रांची: शराब के दुष्प्रभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने शराब के दुष्प्रभाव को गंभीरता से लेते हुए सरकार के विभिन्न विभागों को से जवाब मांगा है.
अदालत ने सरकार के विभिन्न विभागों से मांगा सुझाव
अदालत ने सरकार के विभिन्न विभागों से सुझाव मांगा है कि इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? मामले की सुनवाई मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश एचसी मिश्र और न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में हुई. मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी.
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शराब के कारण युवा अपराध के दलदल में फंस रहे
शराब झारखंड की युवाओं को नशे की लत लग रहा है, बल्कि झारखंड के युवा शराब से अपराध के दलदल में भी फंसते जा रहे हैं. झारखंड सरकार हाई कोर्ट में शराब के दुष्प्रभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उत्पाद विभाग और सरकार के विभिन्न विभागों से पूछा है कि शराब के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए सुझाव दें.
शराब को लेकर कोई भी सामाजिक सर्वे नहीं की गई
अदालत से कहा गया कि भारत विश्व का सबसे बड़ा यूथ रखने वाला देश है. लेकिन अगर यूथ नशे की गिरफ्त में चले जाएंगे तो युवा आखिर किस काम के रह जाएंगे. झारखंड अलग हुए 19 साल हो गए आज तक शराब को लेकर कोई भी सामाजिक सर्वे नहीं की गई है, जिसको लेकर कोर्ट ने सरकार के सभी विभागों से जवाब मांगा है.
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इनसे मांगा गया जवाब
याचिकाकर्ता के मुताबिक, शराब की बिक्री के लिए कोई नीति तय नहीं की गई है. जिसकी वजह से बच्चे भी शराब खरीद रहे हैं और पी रहे हैं. जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि युवा पीढ़ी को शराब की गलत पॉलिसी के कारण बच्चों के हाथ में शराब अधिक से अधिक मात्रा में मिल जा रहा है. अदालत ने मामले की गंभीरता को लेते हुए उत्पाद विभाग, युवा मामले के विभाग, सामाजिक सुरक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग से राय मांगा है.