अपनी तरफ लुभा रहा है.
लॉकडाउन की वजह से सारा काम काज ठप पड़ा है उधोग धंधे बंद हो चुके हैं, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण सभी में गिरावट आया है. पहले गंगा के रास्ते मालवाहक जहाज से पत्थर, चिप्स और बालू दूसरे राज्य जाते थे. मोटर नाव से लेकर रोजाना माल ढ़ोने वाले पानी जहाज तक सब नदी की जल को दूषित करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण सब बंद हो गया है और बहुत हद तक गंगा का पानी स्वच्छ हो गया है. जिस वजह से नदी में डॉल्फिन भी अठखेलियां करती नजर आने लगी हैं.
डॉल्फिन का शिकार है अपराध
डॉल्फिन (सूंस) एक जलीय और स्तनधारी जीव है. इसका शिकार हमारे देश के कानून के अनुसार अपराध माना जाता है. यह जीव गंदे पदार्थ को खाते हैं, जिससे गंगा को अविरल करने में अहम भूमिका है. भारत सरकार ने इस जीव को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है. यह जीव साफ सुथरा गंगा जल में वास करता है.
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साहिबगंज के लोगों ने कहा कि गंगा का जल साफ हो चुका है, इसकी मुख्य वजह लॉकडाउन है. रही बात डॉल्फिन की तो एक युग बीत गया था, इस जीव को देखे हुए. अब हर 10 से 15 मिनट में डॉल्फिन नजर आ जाते हैं. लोगों ने कहा कि डॉल्फिन से गंगा नदी से लेकर आम मानव को इससे काफी फायदा है. झारखंड का एकमात्र गंगा नदी साहिबगंज से गुजरती है. इसका संरक्षण बहुत जरूरी है इसको डॉल्फिन जोन घोषित कर देना चाहिए.
गंगा जल हुआ स्थिर और प्रदूषण मुक्त
पर्यावरणविद श्याम सुंदर पोद्दार ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से आज हम शुद्ध पर्यावरण में सांस ले रहे हैं. पहाड़ों पर हरियाली ही हरियाली दिख रही है. पेड़ पौधे हरे-भरे नजर आ रहे हैं. साथ ही गंगा का जल भी साफ और अविरल नजर आ रहा है. गंगा का जल स्थिर और प्रदूषण मुक्त हो चुका है. यही वजह है कि डॉल्फिन सहित अन्य जीव गंगा के ऊपरी सतह पर विचरण करते नजर आ जाते हैं जो बड़ा सुंदर लगता है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के तर्ज पर झारखंड सरकार को भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित कर देना चाहिए.
डीएफओ ने कहा कि निश्चित रूप से लॉकडाउन में गंगा की शुद्धता बढ़ी है. प्रदूषण युक्त पदार्थ का बहाव बहुत कम हुआ है. गंगा का जल जांच के लिए भेज दिया गया है. ताकि मालूम चल सके कि गंगा के जल में प्रोटीन, आयरन और तमाम विटामिन किस रूप में और कितना है. डॉल्फिन का नजर आना निश्चित रूप से जिले वासियों के लिए खुशी की बात है.
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उन्होंने कहा कि साहिबगंज जिले में गंगा 83 किलोमीटर तक हैं फिर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है. विभाग को सूचित किया गया है कि बिहार सरकार के विक्रमशिला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के तर्ज पर साहिबगंज के इस क्षेत्र को भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित कर दें ताकि गंगा को संरक्षण के साथ इन डॉल्फिन का भी संरक्षण किया जा सके.
साहिबगंज के इस क्षेत्र को अगर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किया जाता है तो गंगा और इसमें रहने वाले जलीय जीव से लेकर पशु-पक्षी तक का संरक्षण करना आसान हो जाएगा साथ ही विभाग को इनके संरक्षण के लिए अतिरिक्त फंड मुहैया होगा.