रांची: राज्य के सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को हर नए सेशन से पहले राज्य सरकार निशुल्क स्कूल यूनिफार्म मुहैया कराती है. इस बार भी क्लास 1 से 12वीं तक के सरकारी स्कूल के बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म मुहैया (Uniform Facility in Government School) कराया जा रहा है, लेकिन इस बार योजना में फेरबदल किया गया है. इस वर्ष झारखंड सरकार की शिक्षा विभाग की ओर से अभिभावकों के बैंक खाते में स्कूल यूनिफार्म के लिए राशि भेजा जा (Government Provided Amount For Uniform) रहा है. जबकि इससे पहले स्कूल से ही बच्चों को यूनिफॉर्म दे दिया जाता था.
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600 रुपये में एक सेट यूनिफार्म खरीदना है मुश्किल: जो राशि यूनिफार्म खरीदने के लिए बच्चों को दी जा रही है. उस राशि से एक सेट यूनिफार्म खरीदना भी मुश्किल लग रहा है. दरअसल राज्य सरकार प्रति बच्चे यूनिफार्म के लिए 600 रुपये देगी. यह राशि एक स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने के लिए काफी नहीं है. उसपर सरकारी स्कूलों ने बच्चों को दो-दो सेट स्कूल यूनिफार्म रखने का निर्देश दिया है. इसके अलावा जूता-मोजा सहित अन्य सामग्री भी स्कूल ड्रेस के सेट के साथ लेना है.
अभिभावकों के साथ साथ स्कूल प्रबंधकों को हो रही परेशानी: ऐसे में अभिभावकों के साथ साथ स्कूल प्रबंधकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस महंगाई के दौर में जहां निजी स्कूलों के बच्चों के यूनिफार्म का मूल्य 1 सेट का 1000 रुपये से भी अधिक है. वहीं सरकारी स्कूल के बच्चों को दो सेट यूनिफॉर्म के लिए मात्र 600 रुपये दिए जा रहे हैं. जेसीईआरटी सदस्य नसीम अहमद ने कहा है कि 600 रुपये में एक सेट यूनिफॉर्म खरीदना भी मुश्किल है, लेकिन कुछ दुकानों को इस दिशा में निर्देश दिया गया है. दुकानों में बच्चों को एक सेट यूनिफॉर्म मुहैया करवाया जा रहा है. धीरे-धीरे व्यवस्था में सुधार किया जाएगा. झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग को इस मामले को लेकर अवगत कराया जाएगा और जरुरी कदम उठाए जाएंगे.
कैसे मिलेगी राहत: शिक्षा विभाग ने जूनियर बच्चों के सभी स्कूलों में यूनिफार्म मुहैया कराने की कोशिश की है, लेकिन दो वर्ष बाद स्कूल खुलने के कारण थोड़ी परेशानी इस दिशा में भी आई है. शत प्रतिशत बच्चों तक स्कूल यूनिफार्म के लिए फंड भी भेजा नहीं जा सका है. हालांकि जल्द ही सरकारी स्कूलों के सभी बच्चे यूनिफॉर्म में ही स्कूलों में नजर आएंगे. बस जरुरत है राज्य सरकार को यूनिफार्म मुहैया कराने की योजना को शिथिल बनाने की, जिससे कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को राहत मिल सके.