रांची: छठ पूजा के दौरान सार्वजनिक तालाब, नदी और जलाशयों में अर्घ्य देने से संक्रमण के खतरे को देखते हुए जारी गाइडलाइन पर राजनीति शुरू हो गई है. भाजपा ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान बताया है. वहीं, इस पर आम लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया है. आम लोगों की भावनाओं को देखते हुए सत्ताधारी दल झामुमो ने भी फैसले पर सरकार से पुनर्विचार की मांग की है. झामुमो के केंद्रीय समिति के महासचिव विनोद पांडेय ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और सरकारी निर्देश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.
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पत्र में लिखा गया है कि कोविड-19 के कारण पिछले 7 माह में सरहुल, रामनवमी, ईद, ईस्टर, स्वतंत्रता दिवस, करमा, विश्वकर्मा पूजा, दुर्गा पूजा, काली पूजा जैसे अनेक धार्मिक एवं राष्ट्रीय पर्व के हर्षोल्लास को सीमित रखते हुए लोगों द्वारा राज्य सरकार के हर दिशा-निर्देश का अक्षरश: पालन किया है. छठ महापर्व हिंदुओं के आस्था का महापर्व है.
देश में झारखंड, बिहार एवं उत्तर प्रदेश में छठ महापर्व अपना विशेष स्थान रखता है. नहाय-खाय के दिन से शुरू होकर खरना, अस्ताचलगामी सूर्य और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का पारन किया जाता है. कुल चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व से झारखंड ही नहीं पूरे विश्व में रहने वाले हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है. वर्तमान समय में कोविड नियंत्रण और छठ महापर्व से जुड़ी लोक आस्था के कारण राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.