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धनबाद जज उत्तम आनंद मौत पर सीबीआई की दलील से झारखंड हाई कोर्ट नाराज, कहा- विशेषज्ञ की तरह नहीं हो रही जांच - judge uttam anand death

धनबाद जज उत्तम आनंद मौत मामले में सीबीआई की दलील से झारखंड हाई कोर्ट नाराज हो गया है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई विशेषज्ञ की तरह से जांच नहीं कर रही है जिससे आरोपी को बचने का मौका मिल रहा है.

JHARKHAND HIGH COURT
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 21, 2022, 5:07 PM IST

Updated : Jan 21, 2022, 9:38 PM IST

रांची: धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले में सीबीआई की जांच पर हाई कोर्ट ने निराशा जाहिर की है. अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि सीबीआई विशेषज्ञ की तरह जांच नहीं कर रही है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बचने का रास्ता दिया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें- धनबाद जज मौत मामले में सीबीआई की थ्योरी से हाई कोर्ट नाराज, आरोपियों का नार्को टेस्ट रिपोर्ट पेश करने का आदेश

मोबाइल छिनतई के लिए जज की हत्या हुई

इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अदालत को बताया गया कि यह घटना मोबाइल छिनतई का प्रतीत होता है. घटना के वीडियो फुटेज और सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद यह पाया गया कि जज साहब प्रत्येक दिन उस समय मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं निकलते थे. यह उनका नियमित रूटीन नहीं था कि रेकी करके उनका पीछा किया जा सकता था. इसके अलावा नार्को टेस्ट एवं अन्य टेस्ट के आधार पर यह प्रतीत होता है कि यह मोबाइल छीनने के ही कारण घटना हुआ है.

देखें वीडियो

सीबीआई के तर्क पर कोर्ट नाराज

सीबीआई के इस तर्क पर अदालत ने काफी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि लगता है कि सीबीआई मामले की जांच ना कर आरोपी को बचाने के लिए इस तरह की नई कहानी बना रही हैं. अदालत ने कहा कि सीबीआई के द्वारा जो नारको टेस्ट की रिपोर्ट अदालत में पेश की गई है जिसमें आरोपी का बयान है कि जज साहब जा रहे हैं ऐसे में उसे पहले से पता है कि वे जज साहब हैं. जज साहब के हाथ में रुमाल है, वह देख रहा है अगर जज साहब के हाथ में मोबाइल होता तो थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाता लेकिन जब उनके हाथ में मोबाइल था ही नहीं तो मोबाइल छीनने के लिए ऐसा क्यों किया जाएगा. मोबाइल छीनने से पहले उन्हें यह मालूम करना क्यों जरूरी होगा कि यह जज साहब हैं. इसलिए सीबीआई की ये दलील उचित प्रतित नहीं होता है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि पिछले वर्ष 28 जुलाई को धनबाद में मॉर्निंग वॉक के समय रणधीर वर्मा चौक के पास जज उत्तम आनंद को ऑटो ने टक्कर मार दी थी. जिसमें उनकी मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का मामले में संज्ञान लेने के बाद सीबीआई पूरे केस की जांच कर रही है. जिसकी मॉनिटरिंग झारखंड हाईकोर्ट कर रही है. प्रत्येक सप्ताह झारखंड हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई की जा रही है. सीबीआई के द्वारा जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की जाती है. अदालत के आदेश अनुसार पिछले सप्ताह सभी प्रकार की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में रिपोर्ट पेश की गई है. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.

रांची: धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले में सीबीआई की जांच पर हाई कोर्ट ने निराशा जाहिर की है. अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि सीबीआई विशेषज्ञ की तरह जांच नहीं कर रही है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बचने का रास्ता दिया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें- धनबाद जज मौत मामले में सीबीआई की थ्योरी से हाई कोर्ट नाराज, आरोपियों का नार्को टेस्ट रिपोर्ट पेश करने का आदेश

मोबाइल छिनतई के लिए जज की हत्या हुई

इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अदालत को बताया गया कि यह घटना मोबाइल छिनतई का प्रतीत होता है. घटना के वीडियो फुटेज और सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद यह पाया गया कि जज साहब प्रत्येक दिन उस समय मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं निकलते थे. यह उनका नियमित रूटीन नहीं था कि रेकी करके उनका पीछा किया जा सकता था. इसके अलावा नार्को टेस्ट एवं अन्य टेस्ट के आधार पर यह प्रतीत होता है कि यह मोबाइल छीनने के ही कारण घटना हुआ है.

देखें वीडियो

सीबीआई के तर्क पर कोर्ट नाराज

सीबीआई के इस तर्क पर अदालत ने काफी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि लगता है कि सीबीआई मामले की जांच ना कर आरोपी को बचाने के लिए इस तरह की नई कहानी बना रही हैं. अदालत ने कहा कि सीबीआई के द्वारा जो नारको टेस्ट की रिपोर्ट अदालत में पेश की गई है जिसमें आरोपी का बयान है कि जज साहब जा रहे हैं ऐसे में उसे पहले से पता है कि वे जज साहब हैं. जज साहब के हाथ में रुमाल है, वह देख रहा है अगर जज साहब के हाथ में मोबाइल होता तो थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाता लेकिन जब उनके हाथ में मोबाइल था ही नहीं तो मोबाइल छीनने के लिए ऐसा क्यों किया जाएगा. मोबाइल छीनने से पहले उन्हें यह मालूम करना क्यों जरूरी होगा कि यह जज साहब हैं. इसलिए सीबीआई की ये दलील उचित प्रतित नहीं होता है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि पिछले वर्ष 28 जुलाई को धनबाद में मॉर्निंग वॉक के समय रणधीर वर्मा चौक के पास जज उत्तम आनंद को ऑटो ने टक्कर मार दी थी. जिसमें उनकी मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का मामले में संज्ञान लेने के बाद सीबीआई पूरे केस की जांच कर रही है. जिसकी मॉनिटरिंग झारखंड हाईकोर्ट कर रही है. प्रत्येक सप्ताह झारखंड हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई की जा रही है. सीबीआई के द्वारा जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की जाती है. अदालत के आदेश अनुसार पिछले सप्ताह सभी प्रकार की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में रिपोर्ट पेश की गई है. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.

Last Updated : Jan 21, 2022, 9:38 PM IST
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