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विस्थापितों को नौकरी देने के मामले पर हाई कोर्ट गंभीर, अदालत ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में गुमला जिले के कतरी जलाशय के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले में एहसानुल्लाह को नौकरी नहीं दिए जाने के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. दालत ने सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अभी तक क्यों नहीं नौकरी दी गई?

Jharkhand High Court seeks response from government in displaced case
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 20, 2020, 6:58 PM IST

रांची: कतरी जलाशय के विस्थापितों के जमीन अधिग्रहण के बदले में राज्य सरकार के द्वारा नौकरी देने के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अभी तक क्यों नहीं नौकरी दी गई? मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में गुमला जिले के कतरी जलाशय के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले में एहसानुल्लाह को नौकरी नहीं दिए जाने के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता सचिन कुमार ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि जवाब लगभग तैयार है, लेकिन उसे फाइल नहीं किया जा सका. इसलिए उन्होंने अदालत से समय की मांग की. अदालत ने उन्हें समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

ये भी पढ़ें: सर्पदंश से 3 मासूम बच्चियों की मौत, सरकारी दावों की खुली पोल

बता दें कि कतरी जलाशय के लिए वर्षों पूर्व जमीन अधिग्रहित किया गया था, जिसके बदले में विस्थापितों को सरकार के इस स्कीम के तहत नौकरी देने की बात की गई थी, लेकिन उसी जलाशय के लिए अन्य लोगों की जो जमीन अधिग्रहित की गई थी उसे नौकरी मिला, लेकिन प्रार्थी एहसानउल्लाह को नौकरी नहीं मिली. उसके बाद वे झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत में मामले की सुनवाई के बाद सरकार को इन्हें स्कीम के तहत नौकरी देने को कहा, लेकिन उसके बाद भी नहीं दी गई, फिर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की अदालत ने फिर से राज्य सरकार को 6 महीना में इन्हें नियुक्त करने को कहा, फिर राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को हाई कोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.

रांची: कतरी जलाशय के विस्थापितों के जमीन अधिग्रहण के बदले में राज्य सरकार के द्वारा नौकरी देने के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अभी तक क्यों नहीं नौकरी दी गई? मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में गुमला जिले के कतरी जलाशय के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले में एहसानुल्लाह को नौकरी नहीं दिए जाने के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता सचिन कुमार ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि जवाब लगभग तैयार है, लेकिन उसे फाइल नहीं किया जा सका. इसलिए उन्होंने अदालत से समय की मांग की. अदालत ने उन्हें समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

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बता दें कि कतरी जलाशय के लिए वर्षों पूर्व जमीन अधिग्रहित किया गया था, जिसके बदले में विस्थापितों को सरकार के इस स्कीम के तहत नौकरी देने की बात की गई थी, लेकिन उसी जलाशय के लिए अन्य लोगों की जो जमीन अधिग्रहित की गई थी उसे नौकरी मिला, लेकिन प्रार्थी एहसानउल्लाह को नौकरी नहीं मिली. उसके बाद वे झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत में मामले की सुनवाई के बाद सरकार को इन्हें स्कीम के तहत नौकरी देने को कहा, लेकिन उसके बाद भी नहीं दी गई, फिर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की अदालत ने फिर से राज्य सरकार को 6 महीना में इन्हें नियुक्त करने को कहा, फिर राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को हाई कोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.

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