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रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कहा सभी व्यवस्था ध्वस्त

झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि रिम्स की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. कोर्ट के कई आदेश के बावजूद रिम्स की व्यवस्था में अब तक कोई सुधार नहीं किया गया है.

poor arrangement of rims
रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट की गंभीर टिप्पणी
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Published : Aug 26, 2022, 7:23 PM IST

रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने मौखिक रूप से कहा है कि रिम्स की व्यवस्था ध्वस्त हो गया है. ऐसा प्रतीत हो रहा है. यह टिप्पणी हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान रिम्स प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए की है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड हाई कोर्ट में रिम्स की हालत में सुधार को लेकर हुई सुनवाई, 8 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत में रिम्स के अधिवक्ता जवाब दे रहे थे. कोर्ट ने जवाब से असंतुष्ट होकर अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि रिम्स प्रशासन में खुद बदलने की इच्छाशक्ति नहीं है. कोर्ट के कई आदेश के बाद भी रिम्स में मौजूदा अव्यवस्था में अब तक कोई सुधार नहीं आया है. रिम्स में आवश्यक सामग्री जैसे सिरिंज, कॉटन, ग्लव्स, एक्स-रे प्लेट, सीटी स्कैन मशीन की फिल्म आदि की खरीद रिम्स प्रबंधन नहीं कर रहा है. इससे लगता है कि रिम्स की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. जांच मशीनों के खराब रहने से राज्य की जनता को इलाज के दौरान काफी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है और रिम्स प्रशासन इसे लेकर कतई गंभीर नहीं है.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत ने कहा कि रिम्स में चाहे नियुक्ति की बात हो या एक्स-रे मशीन, अल्ट्रासाउंड मशीन, सीटी स्कैन मशीन आदि को दुरुस्त रखने की बात हो. इसको लेकर कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जाता है. रिम्स में अधिकांश जांच मशीनें खराब रहती है. इस स्थिति में रिम्स की अव्यवस्था पर हाई कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं रख सकता है. रिम्स के चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं और नन प्रैक्टिस अलाउंस भी लेते हैं. कोर्ट ने रिम्स के अधिवक्ता से पूछा कि किस कारण से रिम्स के डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गई है.

कोर्ट ने रिम्स में आउटसोर्सिंग से लोगों की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं किए जाने की भी बात कही है. नियमित नियुक्ति रिम्स में सुनिश्चित किए जाने पर भी हाई कोर्ट ने जोर दिया. स्वीपर के पद पर सीधी नियुक्ति की जाए. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सुनवाई में रिम्स डायरेक्टर क्यों नहीं उपस्थित हुए. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि जब रिम्स डायरेक्टर के खिलाफ अवमानना से संबंधित मामला चल रहा है तो खुद उन्हें आना चाहिए था. उनकी जगह रिम्स के प्रभारी निदेशक क्यों आए. प्रभारी निदेशक को किसी बात की जानकारी नहीं है. अब मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी.

रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने मौखिक रूप से कहा है कि रिम्स की व्यवस्था ध्वस्त हो गया है. ऐसा प्रतीत हो रहा है. यह टिप्पणी हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान रिम्स प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए की है.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत में रिम्स के अधिवक्ता जवाब दे रहे थे. कोर्ट ने जवाब से असंतुष्ट होकर अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि रिम्स प्रशासन में खुद बदलने की इच्छाशक्ति नहीं है. कोर्ट के कई आदेश के बाद भी रिम्स में मौजूदा अव्यवस्था में अब तक कोई सुधार नहीं आया है. रिम्स में आवश्यक सामग्री जैसे सिरिंज, कॉटन, ग्लव्स, एक्स-रे प्लेट, सीटी स्कैन मशीन की फिल्म आदि की खरीद रिम्स प्रबंधन नहीं कर रहा है. इससे लगता है कि रिम्स की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. जांच मशीनों के खराब रहने से राज्य की जनता को इलाज के दौरान काफी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है और रिम्स प्रशासन इसे लेकर कतई गंभीर नहीं है.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत ने कहा कि रिम्स में चाहे नियुक्ति की बात हो या एक्स-रे मशीन, अल्ट्रासाउंड मशीन, सीटी स्कैन मशीन आदि को दुरुस्त रखने की बात हो. इसको लेकर कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जाता है. रिम्स में अधिकांश जांच मशीनें खराब रहती है. इस स्थिति में रिम्स की अव्यवस्था पर हाई कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं रख सकता है. रिम्स के चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं और नन प्रैक्टिस अलाउंस भी लेते हैं. कोर्ट ने रिम्स के अधिवक्ता से पूछा कि किस कारण से रिम्स के डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गई है.

कोर्ट ने रिम्स में आउटसोर्सिंग से लोगों की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं किए जाने की भी बात कही है. नियमित नियुक्ति रिम्स में सुनिश्चित किए जाने पर भी हाई कोर्ट ने जोर दिया. स्वीपर के पद पर सीधी नियुक्ति की जाए. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सुनवाई में रिम्स डायरेक्टर क्यों नहीं उपस्थित हुए. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि जब रिम्स डायरेक्टर के खिलाफ अवमानना से संबंधित मामला चल रहा है तो खुद उन्हें आना चाहिए था. उनकी जगह रिम्स के प्रभारी निदेशक क्यों आए. प्रभारी निदेशक को किसी बात की जानकारी नहीं है. अब मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी.

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