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बदहाल हो चुका है राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम, टूटे-फूटे टर्फ में अभ्यास करने को मजबूर खिलाड़ी

रांची के मोरहाबादी में स्थित जिस हॉकी स्टेडियम में खेलकर खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है, आज वह बहुत बूरे हालत में है. इसका टर्फ पूरी तरह फट चुका है. गोल पोस्ट भी अच्छी स्थिति में नहीं है. खिलाड़ी और हॉकी झारखंड अब नए सरकार से इसकी मरम्मत की आस लगा रहे हैं.

Jharkhand's first AstroTurf Hockey Stadium is in bad condition
अभ्यास करते खिलाड़ी
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Published : Jan 5, 2020, 3:18 PM IST

रांचीः झारखंड का पहला एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम आज बदहाली के कगार पर है. राजधानी रांची के मोरहाबादी में स्थित इस हॉकी स्टेडियम से खेलकर झारखंड के कई खिलाड़ियों ने ना केवल देश का नाम रोशन किया है बल्कि इंटरनेशनल लेवल के मैचों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. लेकिन आज इस हॉकी स्टेडियम की हालत काफी खराब है. इसका टर्फ पूरी तरह फट चुका है. गोल पोस्ट भी अच्छी स्थिति में नहीं है.

देखें पूरी खबर

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स्टेडियम की ऐसी हालत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई टूर्नामेंट को यहां रद्द करना पड़ा. हर बार आश्वासन दिया गया कि जल्द ही टर्फ को बदला जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, खिलाड़ी भी उसी स्थिति में प्रैक्टिस करने को मजबूर है.

खेल विभाग और सीसीएल दोनों ही दोषी

अब तो ऐसी स्थिति हो गई है कि राज्य स्तरीय टूर्नामेंट भी नहीं कराया जा सकता. हर तरफ से टर्फ फट चुका है. सिलाई करा खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करने को मजबूर है. रघुवर सरकार के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी को बार-बार इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन उन्होंने भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया.

झारखंड के कई खिलाड़ियों ने जहां खेलकर ना केवल देश का नाम रोशन किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई, आज वही टर्फ बदहाल है. इस टर्फ पर खेलकर झारखंड के निक्की प्रधान ने ओलंपिक तक का सफर तय किया. लेकिन अब इसी टर्फ पर खिलाड़ी जोखिम उठाकर मैच और प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं. सीसीएल भी इसके पीछे कम दोषी नहीं है. इसकी देखरेख का जिम्मा सीसीएल को राज्य सरकार ने दिया था लेकिन जिम्मेदार अफसरों का इस ओर ध्यान ही नहीं है.

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रोजाना सैकड़ों खिलाड़ी आते हैं प्रैक्टिस करने

मोरहाबादी के एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में सुबह से लेकर शाम तक खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. हॉकी से जुड़े तमाम कोचिंग सेंटर्स के खिलाड़ी भी यहीं आकर प्रैक्टिस करते हैं. प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. टर्फ के कई परत पूरी तरह खराब हो चुके हैं और जब तक इसे बदला नहीं जाएगा तब तक खिलाड़ियों के लिए यह दुर्घटना का केंद्र बना रहेगा. क्योंकि इसमें पानी का ठहराव नहीं होता है जिससे फिसलन बढ़ गयी है.

खेल विभाग और हॉकी झारखंड को अब नए खेल मंत्री का इंतजार

इस मामले को लेकर विभागीय खेल निदेशक कहते हैं कि अब नए सरकार के नए खेल मंत्री इस हॉकी स्टेडियम के टर्फ का जीर्णोद्धार करेंगे. यही बात हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोला सिंह भी दोहराते नजर आए. अब खिलाड़ियों को भी नए सरकार के मंत्रिमंडल के गठन और खेल मंत्री का ही इंतजार करना होगा. तब तक खिलाड़ियों को इस स्टेडियम में प्रैक्टिस भी करना होगा और आपसी मैत्री मैच भी खेलना होगा.

रांचीः झारखंड का पहला एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम आज बदहाली के कगार पर है. राजधानी रांची के मोरहाबादी में स्थित इस हॉकी स्टेडियम से खेलकर झारखंड के कई खिलाड़ियों ने ना केवल देश का नाम रोशन किया है बल्कि इंटरनेशनल लेवल के मैचों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. लेकिन आज इस हॉकी स्टेडियम की हालत काफी खराब है. इसका टर्फ पूरी तरह फट चुका है. गोल पोस्ट भी अच्छी स्थिति में नहीं है.

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स्टेडियम की ऐसी हालत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई टूर्नामेंट को यहां रद्द करना पड़ा. हर बार आश्वासन दिया गया कि जल्द ही टर्फ को बदला जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, खिलाड़ी भी उसी स्थिति में प्रैक्टिस करने को मजबूर है.

खेल विभाग और सीसीएल दोनों ही दोषी

अब तो ऐसी स्थिति हो गई है कि राज्य स्तरीय टूर्नामेंट भी नहीं कराया जा सकता. हर तरफ से टर्फ फट चुका है. सिलाई करा खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करने को मजबूर है. रघुवर सरकार के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी को बार-बार इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन उन्होंने भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया.

झारखंड के कई खिलाड़ियों ने जहां खेलकर ना केवल देश का नाम रोशन किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई, आज वही टर्फ बदहाल है. इस टर्फ पर खेलकर झारखंड के निक्की प्रधान ने ओलंपिक तक का सफर तय किया. लेकिन अब इसी टर्फ पर खिलाड़ी जोखिम उठाकर मैच और प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं. सीसीएल भी इसके पीछे कम दोषी नहीं है. इसकी देखरेख का जिम्मा सीसीएल को राज्य सरकार ने दिया था लेकिन जिम्मेदार अफसरों का इस ओर ध्यान ही नहीं है.

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रोजाना सैकड़ों खिलाड़ी आते हैं प्रैक्टिस करने

मोरहाबादी के एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में सुबह से लेकर शाम तक खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. हॉकी से जुड़े तमाम कोचिंग सेंटर्स के खिलाड़ी भी यहीं आकर प्रैक्टिस करते हैं. प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. टर्फ के कई परत पूरी तरह खराब हो चुके हैं और जब तक इसे बदला नहीं जाएगा तब तक खिलाड़ियों के लिए यह दुर्घटना का केंद्र बना रहेगा. क्योंकि इसमें पानी का ठहराव नहीं होता है जिससे फिसलन बढ़ गयी है.

खेल विभाग और हॉकी झारखंड को अब नए खेल मंत्री का इंतजार

इस मामले को लेकर विभागीय खेल निदेशक कहते हैं कि अब नए सरकार के नए खेल मंत्री इस हॉकी स्टेडियम के टर्फ का जीर्णोद्धार करेंगे. यही बात हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोला सिंह भी दोहराते नजर आए. अब खिलाड़ियों को भी नए सरकार के मंत्रिमंडल के गठन और खेल मंत्री का ही इंतजार करना होगा. तब तक खिलाड़ियों को इस स्टेडियम में प्रैक्टिस भी करना होगा और आपसी मैत्री मैच भी खेलना होगा.

Intro:रांची।

राजधानी रांची के मोराबादी स्थित झारखंड का पहला एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम आज बदहाली के कगार पर है. इस हॉकी स्टेडियम से खेलकर झारखंड के कई खिलाड़ियों ने ना केवल देश का नाम रोशन किया. बल्कि इंटरनेशनल लेवल के मैचों में अपनी एक अलग पहचान बनाई .आज यह हॉकी स्टेडियम बदहाल है. इसका टर्फ पूरी तरह फट चुका है. गोल पोस्ट भी अच्छी स्थिति में नहीं है. अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई बार टूर्नामेंट यहां रद्द करना पड़ा. हर बार आश्वासन मिला कि जल्द ही टर्फ को बदला जाएगा. स्टेडियम की सूरते हाल सुधारी जाएगी. लेकिन अब तक उसी स्थिति में खिलाड़ी प्रेक्टिस करने को मजबूर है.


Body:राज्य सरकार के खेल विभाग और सीसीएल दोनों है दोषी:

अब तो ऐसे स्थिति हो गई है कि राज्य स्तरीय टूर्नामेंट भी नहीं कराया जा सकता है .हर तरफ से टर्फ फट चुका है. सिलाई करा खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करने को मजबूर है. रघुवर सरकार के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी को बार-बार इस संबंध में अवगत कराया गया .लेकिन उन्होंने भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया .जिस हॉकी स्टेडियम से खेलकर झारखंड के कई खिलाड़ियों ने ना केवल देश का नाम रोशन किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई .आज वही टर्फ बदहाल है. इसी टर्फ पर खेलकर झारखंड के निक्की प्रधान ने ओलंपिक तक का सफर तय किया. लेकिन अब इसी टर्फ पर खिलाड़ी जोखिम उठाकर मैच और प्रैक्टिस करने को मजबूर है .सीसीएल भी इसके पीछे कम दोषी नहीं है. इसकी देखरेख का जिम्मा सीसीएल को राज्य सरकार द्वारा दिया गया है .लेकिन जिम्मेदार अफसरों की इस ओर ध्यान ही नहीं है.

रोजाना सैकड़ों खिलाड़ी आते हैं प्रैक्टिस करने:

मोराबादी के एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में सुबह से लेकर शाम तक खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है .हॉकी से जुड़े तमाम कोचिंग सेंटर्स के खिलाड़ी भी यहीं आकर प्रैक्टिस करते हैं. खिलाड़ी फटे टर्फ पर अभ्यास करने को मजबूर है .प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. टर्फ के कई परत पूरी तरह खराब हो चुके हैं और जब तक इसे बदला नहीं जाएगा तब तक खिलाड़ियों के लिए यह दुर्घटना का केंद्र भी है. क्योंकि इसमें पानी का ठहराव नहीं होता है .फिसलन बढ़ गया है .मजबूरी में खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं.


Conclusion:खेल विभाग और हॉकी झारखंड को अब नए खेल मंत्री के इंतजार.

इस मामले को लेकर विभागीय खेल निदेशक कहते हैं कि अब नए सरकार के नए खेल मंत्री इस हॉकी स्टेडियम के टर्फ का जीर्णोद्धार करेंगे और यही बात हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोला सिंह भी दोहराते नजर आए .अब खिलाड़ियों को भी नए सरकार के मंत्रिमंडल के गठन और खेल मंत्री का ही इंतजार करना होगा. तब तक खिलाड़ियों को इस स्टेडियम में प्रैक्टिस भी करना होगा और आपसी मैत्री मैच भी खेलना होगा.


बाइट-अनिल कुमार सिंह,निदेशक,खेल विभाग।

बाइट-भोला नाथ सिंह,अध्यक्ष, हॉकी झारखंड।
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