रांची: झारखंड में अपराधी बेकाबू हो चुके हैं. खासकर दुष्कर्म के बाद हत्या के वारदातों ने झारखंड पुलिस को ही चुनौती दे डाली है. झारखंड में हाल के दिनों में रांची, दुमका, साहिबगंज, गुमला में दुष्कर्म के बाद हत्या कई वारदात हुए हैं. अपराध के मुद्दे पर पुलिस लगातार विपक्षी दल के निशाने पर है.
डीजीपी के अनुसार सब सामान्य
हालांकि, झारखंड के डीजीपी एमवी राव यह नहीं मानते हैं कि राज्य में अपराध का आंकड़ा बढ़ गया है. वहीं, पुलिस विभाग से मिले आंकड़े यह बताते हैं कि लॉकडाउन लगे रहने के बावजूद साल 2020 के अगस्त महीने तक आपराधिक वारदातों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, साल 2019 के आंकड़ों की तुलना में 2020 में आपराध की घटना बढ़ी है, जबकि 2020 में 4 महीना लॉकडाउन रहा.
क्या कहते हैं आंकड़ें
राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में अगस्त महीने तक रोजाना औसतन 10 हत्या, जबकि दुष्कर्म की पांच वारदातें हुई हैं. हालांकि, साल 2019 के अगस्त तक के आंकड़ों की बात करें तो आंकड़ों के लिहाज से आपराधिक घटनाओं में मामुली सी कमी आयी है. इस साल कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगाया गया था. ऐसे में अपराध के आंकड़ों में मामुली कमी की वजह लॉकडाउन भी मानी जा रही है, लेकिन लॉकडाउन के बावजूद आंकड़े बढ़े ये चिंता का विषय है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड में 1 जनवरी से 31 अगस्त 2020 तक के यानी 244 दिनों में हत्या के 1261, दुष्कर्म के 1264, डकैती के 73, लूट के 426 और नक्सल वारदातों के 204 केस दर्ज हुए हैं. रांची में हत्या के सर्वाधिक 112 और दुष्कर्म के 150 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं, सर्वाधिक 50 नक्सल कांड चाईबासा जिला में दर्ज हुए हैं.
क्या कहते हैं 2019 के अगस्त तक के आंकड़े
साल 2019 के अगस्त महीनें तक राज्य में हत्या के 1312, दुष्कर्म के 1216, डकैती के 85, लूट के 441 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 213 नक्सल वारदातों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी.
क्या कहते हैं पुलिसिया आंकड़े (अगस्त 2020 तक)
- हत्या- 1261
- दुष्कर्म- 1264
- डकैती- 73
- लूट- 426
- चोरी- 6069
- नक्सल- 204
- कुल संज्ञेय अपराध- 41159
सबसे ज्यादा हत्या और दुष्कर्म राजधानी में दर्ज हुए
- रांची में सर्वाधिक 112 हत्या
- चाईबासा में सर्वाधिक 50 नक्सल कांड
- दुष्कर्म के सर्वाधिक 150 केस भी रांची में ही दर्ज हुए
- अधिकांश मामलों में परिचित या परिवार के लोग आरोप
झारखंड में दुष्कर्म के अधिकांश मामलों में परिचित, पड़ोस या परिवार के लोग आरोपी हैं. आंकड़ों की मानें तो 1264 में 1024 वारदातों में आरोपी दुष्कर्म पीड़िता का परिचित था. 88 मामलों में परिवार के सदस्य, 353 मामलों पर पारिवारिक मित्र, पड़ोसी, रोजगार प्रदाता की संलिप्तता सामने आयी है. मित्र, लिव इन पार्टनर या शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के 889, अज्ञात व्यक्तियों के संलिप्तता के 82 कांड दर्ज हुए हैं. राजधानी में भी सबसे ज्यादा पीड़ित के परिचित ही गुनाहगार निकले. रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र झा के अनुसार दुष्कर्म के अधिकांश मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. अब पुलिस उन्हेंं स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलवाने की कोशिश कर रही है.
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अपराधियों के दिल में खौफ नहीं
एक तरफ जहां झारखंड के डीजीपी एमवी राव यह कहते हैं कि झारखंड में अपराधी घटनाएं नहीं बढ़ी हैं. दूसरी तरफ डीजीपी यह भी चाहते हैं कि पुलिस कुछ ऐसा काम करें जिससे अपराधियों के मन और दिलों दिमाग में कानून का खौफ पैदा हो. डीजीपी का इशारा अपराधियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने का है. शायद यही वजह है की डीजीपी पुलिस का एक दूसरा रूप दिखाने की बात कह रहे हैं यानी वह रूप जिससे अपराधी खौफ खाए.