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jharkhand foundation day: झारखंड के 21 बेटे-बेटियां, जिन्होंने चमकाया प्रदेश का नाम

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Published : Nov 15, 2021, 6:56 AM IST

15 नवंबर 2000 को झारखंड का गठन हुआ था. सोमवार को आज झारखंड अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दौरान झारखंड की माटी में जन्मे खिलाड़ियों, कलाकारों और समाजसेवियों ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और प्रदेश का नाम रोशन किया है. झारखंड के 21 वें स्थापना दिवस पर आइये हम जानते हैं झारखंड के 21 चितेरे, जिनके कारण प्रदेश का मान बढ़ा. पेश है रिपोर्ट

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झारखंड स्थापना दिवस

रांचीः 15 नवंबर 2000 को गठित झारखंड राज्य सोमवार को अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दौरान प्रदेश ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. जिसमें प्रदेश के बेटे-बेटियों ने भी देश-दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन किया है. इनमें कुछ खेल जगत में चमके हैं तो कुछ ने कला और समाजसेवा के क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन किया है. ऐसे ही 21 चितेरे जिनके जरिये देश और दुनिया में झारखंड की तस्वीर बनी आज ईटीवी भारत आपको बता रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- भगवान बिरसा मुंडा की जयंतीः सीएम हेमंत सोरेन खूंटी को देंगे 111 करोड़ का तोहफा

इन खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में किया प्रदेश का नाम रोशन

झारखंड का सिमडेगा जिला कभी हॉकी की नर्सरी कहा जाता था. इसकी बड़ी वजह बड़ी संख्या में यहां से निकलने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2000 में राज्य का गठन होने के बाद प्रदेश के जिन खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. उनमें से प्रमुख महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे, झारखंड की तीरंदाज दीपिका कुमारी और दुनिया भर में क्रिकेट के लिए पहचान दिलाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी है.

1.निक्की प्रधान(हॉकी) 1993 में खूंटी में जन्मी महिला हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान ने कई बार महिला हॉकी टीम में अपने प्रदर्शन की बदौलत देश का नाम रोशन किया है. निक्की सबसे पहले बैंकॉक में आयोजित एशिया कप 2011 में भारतीय टीम का हिस्सा बनीं, जिसमें टीम ने रजत पदक जीता. इसके अलावा 2016 में ब्राजील में होने वाले ओलिम्पिक में चयन के बाद वह भारत के लिए ओलिम्पिक में खेलने वाली झारखण्ड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं थीं. निक्की टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी टीम का हिस्सा रहीं, इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया था.

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निक्की प्रधान, हॉकी खिलाड़ी

2.सलीमा टेटे (हॉकी): सिमडेगा में 2001 जन्मी सलीमा टेटे का अंतरराष्ट्रीय करियर 2017 में शुरू हुआ था. भारतीय हॉकी टीम की इस होनहार खिलाड़ी ने बेलारूस के खिलाफ राष्ट्रीय टीम में सबसे पहले जगह बनाई थी. वह 2018 यूथ ओलंपिक गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी थीं. इस टीम ने सिल्वर जीता था. इसके अलावा सलीमा टेटे टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय महिला टीम की सदस्य भी थीं. इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया.

3. महेंद्र सिंह धोनी (क्रिकेट): रांची में 1981 में जन्मे क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने देश-दुनिया में झारखंड को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने देश के लिए 341 वन डे, 90 टेस्ट और 98 टी-20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले. धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे. उनकी अगुवाई में ही भारतीय टीम तीनों आईसीसी ट्राफी जीतने वाली टीम बनी. धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने 2007 में आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी जीती. धोनी को देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, पद्म श्री और देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न भी मिल चुका है. उनकी उपलब्धियों के लिए सेना ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी है.

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महेंद्र सिंह धोनी, क्रिकेटर

4. दीपिका कुमारी(आर्चर): रांची में 1994 में जन्मी तीरंदाज दीपिका कुमारी ने 2006 में अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की थी. इस युवा तीरंदाज ने 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंट एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था. 2010 में एशियन गेम्स में भी दीपिका को कांस्य पदक मिला. इसी वर्ष कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम गेम में दो स्वर्ण पदक हासिल किए. राष्ट्रमण्डल खेल 2010 में दीपिका ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण जीता बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण जीता. टोक्यो ओलंपिक 2020 में पदक के लिए देश को दीपिका से सबसे अधिक उम्मीद थी. हालांकि वह अपना शानदार प्रदर्शन दोहरा नहीं सकीं. टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त अन सान से दीपिका हार गईं. 2016 में दीपिका को पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

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दीपिका कुमारी, आर्चर

समाजसेवा के क्षेत्र में भी कई लोगों ने दिलाई पहचान

झारखंड के कई लोगों ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी देश में पहचान बनाई है. इसके लिए उन्हें देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनमें इसी साल सम्मानित की गई छुटनी देवी से लेकर पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा तक शामिल हैं.

5. छुटनी देवी (समाज सेवा): झारखंड के सरायकेला की रहने वाली छुटनी देवी को कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया है. झारखंड में डायन बिसाही के खिलाफ लड़ने वाली छुटनी देवी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाने का उन्हें श्रेय दिया जाता है. छुटनी देवी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के जरिये पीड़ित महिलाओं के लिए पुनर्वास केंद्र चलाती हैं. छुटनी देवी आशा की निदेशक हैं.

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पद्मश्री छुटनी देवी

6. करिया मुंडाः रांची में जन्मे पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा को उनकी समाज सेवा के लिए 2019 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भी इनके सामाजिक कार्यों के कारण राजनीतिक जगत में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.

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कड़िया मुंडा, पद्म भूषण

कला के क्षेत्र में झारखंड के कई लोगों ने नाम किया रोशन

झारखंड की धरा कला और संस्कृति मानों संरक्षक है. तभी तो यहां एक से एक कलाकार पैदा हुए हैं. जिन्होंने अपनी कला के बल पर एक तो खुद की पहचान बनाई, दूसरे अपने हुनर के बल पर देश और दुनिया में झारखंड की माटी की खुशबू बिखेरी. इन्हीं में से कुछ नाम मुकुंद नायक, रामदयाल मुंडा हैं. इस सूची में कई और भी नाम है, जिनके जरिये झारखंड को देश विदेश में पहचान मिली.

7.मुकुंद नायक सिमडेगा में 1949 में जन्मे मुकुंद नायक लोक गायक, गीतकार और नर्तक हैं. नागपुरी लोक नृत्य झुमइर का प्रतिपादक इन्हें माना जाता है. कला के क्षेत्र में इनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वर्ष 2017 में पद्म श्री और 2019 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया

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मुकुंद नायक, लोक गायक

8. राम दयाल मुंडाः 23 अगस्त 1939 में जन्मे झारखंड के राम दयाल को आदिवासियों की मुखर आवाज समझा जाता है. इन्होंने झारखंड की राजधानी रांची, पटना, दिल्ली से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक में आदिवासी अधिकारों की आवाज उठाई. उन्होंने कई सांस्कृतिक आंदोलनों को भी नेतृत्व दिया. 30 सितंबर 2011 को झारखंड की माटी ने अपना एक लाल खो दिया. इससे पहले 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला. वहीं उनके सामाजिक सांस्कृतिक कार्यों को देखते हुए उन्हें 22 मार्च 2010 को राज्यसभा सांसद बनाया गया. 2010 में ही उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया.

9. मधु मंसूरी हंसमुखः 1948 में रांची में जन्मे मधु मंसूरी हंसमुख झारखंड और देश के कला क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं. ये झारखंड के प्रसिद्ध गायक हैं. इन्होंने कई नागपुरी गीत लिखे हैं. झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन के समय इन्होंने कई गीत लिखे, जो लोकमानस की जबान पर थे. 2011 में झारखंड सरकार ने इन्हें झारखंड रत्न पुरस्कार से नवाजा तो पिछले 2020 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री सम्मान दिया.

10. गुरु शशधर आचार्यः 1961 में सरायकेला में जन्मे छऊ नृत्य प्रतिपादक गुरु शशाधर आचार्य अपने घर की पांचवीं पीढ़ी के कलाकार हैं. छऊ नृत्य को बिहार, प. बंगाल, झारखंड, ओडिशा समेत देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाने में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 2020 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया. उन्हें नृत्य की बारीकियों से गुरु लिंगराज ने परिचित कराया था.

बॉलीवुड में भी चमके हैं झारखंड के सितारे

झारखंड के कई लोगों ने बॉलीवुड में भी नाम कमाया है. इसमें निर्देशक इम्तियाज अली हों, अभिनेत्री तनुश्री दत्ता हों या मधुरिमा तुली या कोई और झारखंड के कई कलाकारों ने बॉलीवुड पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है.

11. तनुश्री दत्ताः 1984 में जमशेदपुर में जन्मी अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में किरदार निभाया है. इससे पहले Femina Miss India Universe 2004 का पुरस्कार जीतने के बाद तनुश्री ने बॉलीवड में दस्तक दी. 2005 में फिल्म आशिक से तनु की फिल्मी जर्नी शुरू हुई. इसके बाद तनु ने बॉलीवुड फिल्म भागमभाग,चॉकलेट, ढोल समेत कई फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई. 2010 में रिलीज हुई अपार्टमेंट इनकी आखिरी फिल्म थी.

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तुन श्री दत्ता, अभिनेत्री

12. मधुरिमा तुली या मधुरिमा तुल्लीः धनबाद में 1982 में जन्मी मधुरिमा ने हिंदी के साथ कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में भी काम किया है. टीवी सीरियल कुमकुम भाग्य में इनके किरदार को लोगों ने खूब सराहा है. मधुरिमा ने बॉलीवुड फिल्म बचना ए हसीनों, टॉस, क्या करें क्या न करें में भी किरदार निभाया है.

13. इम्तियाज अलीः जमशेदपुर में 1971 में जन्मे इम्तियाज अली बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार हैं. लेखक, निर्माता, निर्देशक इम्तियाज ने 1995 में रुपहली दुनिया में कदम रखा. तब से अब तक कई फिल्म और सीरियल में इनके काम को सराहा जा चुका है. इम्तियाज ने अपने करियर की शुरुआत टीवी कार्यक्रम के निर्देशन से की थी. जी टीवी पर प्रसारित कुरूक्षेत्र और दूरदर्शन के लिए निर्देशित इम्तिहान को काफी सराहना मिली थी. बाद में ये बॉलीवुड में काम करने लगे. 2005 में इम्तियाज अली ने अभय देओल और आयशा ताकी अभिनीत सोचा ना था के साथ बॉलीवुड में निर्देशन करियर शुरू किया. 2007 में शाहिद कपूर और करीना कपूर अभिनीत जब वी मेट ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए प्रतिमान रच दिए थे. इसके बाद लव आज कल, रॉक स्टार में भी इम्तियाज ने अपना हुनर दिखाया.

14. श्वेता बासु प्रसादः जमशेदपुर की एक और अभिनेत्री श्वेता बासु प्रसाद ने बॉलीवुड में झारखंड को नई पहचान दिलाई है. 1991 में जन्मी श्वेता ने अपने करियर की शुरुआत 2002 में फिल्म मकड़ी से बतौर बाल कलाकार की थी. इन्होंने तेलुगू, बंगाली और तमिल सिनेमा में भी किरदार निभाया है. इस फिल्म के लिए श्वेता को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. टीवी सीरियल कहानी घर-घर की, चंद्र नंदिनी और फिल्म इकबाल, बद्रीनाथ की दुल्हनिया में भी श्वेता ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है. उन्हें पांचवें कराची इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का भी पुरस्कार मिल चुका है.

15. सिमोन सिंहः जमशेदपुर नें 1974 में सिमोन ने अपने करियर की शुरुआत 1995 में टेलीविजन सीरियल स्वाभिमान से की थी. इसके बाद सिमोन ने मशहूर सीरियल हिना में मुख्य किरदार निभाया. इन्होंने बॉलीवुड में अपने कदम 2001 में एक रिश्ता: द बॉन्ड ऑफ लव से रखा. सिमोन ने कभी खुशी कभी गम 2001, मैंने भी प्यार किया 2002, देल्ही हाइट्स 2007, बीइंग सीरियस 2006 समेत कई फिल्मों में भूमिकाएँ निभाई हैं.

और भी हैं झारखंड के स्वाभिमान..

कई और लोग हैं जिन्होंने झारखंड और देश का नाम रोशन किया है. अपनी प्रतिभा और हिम्मत से झारखंड को नई पहचान दिलाई है.

16. कर्नल जय प्रकाश: सेना मेडल प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2020 से जल्द ही सम्मानित करेंगे. बोकारो के रहने वाले कर्नल जय प्रकाश ने वर्ष 2019 में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला माउंट एवरेस्ट को फतह किया था. इस 8848 ऊंची चोटी को फतह करने के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है.

17. जमुना टुडूः ओडिशा में जन्मी झारखंड की लेडी टार्जन पूर्वू सिंहभूम की जमुना टुडू को पर्यावरण संरक्षण के लिए 2019 में पद्मश्री अवार्ड मिल चुका है. पर्यावरण कार्यकर्ता जमुना टुडू अपने तीन सौ महिला समूहों के जरिये वन माफिया से लोहा लेती हैं. इन्हे 2014 के गाडफ्रे फिलिप्स बहादुरी पुरस्कार भी मिल चुका है.

18. बुलू इमामः 1942 में हजारीबाग में जन्मे पर्यावरण कार्यकर्ता बुलू इमाम को सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान के लिए 2019 में बुलू इमाम को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आदिवासी संस्कृति और हेरिटेज के संरक्षण के लिए जाने जाने वाले इमाम को अंतररास्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार 2011 से भी सम्मानित किया जा चुका है.

19. चंद्रमोहन किस्कूः झारखंड के संथाली लेखक चंद्रमोहन किस्कू को महाश्वेता देनी के बांग्ला उपन्यास सिदो कान्हू राखी के संथाली अनुवाद सिद्धू कानू पीके नाग होते के लिए 2020 का अनुवाद पुरस्कार दिया गया था. चाकूलिया रेलवे स्टेशन पर कार्यरत किस्कू को उनके अनुवाद के लिए काफी सराहना मिली थी.

20. सियाराम झा सरसः रांची में साहित्य साधना करने वाले झारखंड के साहित्यकार सियाराम झा सरस को उनकी मैथिली बाल पोथी सोनहुला इजोत बला खिड़की कविता संग्रह के लिए 2020 का साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार 2020 दिया गया. कचहरी चौक पर साहित्य साधना करने वाले सरस की अन्य रचनाएं फुल, तितली और तुलबुल आदि हैं.

21. बोकारो की पेटरवार पोल्ट्री बीते दिन उद्यमिता एवं कौशल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कारों की घोषणा की. इसमें जमशेदपुर की सीनी और बोकारो की पेटरवार पोल्ट्री ने पुरस्कार झटके.

रांचीः 15 नवंबर 2000 को गठित झारखंड राज्य सोमवार को अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दौरान प्रदेश ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. जिसमें प्रदेश के बेटे-बेटियों ने भी देश-दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन किया है. इनमें कुछ खेल जगत में चमके हैं तो कुछ ने कला और समाजसेवा के क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन किया है. ऐसे ही 21 चितेरे जिनके जरिये देश और दुनिया में झारखंड की तस्वीर बनी आज ईटीवी भारत आपको बता रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- भगवान बिरसा मुंडा की जयंतीः सीएम हेमंत सोरेन खूंटी को देंगे 111 करोड़ का तोहफा

इन खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में किया प्रदेश का नाम रोशन

झारखंड का सिमडेगा जिला कभी हॉकी की नर्सरी कहा जाता था. इसकी बड़ी वजह बड़ी संख्या में यहां से निकलने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2000 में राज्य का गठन होने के बाद प्रदेश के जिन खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. उनमें से प्रमुख महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे, झारखंड की तीरंदाज दीपिका कुमारी और दुनिया भर में क्रिकेट के लिए पहचान दिलाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी है.

1.निक्की प्रधान(हॉकी) 1993 में खूंटी में जन्मी महिला हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान ने कई बार महिला हॉकी टीम में अपने प्रदर्शन की बदौलत देश का नाम रोशन किया है. निक्की सबसे पहले बैंकॉक में आयोजित एशिया कप 2011 में भारतीय टीम का हिस्सा बनीं, जिसमें टीम ने रजत पदक जीता. इसके अलावा 2016 में ब्राजील में होने वाले ओलिम्पिक में चयन के बाद वह भारत के लिए ओलिम्पिक में खेलने वाली झारखण्ड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं थीं. निक्की टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी टीम का हिस्सा रहीं, इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया था.

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निक्की प्रधान, हॉकी खिलाड़ी

2.सलीमा टेटे (हॉकी): सिमडेगा में 2001 जन्मी सलीमा टेटे का अंतरराष्ट्रीय करियर 2017 में शुरू हुआ था. भारतीय हॉकी टीम की इस होनहार खिलाड़ी ने बेलारूस के खिलाफ राष्ट्रीय टीम में सबसे पहले जगह बनाई थी. वह 2018 यूथ ओलंपिक गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी थीं. इस टीम ने सिल्वर जीता था. इसके अलावा सलीमा टेटे टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय महिला टीम की सदस्य भी थीं. इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया.

3. महेंद्र सिंह धोनी (क्रिकेट): रांची में 1981 में जन्मे क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने देश-दुनिया में झारखंड को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने देश के लिए 341 वन डे, 90 टेस्ट और 98 टी-20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले. धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे. उनकी अगुवाई में ही भारतीय टीम तीनों आईसीसी ट्राफी जीतने वाली टीम बनी. धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने 2007 में आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी जीती. धोनी को देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, पद्म श्री और देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न भी मिल चुका है. उनकी उपलब्धियों के लिए सेना ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी है.

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महेंद्र सिंह धोनी, क्रिकेटर

4. दीपिका कुमारी(आर्चर): रांची में 1994 में जन्मी तीरंदाज दीपिका कुमारी ने 2006 में अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की थी. इस युवा तीरंदाज ने 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंट एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था. 2010 में एशियन गेम्स में भी दीपिका को कांस्य पदक मिला. इसी वर्ष कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम गेम में दो स्वर्ण पदक हासिल किए. राष्ट्रमण्डल खेल 2010 में दीपिका ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण जीता बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण जीता. टोक्यो ओलंपिक 2020 में पदक के लिए देश को दीपिका से सबसे अधिक उम्मीद थी. हालांकि वह अपना शानदार प्रदर्शन दोहरा नहीं सकीं. टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त अन सान से दीपिका हार गईं. 2016 में दीपिका को पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

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दीपिका कुमारी, आर्चर

समाजसेवा के क्षेत्र में भी कई लोगों ने दिलाई पहचान

झारखंड के कई लोगों ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी देश में पहचान बनाई है. इसके लिए उन्हें देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनमें इसी साल सम्मानित की गई छुटनी देवी से लेकर पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा तक शामिल हैं.

5. छुटनी देवी (समाज सेवा): झारखंड के सरायकेला की रहने वाली छुटनी देवी को कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया है. झारखंड में डायन बिसाही के खिलाफ लड़ने वाली छुटनी देवी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाने का उन्हें श्रेय दिया जाता है. छुटनी देवी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के जरिये पीड़ित महिलाओं के लिए पुनर्वास केंद्र चलाती हैं. छुटनी देवी आशा की निदेशक हैं.

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पद्मश्री छुटनी देवी

6. करिया मुंडाः रांची में जन्मे पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा को उनकी समाज सेवा के लिए 2019 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भी इनके सामाजिक कार्यों के कारण राजनीतिक जगत में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.

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कड़िया मुंडा, पद्म भूषण

कला के क्षेत्र में झारखंड के कई लोगों ने नाम किया रोशन

झारखंड की धरा कला और संस्कृति मानों संरक्षक है. तभी तो यहां एक से एक कलाकार पैदा हुए हैं. जिन्होंने अपनी कला के बल पर एक तो खुद की पहचान बनाई, दूसरे अपने हुनर के बल पर देश और दुनिया में झारखंड की माटी की खुशबू बिखेरी. इन्हीं में से कुछ नाम मुकुंद नायक, रामदयाल मुंडा हैं. इस सूची में कई और भी नाम है, जिनके जरिये झारखंड को देश विदेश में पहचान मिली.

7.मुकुंद नायक सिमडेगा में 1949 में जन्मे मुकुंद नायक लोक गायक, गीतकार और नर्तक हैं. नागपुरी लोक नृत्य झुमइर का प्रतिपादक इन्हें माना जाता है. कला के क्षेत्र में इनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वर्ष 2017 में पद्म श्री और 2019 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया

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मुकुंद नायक, लोक गायक

8. राम दयाल मुंडाः 23 अगस्त 1939 में जन्मे झारखंड के राम दयाल को आदिवासियों की मुखर आवाज समझा जाता है. इन्होंने झारखंड की राजधानी रांची, पटना, दिल्ली से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक में आदिवासी अधिकारों की आवाज उठाई. उन्होंने कई सांस्कृतिक आंदोलनों को भी नेतृत्व दिया. 30 सितंबर 2011 को झारखंड की माटी ने अपना एक लाल खो दिया. इससे पहले 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला. वहीं उनके सामाजिक सांस्कृतिक कार्यों को देखते हुए उन्हें 22 मार्च 2010 को राज्यसभा सांसद बनाया गया. 2010 में ही उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया.

9. मधु मंसूरी हंसमुखः 1948 में रांची में जन्मे मधु मंसूरी हंसमुख झारखंड और देश के कला क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं. ये झारखंड के प्रसिद्ध गायक हैं. इन्होंने कई नागपुरी गीत लिखे हैं. झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन के समय इन्होंने कई गीत लिखे, जो लोकमानस की जबान पर थे. 2011 में झारखंड सरकार ने इन्हें झारखंड रत्न पुरस्कार से नवाजा तो पिछले 2020 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री सम्मान दिया.

10. गुरु शशधर आचार्यः 1961 में सरायकेला में जन्मे छऊ नृत्य प्रतिपादक गुरु शशाधर आचार्य अपने घर की पांचवीं पीढ़ी के कलाकार हैं. छऊ नृत्य को बिहार, प. बंगाल, झारखंड, ओडिशा समेत देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाने में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 2020 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया. उन्हें नृत्य की बारीकियों से गुरु लिंगराज ने परिचित कराया था.

बॉलीवुड में भी चमके हैं झारखंड के सितारे

झारखंड के कई लोगों ने बॉलीवुड में भी नाम कमाया है. इसमें निर्देशक इम्तियाज अली हों, अभिनेत्री तनुश्री दत्ता हों या मधुरिमा तुली या कोई और झारखंड के कई कलाकारों ने बॉलीवुड पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है.

11. तनुश्री दत्ताः 1984 में जमशेदपुर में जन्मी अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में किरदार निभाया है. इससे पहले Femina Miss India Universe 2004 का पुरस्कार जीतने के बाद तनुश्री ने बॉलीवड में दस्तक दी. 2005 में फिल्म आशिक से तनु की फिल्मी जर्नी शुरू हुई. इसके बाद तनु ने बॉलीवुड फिल्म भागमभाग,चॉकलेट, ढोल समेत कई फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई. 2010 में रिलीज हुई अपार्टमेंट इनकी आखिरी फिल्म थी.

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तुन श्री दत्ता, अभिनेत्री

12. मधुरिमा तुली या मधुरिमा तुल्लीः धनबाद में 1982 में जन्मी मधुरिमा ने हिंदी के साथ कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में भी काम किया है. टीवी सीरियल कुमकुम भाग्य में इनके किरदार को लोगों ने खूब सराहा है. मधुरिमा ने बॉलीवुड फिल्म बचना ए हसीनों, टॉस, क्या करें क्या न करें में भी किरदार निभाया है.

13. इम्तियाज अलीः जमशेदपुर में 1971 में जन्मे इम्तियाज अली बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार हैं. लेखक, निर्माता, निर्देशक इम्तियाज ने 1995 में रुपहली दुनिया में कदम रखा. तब से अब तक कई फिल्म और सीरियल में इनके काम को सराहा जा चुका है. इम्तियाज ने अपने करियर की शुरुआत टीवी कार्यक्रम के निर्देशन से की थी. जी टीवी पर प्रसारित कुरूक्षेत्र और दूरदर्शन के लिए निर्देशित इम्तिहान को काफी सराहना मिली थी. बाद में ये बॉलीवुड में काम करने लगे. 2005 में इम्तियाज अली ने अभय देओल और आयशा ताकी अभिनीत सोचा ना था के साथ बॉलीवुड में निर्देशन करियर शुरू किया. 2007 में शाहिद कपूर और करीना कपूर अभिनीत जब वी मेट ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए प्रतिमान रच दिए थे. इसके बाद लव आज कल, रॉक स्टार में भी इम्तियाज ने अपना हुनर दिखाया.

14. श्वेता बासु प्रसादः जमशेदपुर की एक और अभिनेत्री श्वेता बासु प्रसाद ने बॉलीवुड में झारखंड को नई पहचान दिलाई है. 1991 में जन्मी श्वेता ने अपने करियर की शुरुआत 2002 में फिल्म मकड़ी से बतौर बाल कलाकार की थी. इन्होंने तेलुगू, बंगाली और तमिल सिनेमा में भी किरदार निभाया है. इस फिल्म के लिए श्वेता को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. टीवी सीरियल कहानी घर-घर की, चंद्र नंदिनी और फिल्म इकबाल, बद्रीनाथ की दुल्हनिया में भी श्वेता ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है. उन्हें पांचवें कराची इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का भी पुरस्कार मिल चुका है.

15. सिमोन सिंहः जमशेदपुर नें 1974 में सिमोन ने अपने करियर की शुरुआत 1995 में टेलीविजन सीरियल स्वाभिमान से की थी. इसके बाद सिमोन ने मशहूर सीरियल हिना में मुख्य किरदार निभाया. इन्होंने बॉलीवुड में अपने कदम 2001 में एक रिश्ता: द बॉन्ड ऑफ लव से रखा. सिमोन ने कभी खुशी कभी गम 2001, मैंने भी प्यार किया 2002, देल्ही हाइट्स 2007, बीइंग सीरियस 2006 समेत कई फिल्मों में भूमिकाएँ निभाई हैं.

और भी हैं झारखंड के स्वाभिमान..

कई और लोग हैं जिन्होंने झारखंड और देश का नाम रोशन किया है. अपनी प्रतिभा और हिम्मत से झारखंड को नई पहचान दिलाई है.

16. कर्नल जय प्रकाश: सेना मेडल प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2020 से जल्द ही सम्मानित करेंगे. बोकारो के रहने वाले कर्नल जय प्रकाश ने वर्ष 2019 में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला माउंट एवरेस्ट को फतह किया था. इस 8848 ऊंची चोटी को फतह करने के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है.

17. जमुना टुडूः ओडिशा में जन्मी झारखंड की लेडी टार्जन पूर्वू सिंहभूम की जमुना टुडू को पर्यावरण संरक्षण के लिए 2019 में पद्मश्री अवार्ड मिल चुका है. पर्यावरण कार्यकर्ता जमुना टुडू अपने तीन सौ महिला समूहों के जरिये वन माफिया से लोहा लेती हैं. इन्हे 2014 के गाडफ्रे फिलिप्स बहादुरी पुरस्कार भी मिल चुका है.

18. बुलू इमामः 1942 में हजारीबाग में जन्मे पर्यावरण कार्यकर्ता बुलू इमाम को सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान के लिए 2019 में बुलू इमाम को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आदिवासी संस्कृति और हेरिटेज के संरक्षण के लिए जाने जाने वाले इमाम को अंतररास्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार 2011 से भी सम्मानित किया जा चुका है.

19. चंद्रमोहन किस्कूः झारखंड के संथाली लेखक चंद्रमोहन किस्कू को महाश्वेता देनी के बांग्ला उपन्यास सिदो कान्हू राखी के संथाली अनुवाद सिद्धू कानू पीके नाग होते के लिए 2020 का अनुवाद पुरस्कार दिया गया था. चाकूलिया रेलवे स्टेशन पर कार्यरत किस्कू को उनके अनुवाद के लिए काफी सराहना मिली थी.

20. सियाराम झा सरसः रांची में साहित्य साधना करने वाले झारखंड के साहित्यकार सियाराम झा सरस को उनकी मैथिली बाल पोथी सोनहुला इजोत बला खिड़की कविता संग्रह के लिए 2020 का साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार 2020 दिया गया. कचहरी चौक पर साहित्य साधना करने वाले सरस की अन्य रचनाएं फुल, तितली और तुलबुल आदि हैं.

21. बोकारो की पेटरवार पोल्ट्री बीते दिन उद्यमिता एवं कौशल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कारों की घोषणा की. इसमें जमशेदपुर की सीनी और बोकारो की पेटरवार पोल्ट्री ने पुरस्कार झटके.

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