रांची: झारखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के मामले में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. सरकार के जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कई मौखिक टिप्पणियां की.
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मुख्य न्यायाधीश ने क्या टिप्पणी की
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बगैर शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार किए हुए कैसे झारखंड का प्रोग्रेस होगा? अधिकारियों को झारखंड हाई कोर्ट के बार-बार समझाने के बावजूद वह फंड देने में आनाकानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इतना अच्छा विश्वविद्यालय राज्य में चल रहा है. जिससे राज्य का नाम होगा, उस विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार फंड देने को ही तैयार नहीं, उसे बंद करने पर उतारू है. ऐसे में कैसे झारखंड का नाम होगा? झारखंड आगे बढ़ेगा? उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से फंड की मांग की जाती है तो सरकार को लगता है कि उसे भीख दे रहे हैं. सरकार के इस तरह के रवैया से संस्थान कैसे आगे बढ़ेगा? किसी भी संस्थान को चलाने के लिए नियमित फंड की आवश्यकता होती है. उसमें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. तब यहां के बच्चे आगे बढ़ेंगे.
22 अप्रैल को अगली सुनवाई
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फंड के बिंदु पर फिर से विस्तृत जवाब पेश करने को कहा था. लेकिन समय से विस्तृत जवाब पेश नहीं किया जा सका. उस पर झारखंड हाई कोर्ट के महाधिवक्ता ने अदालत से जवाब के लिए समय की मांग की है और अदालत ने उन्हें समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को तय की है.